उत्तर प्रदेश के शो विंडो कहे जाने वाले नोएडा, ग्रेटर नोएडा को संभालने वाला गौतम बुध नगर के साढे तीन प्राधिकरण जिला प्रशासन पुलिस कमिश्नरेट के बावजूद सिस्टम यहां औद्योगिक विकास और बहूमंजिली इमारत की जगह अवैध कॉलोनियो का सबसे तेजी से बढ़ता जिला बनता जा रहा है। जी हां अविश्वसनीय पर यह कडवा सच है!
नोएडा के बरौला, सदरपुर,भंगेल, सलारपुर,सरफाबद,बहलोलपुर, इलाहाबास, नया गांव से लेकर ग्रेटर नोएडा में हैबतपुर, शाहबेरी, तुस्याना, सुनपुरा, वैदपुरा, सूरजपुर, कासना चिटैहरा और गुलिंस्तानपुर आदि में अवैध कॉलोनियों का जाल सबकी नाक के नीचे हो रहा है। ऐसे ही एक प्रकरण इन दिनों गुलिंस्तानपुर में “इंद्रलोकपुरम” (Indralokpuram, Sector ZETA 1, Greater Noida) के नाम से सामने आ रहा है I प्रमोटर द्वारा जारी कथित ब्रोशेर में इसके जीटा 1 में होने दावा किया है और इसके लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से अनुमति भी बताई जा रही है I

एनसीआर खबर ने जब इस पूरे प्रोजेक्ट की पड़ताल की तो पता लगा कि यह प्रोजेक्ट यूपीसीडा की जमीनों के बीच में गुलिस्तानपुर गांव में आ रहा है जो ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण कि अधिसूचित क्षेत्र में आता हैI यह प्रोजेक्ट ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण तो छोड़ो किसी भी प्राधिकरण या जिला पंचायत से अप्रूव नहीं है। न हीं इसका कोई नक्शा पास किया गया है बल्कि इसके बारे में दावा यह किया जा रहा है कि इसके साथ लगी जमीन पर ब्रिटिश काल में बनाई गई सर्च लाइट का एक स्तंभ भी बना हुआ है। बताया जाता है कि ब्रिटिश काल में इस पूरे क्षेत्र में कर सर्च लाइट बनाई गई थी जिसमें एक यहां पर है ऐसे में इसके पुरातत्व विभाग के जमीन के अतिक्रमण की भी चर्चाएं गुलिस्तानपुर के लोगों में हो रही है ।
ऐसे में सोशल मीडिया पर विज्ञापनों के जरिए एक बार फिर से अवैध कॉलोनी काटकर बेचने की पूरी तैयारी कर ली गई है। रियल एस्टेट प्लॉट बेचने खरीदने की वेबसाइट पर इसकी डिटेल अपलोड कर दी गई है और वहां से ब्रोकर इसे बेचने को तैयार बैठे हैं । बिना रेरा वाले इस प्रोजेक्ट पर उनका हौसला इतना बुलंद है कि वह उनके मुकाबले ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अंतर्गत बनने वाले फ्लैट्स और प्लाटों को गलत बताने में नहीं चूकते हैं उनका दावा है कि यह फ्री होल्ड जमीन है इसलिए सुरक्षित है जबकि आए दिन ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा ऐसी कॉलोनी पर बुलडोजर चलाने के समाचार आते रहते हैं ।

पिछले डेढ़ दशक में देखें तो नोएडा ग्रेटर नोएडा शहरों के समानान्तर अवैध रूप से कई शहर बस गए हैं। ऐसा करने वाले भूमाफिया और अवैध कॉलोनाइजर्स इस काम को एक संगठित अपराध की भांति कर रहे हैं और उनके विरुद्ध हुई कार्रवाईयों की गिनती उंगलियों पर गिने जाने जितनी भी नहीं हैं। गांवों में बनी ऐसी कॉलोनी में एक समस्या यह भी है कि जमीन खरीदने के बाद यहां फंसे लोग जब यहां टूटी सड़कों टूटी सीवर लाइन और पानी भरने की समस्याओं पर प्राधिकरण के पास जाते हैं तो प्राधिकरण इन पर अपना हाथ खड़ा कर देता है । परेशान लोग सरकारों को कोसते हैं मगर अंततः उसे अपनी नियति मान लेते हैं।
एनसीआर खबर को पड़ताल में यह भी पता लगा कि इसी कॉलोनी के प्रमोटर द्वारा कई अन्य कालोनियां भी काटी गई हैं और उनको सत्ता पक्ष का संरक्षण भी प्राप्त है । ऐसे में बड़ा प्रश्न यह है उत्तर प्रदेश में अवैध कॉलोनी और कानून व्यवस्था पर अपना डंका पीटने वाली योगी सरकार के राज में उत्तर प्रदेश के शो विंडो के बीचो-बीच बस रही इन कॉलोनी पर कोई भी प्राधिकरण पुलिस प्रशासन ध्यान देने को क्यों तैयार नहीं है, क्या वह हमेशा की तरह कॉलोनाइजरों द्वारा जमीन बेचकर निकल जाने के बाद बुलडोजर लेकर आम जनता की गाड़ी कमाई पर बने मकान गिरने आएगा?
एनसीआर खबर इस पूरे प्रोजेक्ट पर अपनी पड़ताल जारी रख रहा है, आने वाले दिनों में हम ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण, जिला प्रशासन, पुलिस कमिश्नरेट और युपसीडा से इसको लेकर उनकी स्थिति स्पष्ट करने के लिए पत्राचार करेंगे और उसके बाद जो भी जानकारी आएगी वह हम अपने पाठकों को उपलब्ध कराएंगे।


