BYE BYE 2025 : ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के 5 अपेक्षित प्रोजेक्ट जो 2025 में भी नहीं हुए पुरे

आशु भटनागर
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आशु भटनागर । 2025 के अंतिम पखवाड़े में कुछ ही दिन शेष हैं, ऐसे में एनसीआर खबर ने इस वर्ष की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं और अधूरे सपनों पर आधारित एक विशेष श्रृंखला शुरू की है। इसके पहले एपिसोड में, हम यमुना प्राधिकरण, दुसरे एपिसोड में नोएडा प्राधिकरण पर चर्चा कर चुके हैं आज तीसरे एपिसोड में हम ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के के उन पांच जन अपेक्षित प्रोजेक्ट्स पर गहन विश्लेषण प्रस्तुत कर रहे हैं, जिन्हें 2025 के अंत तक हो जाना चाहिए था था । 2025 में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ एन जी रवि कुमार ने शहर को वह सब दिया जिसकी अपेक्षा नगर वासियों को बीते 10 वर्षों से थी लंबी चौड़ी स्मूथ सड़के, नए कमर्शियल प्रोजेक्ट और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को कर्ज से उभार कर प्राधिकरण के बैंक अकाउंट में 1500 करोड़ की बैंक एफडी करना हो, सीईओ एन जी रवि कुमार ने ने एक सुपर मैंन की भांति इन सबको रिकार्ड समय में पूरा किया। आज सक्क तो ये है किसान चौक पर लम्बे समय से लगने वाले जाम को लोग भूल ही गए हैं। किंतु उसके बावजूद पांच जन अपेक्षित प्रोजेक्ट पर जनता इस वर्ष भी इंतजार ही कर रही है

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ग्रेटर नोएडा वेस्ट में श्मशान घाट – “फाइल चल गई काम नहीं शुरू हुआ”

ग्रेटर नोएडा वेस्ट, जो 2016 में लगभग 5‑लाख की जनसंख्या के साथ शुरू हुआ था, अब 15 लाख के आस‑पास पहुँचा है। इस तीव्र जनसंख्या‑वृद्धि के साथ ही श्मशान घाट की आवश्यकता भी स्पष्ट हुई, परन्तु सेक्टर 94, नोएडा में स्थित स्थापित श्मशान घाट के समान यहाँ कोई स्थायी सुविधा नहीं बन पाई। परिणामस्वरूप, शहर के निवासियों को अपने अन्त्येष्टि कार्यों के लिये हर बार नोएडा या दिल्ली तक जाना पड़ता है

ग्रेटर नोएडा वेस्ट प्राधिकरण के सीईओ एनजी रवि कुमार ने इस समस्या को सुलझाने के लिये बिसरख में हरनंदी नदी के किनारे एक श्मशान घाट के निर्माण के लिये योजना तैयार करवाई ।योजना के टेंडर दस्तावेज़ में 40 दाह संस्कार प्लेटफ़ॉर्म, मंदिर, लकड़ी का गोदाम, प्रार्थना स्थल, सीसी‑रोड, 120 कारों की पार्किंग और चारदीवारी की योजना शामिल है।

दुखद तथ्य ये है कि इसको लेकर समाजसेवियों से लेकर क्षेत्रीय विधायक तक ने क्रेडिट लिया किंतु 2025 समाप्त होते होते शमशान घाट की फाइल कहाँ चली गये कि उद्घाटन तो दूर की बात शिलान्यास भी नहीं हो सका जिसके चलते शहर में रहने वाले लोग आज भी नोएडा जाने को मजबूर है ।

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मेट्रो का इंतज़ार: 9 साल में हुए बड़े बदलावों के बीच सार्वजनिक परिवहन का अंधेरा

