नोएडा के सेक्टर-6 स्थित प्राधिकरण कार्यालय के बाहर सोमवार दोपहर बढ़े मुआवजे समेत विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे 81 गांवों के किसानों और पुलिस के बीच जबरदस्त हाईवोल्टेज हंगामा हुआ। आक्रोशित किसानों ने प्राधिकरण का मुख्य गेट तोड़कर अंदर घुसने का प्रयास किया, लेकिन भारी पुलिस बल ने उन्हें रोक दिया। इस हंगामे के बाद, प्राधिकरण अधिकारियों ने किसानों से उनकी मांगों के समाधान के लिए 15 दिन का समय मांगा है, जिसके बाद किसानों ने 26 नवंबर तक धरना स्थगित करते हुए समाधान न होने पर दोबारा आंदोलन की चेतावनी दी है।
लंबे समय से लंबित मांगों को लेकर आक्रोश किसानों की यह नाराजगी लंबे समय से लंबित अपनी मांगों को लेकर थी, जिसमें मुख्य रूप से भूमि अधिग्रहण के बदले बढ़े मुआवजे की मांग शामिल है। इसके अलावा, किसान अन्य स्थानीय समस्याओं के समाधान की भी मांग कर रहे थे जो अभी तक अधूरी हैं।

सोमवार दोपहर लगभग 12 बजे, भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) मंच के विभिन्न गुटों के बैनर तले किसानों ने प्राधिकरण के बाहर अपनी आगे की रणनीति तय करने के लिए एक पंचायत की। इस पंचायत में भाकियू मंच के प्रवक्ता और हाल ही में समाजवादी पार्टी में शामिल हुए नेता सुधीर चौहान, भाकियू महात्मा टिकैत से अनिल तालान, भाकियू भानु से विकास गुर्जर, प्रेम सिंह भाटी, राजवीर मुखिया, सुभाष भाटी, जय जवान-जय किसान मोर्चा के सुनील फौजी और भाकियू अखंड से जुड़े कई किसान नेता शामिल हुए। पंचायत की अध्यक्षता अनूप निर्वाण ने की, जबकि संचालन सोनू लोहिया और अमित बैसोया ने किया।
अधिकारियों के न पहुंचने पर भड़के किसान पंचायत के दौरान, किसानों ने प्राधिकरण अधिकारियों से यह बताने को कहा कि उनकी कौन-कौन सी मांगे पूरी की जा चुकी हैं और कौन सी किस अधिकारी के स्तर पर लंबित हैं, तथा इसका कारण क्या है। किसानों का आरोप था कि कई बार बुलाने के बाद भी प्राधिकरण का कोई वरिष्ठ अधिकारी पंचायत में आकर उनकी बात सुनने या जवाब देने के लिए तैयार नहीं हुआ, जिससे उनका आक्रोश और बढ़ गया।

जब अधिकारियों की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो दोपहर तीन बजे के करीब, आक्रोशित किसानों ने नोएडा प्राधिकरण कार्यालय पर ताला लगाने का एलान कर मुख्य गेट की ओर कूच किया। किसानों का इरादा प्रतीकात्मक रूप से कार्यालय को बंद करने का था, ताकि अधिकारियों पर दबाव बनाया जा सके।
पुलिस और किसानों के बीच झड़प, एसीपी प्रवीण कुमार सिंह ने संभाला मोर्चा
जैसे ही किसानों ने गेट के पास पहुंचकर ताला जड़ने का प्रयास किया, वहां पहले से तैनात भारी पुलिस बल ने उन्हें रोकने का प्रयास किया। इस दौरान किसानों और पुलिस के बीच तीखी नोक-झोंक और धक्का-मुक्की हुई। स्थिति उस समय और तनावपूर्ण हो गई जब आक्रोशित किसानों ने प्राधिकरण का मुख्य गेट तोड़कर अंदर घुसने की कोशिश की। किसानों के समूह ने गेट को धक्का देकर खोलने का प्रयास किया, जिससे वहां अफरा-तफरी का माहौल बन गया। हालांकि, भारी संख्या में मौजूद पुलिसकर्मियों ने किसी तरह बल प्रयोग किए बिना किसानों को समझा-बुझाकर शांत कराया और उन्हें भीतर घुसने से रोक दिया। एसीपी प्रवीण कुमार सिंह ने भारी भीड़ के समक्ष सुझबुझ दिखाते हुए न सिर्फ गेट तोड़ कर आगे जाने रोका बल्कि उनको वापस बातचीत के लिए धरने स्ताहल्पर टेंट में भेजा।
अधिकारियों ने मांगा 15 दिन का समय, मिला अल्टीमेटम
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, कुछ देर बाद नोएडा प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी (ACEO) सतीश पाल, ओएसडी क्रांतिशेखर और अरविंद कुमार, डीजीएम् सिविल विजय रावल के साथ ही एसीपी प्रवीण कुमार सिंह चर्चा के लिए बैठे । अधिकारियों ने किसानों से बातचीत की और उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी समस्याओं का समाधान प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा। अधिकारियों ने इस प्रक्रिया के लिए 15 दिन का समय मांगा।
किसानों ने आपसी चर्चा के बाद अधिकारियों के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए 26 नवंबर तक का अल्टीमेटम दिया। किसानों ने सख्त लहजे में स्पष्ट किया कि यदि 26 नवंबर तक उनकी मांगों का संतोषजनक समाधान नहीं होता है, तो 81 गांवों के किसान एक बार फिर नोएडा प्राधिकरण के बाहर अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन शुरू करेंगे।


