बिहार के चुनाव नतीजों ने डगमगाया यूपी का विश्वास: अखिलेश का ‘खेल’ पर वार, भाजपा की ‘साजिश’ पर तीखे सवाल

NCR Khabar News Desk
8 Min Read

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे, जिन्होंने महागठबंधन को करारी शिकस्त दी और एनडीए को प्रचंड जीत दिलाई, देश की राजनीति में भूचाल ला चुके हैं। इस अप्रत्याशित परिणाम का असर अब पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में भी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस जीत को ‘खेल’ करार देते हुए भाजपा पर चुनावी ‘छल’ करने का सीधा आरोप लगाया है। उनके बयानों ने न केवल यूपी, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी एक नई बहस छेड़ दी है।

अखिलेश यादव का ‘खेल’ और ‘छल’ का आरोप: क्या है ‘SIR’ का सच?

अखिलेश यादव ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से सुबह 6:45 बजे एक तीखी टिप्पणी साझा की, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। उन्होंने लिखा, “बिहार में जो खेल SIR ने किया है वो पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, यूपी और बाक़ी जगह पर अब नहीं हो पायेगा क्योंकि इस चुनावी साज़िश का अब भंडाफोड़ हो चुका है. अब आगे हम ये खेल, इनको नहीं खेलने देंगे. CCTV की तरह हमारा ‘PPTV’ मतलब ‘पीडीए प्रहरी’ चौकन्ना रहकर भाजपाई मंसूबों को नाकाम करेगा. भाजपा दल नहीं छल है।”

- Advertisement -
Ad image

यह बयान सीधे तौर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की चुनावी रणनीति पर सवाल से अधिक उनकी निराशा बताता है। अखिलेश यादव के अनुसार, बिहार में जो ‘खेल’ खेला गया है, वह अब अन्य राज्यों में दोहराया नहीं जा सकेगा। उन्होंने ‘SIR’ (Special Intensive Revision) के संदर्भ में अपनी बात रखी, जो चुनाव आयोग द्वारा वोटर लिस्ट को लेकर चलाए जा रहे विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान का संक्षिप्त रूप है।

विपक्षी दल, खासकर सपा, इस ‘SIR’ अभियान पर शुरुआत से ही हमलावर रहे हैं। उनका आरोप है कि इस अभियान के माध्यम से चुनाव आयोग, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के इशारे पर आगामी चुनावों में वोट चोरी करने की तैयारी कर रहा है। बिहार चुनाव के नतीजों के बाद, कांग्रेस नेता उदित राज जैसे प्रमुख विपक्षी नेताओं ने भी महागठबंधन की हार का ठीकरा सीधे तौर पर ‘SIR’ के सिर फोड़ा है।

- Advertisement -
Ad image

भाजपा की ‘दो सौ पार’ की उम्मीदें और ‘अक्ल’ का विश्लेषण

अखिलेश यादव का यह बयान उस समय आया है जब बिहार चुनाव के नतीजे आने के बाद राजनीतिक विश्लेषक और नेता आगामी चुनावी चालों का आकलन कर रहे हैं। उनके बयान के उलट सोशल मीडिया पर ही आई प्रतिक्रियाओ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा यह है कि “बिहार में जो हुआ उसका अंदाजा खुद बीजेपी को नहीं था, एक प्रतिशत भी उम्मीद होती तो वो दो सौ पार का नारा लगा रहे होते।” यह इंगित करता है कि भाजपा की जीत को भी कई लोग करिश्माई या अप्रत्याशित मान रहे हैं।

अपेक्षाओं का स्तर: यदि भाजपा को इतनी बड़ी जीत की उम्मीद होती, तो वे निश्चित रूप से “दो सौ पार” जैसे आक्रामक नारे लगाते, जैसा वे अक्सर करते हैं। उनकी खामोशी या कम आक्रामक नारों का मतलब यह निकाला जा सकता है कि जमीनी हकीकत उनकी अपेक्षाओं से कहीं अधिक सकारात्मक निकली। अब चुनाव परिणाम आने के बाद लोग जल्दबाजी में अपनी उस अक्ल का इस्तेमाल कर रहे है जो परिणाम से पहले घास चरने गई थी।” यह एक कटु टिप्पणी है जो चुनाव पूर्व विश्लेषणों की विफलता को दर्शाती है।

चुनाव के दौरान, कई राजनीतिक पंडितों और विश्लेषकों ने महागठबंधन के मजबूत होने की उम्मीद जताई थी, लेकिन नतीजे इसके विपरीत आए। अब, हार के बाद, लोग ऐसे कारण ढूंढ रहे हैं जो उनकी समझ से परे थे, और अक्सर वे कारण बाहरी कारकों या कथित धांधली जैसे अस्पष्टीकृत कारणों की ओर इशारा करते हैं।

‘PDD प्रहरी’ बनाम ‘BLO’: अखिलेश की नई रणनीति?