पिछले तीन वर्षों में ग्रेटर नोएडा वेस्ट और ग्रेटर नोएडा दोनों ने तेज़ी से शहरी विकास देखा है—आधुनिक इमारतें, मल्टी‑प्लाज़ा, और आईटी पार्कों का उदय इस क्षेत्र को “रियल एस्टेट का हॉटस्पॉट” बना रहा है। फिर भी, इस तेज़ी के साथ एक बुनियादी आवश्यकता—सार्वजनिक परिवहन—अभी भी अधूरी है। 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान कई प्रमुख राजनीतिक दलों ने ग्रेटर नोएडा वेस्ट को मेट्रो लाइन से जोड़ने की घोषणा की। बाद में 2022 विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव में भी इस वादे को दोहराया गया। 2024 के बाद नेफोवा जैसी संस्थाओं ने लम्बे समय तक “कब आयेगी मेट्रो” जैसे स्लोगन के साथ प्रत्येक रविवार आन्दोलन भी किये। जिस पर राजनेताओ और एनएमआरसी (Noida Metro Rail Corporation) ने भी “मेट्रो शीघ्र ही आएगी” के कई अपडेट जारी किए।

यद्यपि यह ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीधे कंट्रोल में नहीं आता किंतु मेट्रो को चलने वाली संस्था एनएमआरसी में नोएडा ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण तीनों ही भागीदार हैं और सीईओ एनजी रवि कुमार से नगरवासियों की अपेक्षाए है कि वो ही इस मेट्रो को लोगो के लिए लाने में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं, फिहाल 2025 के अंत में भी, इस क्षेत्र के लगभग 1.2 लाख दैनिक यात्रियों को अभी भी अपनी निजी कार से ऑफिस‑ऑफ़िस जाना पड़ रहा है और नगर वासियों के लिए इसकी प्रतीक्षा जारी है

वहीं स्थानीय सार्वजानिक परिवहन पर भी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में भी स्पस्ट पालिसी नहीं है I तीनो प्राधिकरण के लिए 500 ई बसों को दिए जाने कि चर्चा तो हुई पर धरातल पर कुछ नहीं दिखा I असल में नोएडा प्राधिकरण के नोएडा ट्रैफिक सेल के उलट ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में अर्बन विभाग ही ट्रांसपोर्ट पर काम करता दिखाई दे रहा है पर उसका प्रभाव शून्य है I

तोशा इंटरनेशनल, टी‑सीरीज और TPL के कारण तीन मुख्य सडको पर अतिक्रमण

सार्वजनिक परिवहन को सुगम बनाने के लिए कई सडको को बनवाने वाले सीईओ एनजी रविकुमार की प्रगति एक्सप्रेस तीन स्थानों पर लडखडा गयी I इनमे तोशा इंटरनेशनल से विवाद के कारण तिलपता‑देवला गांव के पास स्थित 200 मीटर की टूटी सड़क हो या फिर नामोली गाँव के पास टी‑सीरीज़ के कारण LG चौक से एडवांट तक के 1.2 किमी कि सडक हो या फिर 60 मीटर सड़क पर पुलिस‑लाइन के निकट टीपी एल कम्पनी के कारण रुकी सडक हो तीनो ही प्रकरणों में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और सीईओ एन जी रवि कुमार के कदम ठिठक गए। तीनो ही कम्प्नोयो के साथ प्राधिकरण के विवाद का कारण इनके पास प्राधिकरण के जनम से पहले लैंड बैंक का होना है।

दरअसल बीते 15 वर्षों से ग्रेटर नोएडा वेस्ट और ग्रेटर नोएडा को जोड़ने वाली लाइफ लाइन कही जाने वाली 130 मीटर सड़क का 200 मीटर हिस्सा तिलपता चौक के पास आते आते किसी पिछड़े हुए गांव से भी बदतर हो जाती है । असल में वहां कभी सड़क बनी ही नहीं है I लोगो का दावा है कि बरसों से सड़क से गुजरते प्रतिदिन 50000 वाहनों और वाहन चालकों की समस्या पर एक पूंजीपति के लालच और जिद के आगे कानून, सरकार, प्राधिकरण सब बेबस है  और सड़क उसी स्थिति में है I

