ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा के निवासियों के लिए आवागमन अब और अधिक सुविधाजनक और पर्यावरण-अनुकूल होने वाला है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण बोर्ड ने हाल ही में क्षेत्र के भीतर ई-साइकिलिंग के संचालन के प्रस्ताव को अपनी अंतिम मंजूरी दे दी है। इस महत्वपूर्ण निर्णय को ग्रेटर नोएडा की बढ़ती आबादी और यातायात चुनौतियों को ध्यान में रखकर लिया गया है।
प्राधिकरण ने बताया कि यह पूरी परियोजना बीओटी (बिल्ट ऑपरेट ट्रांसफर) मॉडल के माध्यम से संचालित की जाएगी, जिसका उद्देश्य बिना किसी सरकारी वित्तीय बोझ के आवश्यक सेवाएं प्रदान करना है।

निविदाकर्ता उठाएंगे संचालन का पूरा खर्च
परियोजना के कार्यान्वयन के लिए शीघ्र ही ई-निविदा प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जिसके माध्यम से सर्वश्रेष्ठ एजेंसी का चयन किया जाएगा। बोर्ड के समक्ष रखे गए प्रस्ताव के अनुसार, चयनित एजेंसी (निविदाकर्ता) को शहर में ई-साइकिल स्टेशन स्थापित करने के लिए विभिन्न स्थानों पर 25 वर्ग मीटर तक जगह आवंटित की जाएगी।
प्राधिकरण ने स्पष्ट किया है कि साइकिल स्टेशनों के निर्माण, संचालन और रखरखाव का पूरा खर्च निविदाकार ही वहन करेगा। इससे परियोजना की सफलता सुनिश्चित होगी और प्राधिकरण संसाधनों का उपयोग अन्य विकास कार्यों में कर सकेगा।

लास्ट माइल कनेक्टिविटी का मजबूत विकल्प
यह परियोजना ग्रेटर नोएडा की यातायात व्यवस्था के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती है। प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि ई-साइकिल सेवा शुरू होने से सड़कों पर निजी वाहनों का दबाव काफी कम होगा। निवासियों को अब मेट्रो स्टेशन या बस स्टैंड से अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए ‘लास्ट माइल कनेक्टिविटी’ का एक किफायती और सुलभ विकल्प मिल जाएगा।
बढ़ते शहरीकरण के दौर में, ई-साइकिल केवल सुविधा ही नहीं, बल्कि पर्यावरण नियंत्रण का भी महत्वपूर्ण साधन बनेंगी। इनके इस्तेमाल से न केवल आवागमन पर होने वाले खर्च में कमी आएगी, बल्कि शहर के प्रदूषण स्तर को नियंत्रित करने में भी बड़ी मदद मिलेगी। प्राधिकरण का यह कदम ग्रेटर नोएडा को एक स्मार्ट और सस्टेनेबल (टिकाऊ) शहर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।


