भारतीय सिनेमा के ‘ही-मैन’ और करोड़ों दिलों पर राज करने वाले दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र ने 89 साल की उम्र में सोमवार, 24 नवंबर 2025 को दुनिया को अलविदा कह दिया है। उनके निधन की खबर से पूरा देओल परिवार सदमे में है, वहीं भारतीय सिनेमा जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे धर्मेंद्र पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे थे।
धर्मेंद्र के निधन की पुष्टि प्रोड्यूसर करण जौहर ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए की, जिससे इस दुखद खबर पर मुहर लग गई। करण जौहर ने अपने X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर दिग्गज अभिनेता को श्रद्धांजलि देते हुए भावुक टिप्पणी की, “एक युग का अंत हो गया।” यह टिप्पणी सिर्फ एक वाक्य नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा के एक स्वर्णिम अध्याय के समापन का प्रतीक है, जिसने दशकों तक दर्शकों का मनोरंजन किया और उन्हें अपनी अदाकारी से बांधे रखा।

स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं और अंतिम क्षण
जानकारी के अनुसार, धर्मेंद्र पिछले कुछ समय से उम्र संबंधी बीमारियों से ग्रस्त थे। उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां कई दिनों तक उनका इलाज चला। अस्पताल में उपचार के बाद, सुधार दिखने पर उन्हें घर ले जाया गया, जहां उनका इलाज जारी रखा गया था। हालांकि, समय के साथ उनकी तबीयत में अपेक्षित सुधार नहीं हुआ और स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता चला गया। आज सुबह उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने के बाद उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से परिवार और प्रशंसकों में गहरा दुख व्याप्त है।

बॉलीवुड दिग्गजों का जमावड़ा, गमगीन माहौल
धर्मेंद्र के निधन की खबर मिलते ही बॉलीवुड के कई दिग्गज और करीबी लोग उनके जुहू स्थित आवास पर पहुंचने लगे। महानायक अमिताभ बच्चन से लेकर देओल परिवार के सदस्य—सनी देओल, बॉबी देओल, ईशा देओल—और अन्य फिल्मी हस्तियां धर्मेंद्र को अंतिम श्रद्धांजलि देने और शोक संतप्त परिवार को सांत्वना देने के लिए मौजूद थीं। उनके घर के बाहर एक उदासी भरा माहौल छाया हुआ था, जहां प्रशंसक भी अपने चहेते सितारे को आखिरी बार देखने के लिए जमा थे।
एक युग का अंत: धर्मेंद्र की विरासत
8 दिसंबर 1935 को पंजाब के नसराली में जन्मे धर्मेन्द्र सिंह देओल ने लगभग छह दशकों तक हिंदी सिनेमा में राज किया। अपनी बेमिसाल शख्सियत, सहज अभिनय और ‘ट्रेजेडी किंग’ से लेकर ‘एक्शन किंग’ तक की उपाधि हासिल करने वाले धर्मेंद्र ने हर तरह के किरदारों को जीवंत किया। उनकी आंखें, जिनमें एक तरफ गंभीरता और दूसरी तरफ मासूमियत झलकती थी, दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ गईं।
उन्होंने 1960 में ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ से अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। ‘फूल और पत्थर’, ‘अनोखी रात’, ‘मेरा गांव मेरा देश’, ‘शोले’, ‘जय-विजय’, ‘चरस’, ‘धरम-वीर’, ‘जुगनू’, ‘प्रतिज्ञा’, ‘चुपके चुपके’, ‘सीता और गीता’ जैसी सैकड़ों फिल्मों में उन्होंने अपने अभिनय का लोहा मनवाया। ‘शोले’ में वीरू के किरदार ने उन्हें अमर कर दिया, जिसे आज भी भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित किरदारों में से एक माना जाता है। अपनी पत्नी हेमा मालिनी के साथ उनकी जोड़ी पर्दे पर काफी पसंद की गई।
धर्मेंद्र ने न केवल अपनी फिल्मों से दर्शकों का मनोरंजन किया, बल्कि अपनी सादगी और मिट्टी से जुड़े व्यक्तित्व से भी लोगों के दिलों में जगह बनाई। उन्हें 1997 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया था, और 2012 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से अलंकृत किया।
धर्मेंद्र का जाना भारतीय सिनेमा के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी यादें, उनके किरदार और उनका ‘ही-मैन’ अंदाज हमेशा सिनेमा प्रेमियों के जहन में जिंदा रहेगा। यह सचमुच एक युग का अंत है, लेकिन उनकी विरासत हमेशा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी।