वहीं नामोली गाँव में भी इसी तरज टी सीरीज के कारण LG चौक से एडवांट तक के 1.2 किमी कि सडक रुकी हुई है I यधपि प्राधिकरण का दावा है कि इस सडक को लेकर प्रक्रिया सुलझा ली गयी है और टेंडर जल्द जारी होगा , वहीं टी सीरीज के सूत्र भी सडक के लिए ज़मीन देने को मना तो नहीं करते हैं पर बाकी भमि पर विवाद को मान कर उसके लिए अड़े है I सच कुछ भी हो पर सड़क पर अभी निर्माण शुरू नहीं हुआ है I इसी तरह TPL कम्पनी के कारण भी 60 मीटर सड़क पर अतिक्रमण के चलते लोगो को को पुलिस लाइन से घुम कर जाना पड़ता है I

कुलेसरा‑सूरजपुर‑दादरी रेलवे रोड तक एलिवेटेड‑रोड की मांग, पर अभी दिल्ली दूर

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र के भीतर, कुलेसरा से सूरजपुर, फिर दादरी रेलवे रोड तक चलने वाली मुख्य राजमार्ग पर रोज़ाना बढ़ता ट्रैफ़िक जाम, जल भराव स्थानीय नागरिकों की शिकायत बन चुका है। कई बार योजना‑परामर्श, सार्वजनिक सुनवाई और “सड़क सुधार” के ऐलान हो चुके हैं, परंतु ठोस कार्य‑प्रणाली अभी तक धरातल पर नहीं उतरी। सूरजपुर‑तिलकता चौराहे से लेकर कुलेसरा तक की दो‑लेन वाली सड़क, जिसके दोनों ओर कई औद्योगिक इकाइयाँ, आवासीय कॉम्प्लेक्स और छोटे‑बड़े ग्रामीण बाजार स्थित हैं, हर शाम के पिक‑ऑफ़ टाइम में 75 % से अधिक क्षमता पर चलती दिखती है।

बारिश के मौसम में जल‑भराव, असमान सतह और अनियमित निर्माण कार्यों के कारण सड़कों की ध्वस्त‑स्थिति और भी बिगड़ जाती है। पर इसको लेकर सामाजिक राजनैतिक इच्छाशक्ति की कमी आज भी इसका समाधान ना होने का प्रमुख कारण है। इसके दोनों तरफ अवैध कालोनियों कि भरमार है जिसमे सत्ता और विपक्ष दोनों के आशिर्बाद से लोग खड़े रहेते है I संभवत इसी कारण प्राधिकरण भी इस एलिवेटेड रोड पर काम शुरू नहीं करना चाहता क्योंकि इसके चलते राजनीती होगी उससे काम भले ही न अहो पर विवाद बड़े हो जायेंगे फिलहाल 2025 लोगो के लिएय जाम में बीत गया है और 2026 में भी कोई आसार नहीं हैI

लोगो के लिए रामलीला मैदान, हैबिटेट सेण्टर जैसे मनोरंजक स्थल की कमी

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने 1991 से अपनी स्थापना के बाद बीते 3 दशक में में कई नये सेक्टर, औद्योगिक पार्क और हाई‑राइज सोसाइटी‑कॉम्प्लेक्स तैयार किए हैं, परन्तु शहर के बुनियादी सामाजिक‑सांस्कृतिक सुविधाओं को नज़रअंदाज़ किया गया है। विशेषकर रामलीला मैदान, सामुदायिक हॉल, नोएडा हाट, वेस्ट ऑफ़ वंडर पार्क और हैबिटेट सेंटर जैसी जगहों की कमी माध्यम वर्ग और स्थानीय नागरिकों के बीच तेज़ी से चर्चा का विषय बन गई है। साथ ही जो पार्क या जन सिविधाये विकसित भी की गयी थी उनको रखरखव कि कमी के चलते बदहाल हालत में देखा गया है।

