राजेश बैरागी I किसी संस्थान के जन्मदिन पर कैसा माहौल होता है? और यदि वह संस्थान किसी अत्याधुनिक नगर को बसाने और विकसित करने की जिम्मेदारी निभाने वाला हो तो स्थापना दिवस का समारोह कई दिनों का भी हो सकता है। परंतु ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में आज ऐसा कुछ भी नहीं है।
आज ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का 34 वां जन्मदिन है। इस दौरान प्राधिकरण ने नोएडा की बगल में उससे भी बेहतर एक शहर बसा दिया परंतु कालचक्र का प्रभाव देखिए कि कभी एक सप्ताह तक जश्न में डूबे रहने वाले प्राधिकरण के जन्मदिन पर आज कहीं कोई चर्चा भी नहीं है।

तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव सरकार द्वारा 28 जनवरी 1991 को स्थापित ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण बीते कल 33 बरस का हो गया। आज प्राधिकरण का 34 वां जन्मदिवस है। किसी व्यक्ति और संस्थान के जीवन में 34 वें जन्मदिन का कितना महत्व है? यह कोई विशेष संख्या तो नहीं है परंतु एक परिपक्व और जिम्मेदार होने का प्रमाण अवश्य है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की स्थापना गाजियाबाद और बुलंदशहर के लगभग सवा सौ गांवों की भूमि पर हुई थी।
1996 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती द्वारा दोनों जनपदों को काटकर गौतमबुद्धनगर जिले का गठन किया गया तो ग्रेटर नोएडा का संपूर्ण अधिसूचित क्षेत्र इसी जनपद में आ गया। पिछले तैंतीस वर्षों में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने तमाम उतार चढ़ाव देखे हैं। एक बीहड़ जैसे क्षेत्र को विकसित कर अत्याधुनिक नगर बसाया जा चुका है। कभी एक गांव से दूसरे गांव तक जाने के लिए खराब पगडंडियों के मुहताज स्थानीय निवासियों को दिल्ली, लखनऊ, आगरा, जयपुर, गाजियाबाद कहीं भी आने जाने को एक्सप्रेस-वे और हाईवे मयस्सर हो गये हैं।

नोएडा ग्रेटर नोएडा और दिल्ली के बीच मेट्रो दौड़ रही है। देश विदेश की सैकड़ों औद्योगिक इकाइयों से निवेश और रोजगार का क्षेत्र रौशन है तो गगनचुंबी सामूहिक आवासीय परिसर, मॉल, पांच नॉलेज पार्क तक एक संपूर्ण नगर की परिकल्पना साकार हो चली है। परंतु आज 34 वें स्थापना दिवस का कहीं अता-पता नहीं है। प्राधिकरण के कई अधिकारियों ने आज जन्मदिन होने से ही अनभिज्ञता जताई।
अब से बीस बरस पहले तत्कालीन प्राधिकरण अध्यक्ष और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के शिल्पी ब्रजेश कुमार एक सप्ताह तक प्राधिकरण का स्थापना दिवस समारोह आयोजित कराते थे।उस दौरान प्राधिकरण कर्मियों और स्थानीय निवासियों के संयुक्त तत्वावधान में खेल-कूद, सांस्कृतिक और लोक कलाओं से संबंधित कार्यक्रमों की धूम रहती थी। फिर यह औपचारिक रूप से एक दिवसीय होने लगा।अंतर प्राधिकरण कर्मचारियों के स्थानांतरण से प्राधिकरण की शक्ति,समझ और संस्कृति सभी कुछ धूमिल हो गया है। आज मैंने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के विशाल भवन को देखा। वह अपने जन्मदिवस से बेखबर था I