अखिलेश यादव ने अपनी पोस्ट में ‘PPTV’ यानी ‘पीडीए प्रहरी’ का भी जिक्र किया है, जिसे वे ‘CCTV’ की तरह काम करने वाला बताते हैं। यह ‘पीडीए’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) गठबंधन के चुनावी ‘प्रहरियों’ या निगरानी दल का प्रतीक है। उनका कहना है कि यह प्रहरी भाजपा के ‘छल’ को बेनकाब करेगा और उनके मंसूबों को नाकाम करेगा।

हालांकि, इस ‘पीडीए प्रहरी’ की अवधारणा पर भी सवाल उठ रहे हैं। एक आलोचनात्मक टिप्पणी में कहा गया है, “हां वो जो अखिलेश यादव PDA प्रहरी की बात कर रहे थे, वो पूरे प्रदेश में कहीं है नहीं, हो सकता है BLO के बगल में सपाइयों फोटो खींच कर उनको भेज दें जिसको वो फेसबुक पर पोस्ट कर देंगे..। सपा उत्तर प्रदेश में बहुत कमज़ोर है, राजद इतनी कमज़ोर नहीं थी..।”

यह टिप्पणी सपा की संगठनात्मक कमजोरी पर जोर देती है, यह सुझाव देते हुए कि उनका ‘पीडीए प्रहरी’ शायद कागजों पर ही सीमित है और उसका जमीनी प्रभाव नगण्य है। चर्चा है कई जगह समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता BLO के बगल में फोटो खींचकर फेसबुक पर पोस्ट कर सकते है जो बताता है कि सपा शायद केवल दिखावटी कार्रवाई कर रही है, जिसमें जमीनी निगरानी का अभाव है।

आगे की राह: यूपी में ‘पीडीए प्रहरी’ का भविष्य और चुनावी लड़ाई

अखिलेश यादव का ‘पीडीए प्रहरी’ का आह्वान, भले ही उसका वर्तमान स्वरूप आलोचना के दायरे में हो, यह दर्शाता है कि सपा चुनावी प्रक्रिया पर पैनी नजर रखने की कोशिश करेगी। उत्तर प्रदेश, जो 2025 के चुनावों के लिए एक प्रमुख राजनीतिक युद्धक्षेत्र होगा, में इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप और निगरानी तंत्र की घोषणाएं स्वाभाविक हैं।

भाजपा के लिए, बिहार की जीत एक बड़ा बूस्टर है, लेकिन वहीं यह विपक्षी दलों को अधिक सतर्क और एकजुट होने के लिए प्रेरित कर सकती है। यदि अखिलेश यादव का ‘पीडीए प्रहरी’ वास्तव में जमीनी स्तर पर काम कर पाता है और सपा अपनी संगठनात्मक कमजोरियों को दूर कर पाती है, तो उत्तर प्रदेश की चुनावी लड़ाई और भी दिलचस्प हो जाएगी।

यह देखना बाकी है कि क्या ‘SIR’ अभियान वस्तुतः कथित चुनावी धांधली का एक उपकरण साबित होता है, या यह केवल विपक्षी दलों द्वारा चुनावी हार को स्वीकार न करने का एक बहाना है। बिहार के नतीजे एक संकेत हैं कि राजनीति में अप्रत्याशितता की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है, और जो ‘खेल’ अभी खेला गया है, वह भविष्य के चुनावों के लिए एक नई पटकथा लिख सकता है। फिलहाल, यूपी में राजनीतिक गरमाहट लगातार बढ़ रही है, और ‘पीडीए प्रहरी’ के साथ-साथ ‘सीबीआई’ (केंद्रीय जांच ब्यूरो) जैसे केंद्रीय एजेंसियों के संभावित इस्तेमाल पर भी राजनीतिक पंडितों की तीखी नजरें हैं, जो आने वाले समय में कई और ‘खेलों’ को जन्म दे सकती हैं।

Support NCRKhabar
Share This Article
एनसीआर खबर दिल्ली एनसीआर का प्रतिष्ठित हिंदी समाचार वेब साइट है। एनसीआर खबर में हम आपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय,सुझाव और ख़बरें हमें mynews.ncrkhabar@gmail.com पर भेज सकते हैं या 09654531723 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं हम आपके भरोसे ही स्वतंत्र ओर निर्भीक ओर दबाबमुक्त पत्रकारिता करते है I इसको जारी रखने के लिए हमे आपका सहयोग ज़रूरी है I अपना सूक्ष्म सहयोग आप हमे 9654531723 पर PayTM/ GogglePay /PhonePe या फिर UPI : 9654531723@paytm के जरिये दे सकते है