पिछले दो दशकों में ग्रेटर नोएडा ने 30‑से‑अधिक नये सेक्टर, 12 औद्योगिक क्लस्टर और कई वाणिज्यिक कॉम्प्लेक्स का निर्माण किया। इन प्रोजेक्ट्स के कारण रियल एस्टेट कीमतें 150 % तक बढ़ी, जबकि सार्वजनिक‑खेल‑मैदान, सांस्कृतिक‑स्थल और बच्चों‑के‑विकास केंद्रों में निवेश न्यूनतम रहा। ग्रेटर नोएडा के ईस्ट और वेस्ट दोनों इलाकों में रहने वाले पेशेवर वर्ग ने हाल ही में एनसीआर खबर के सर्वेक्षण में 78 % उत्तरदाताओं से कहा कि उन्हें निकटवर्ती रामलीला मैदान, नोएडा हाट, वेस्ट ऑफ़ वंडर पार्क या हैबिटेट सेंटर की आवश्यकता है। ऐसा नहीं है कि यहाँ इसके लिए सोचा नहीं गया है I बाकायदा रीक्रिएशनल ग्रीन (Recreational Green ) जैसे सेक्टर बनाये गए थे किन्तु इन स्थानो को पूर्व में बैक्वेट हाल जैसे कार्यो के लिए एलोट कर दिया गया या फिर यूँ कहे कि अलाटमेंट भले ही कुछ हुआ पर उस पर बैक्वट हाल बना लिए गए । फिलहाल कोई स्पस्ट पालिसी ना होने के कारण 2025 में भी ये शहर रियल एस्टेट क्रांति की ही बातें कर रहा है जहाँ री सेल में प्रापर्टी के दाम तो बढ़ रहे है पर एक बेह्टर जीवन शैली की चाह समाप्त होती जा रही है

आगे का रास्ता: 2026 में क्या?

2025 की संतुष्टि भरी पर “ये दिल मांगे मोर” वाली यात्रा के बाद, यह आवश्यक है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण इन प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए तेजी से काम करे और सार्वजनिक परिवहन, मेट्रो शमशान घाट, रामलीला मैदान, नोएडा हाट, वेस्ट ऑफ़ वंडर पार्क या हैबिटेट सेंटर और सेवाओं को लाने के लिए आवश्यक कदम उठाए।

अगले एपिसोड में — जिला प्रशासन के लक्ष्यों पर विशेष विश्लेषण।

पिछले एपिसोड में — नोएडा प्राधिकरण के लक्ष्यों पर विशेष विश्लेषण।

यमुना प्राधिकरण के रुके हुए प्रोजेक्ट्स पर विशेष विश्लेषण

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आशु भटनागर बीते 15 वर्षो से राजनतिक विश्लेषक के तोर पर सक्रिय हैं साथ ही दिल्ली एनसीआर की स्थानीय राजनीति को कवर करते रहे है I वर्तमान मे एनसीआर खबर के संपादक है I उनको आप एनसीआर खबर के prime time पर भी चर्चा मे सुन सकते है I Twitter : https://twitter.com/ashubhatnaagar हम आपके भरोसे ही स्वतंत्र ओर निर्भीक ओर दबाबमुक्त पत्रकारिता करते है I इसको जारी रखने के लिए हमे आपका सहयोग ज़रूरी है I एनसीआर खबर पर समाचार और विज्ञापन के लिए हमे संपर्क करे । हमारे लेख/समाचार ऐसे ही सीधे आपके व्हाट्सएप पर प्राप्त करने के लिए वार्षिक मूल्य(रु999) हमे 9654531723 पर PayTM/ GogglePay /PhonePe या फिर UPI : ashu.319@oksbi के जरिये देकर उसकी डिटेल हमे व्हाट्सएप अवश्य करे