राजनिति में दिन बहुरते समय नहीं लगता है । बीते काफी समय से भारी विरोध झेल रहे गौतम बुध नगर सांसद डा महेश शर्मा के साथ ऐसा होता दिख रहा है । जिले की राजनीतिक चर्चाओं में लगातार विरोध झेल रहे डॉक्टर महेश शर्मा के विरोधियों के एक-एक करके किनारे होने से डॉक्टर महेश शर्मा को एक बार पुनः टिकट मिलने के चांस मिलते दिख रहे हैं भाजपा के सूत्रों की माने तो कोविड काल से लगातार डॉक्टर महेश शर्मा के खिलाफ जिले में जो माहौल उनके राजनीतिक विरोधी गुट ने बनाया फिलहाल वह समाप्त होता दिखाई दे रहा है ।
कामयाब नही रहे जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह के भागीरथ प्रयास
स्मरण रहे कि 2014 में डा महेश शर्मा द्वारा की संतुति से ही कांग्रेस छोड़ भाजपा में विधायक का टिकट पाए जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह की लॉबी ने 2018 से ही खुलेआम डॉक्टर महेश शर्मा का विरोध करना शुरू कर दिया गया था । यह माना जा रहा था कि लगातार धीरेंद्र सिंह गौतम बुध नगर सीट से सांसद बनना चाहते हैं और ऐसे में वह अपने विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर लगातार नोएडा और ग्रेटर नोएडा में अपनी उपस्थिति दर्ज करने में प्रयासरत रहते थे । इसके लिए दोनों ही शहरो के कई सामाजिक संगठनों, जातीय संगठनों को न सिर्फ खड़ा किया गया बल्कि उनके जरिए सोशल मीडिया पर भी यह माहौल बनाया गया कि जिले के सांसद डॉक्टर महेश शर्मा काम नहीं कर पा रहे हैं उनकी जगह जमीन से जुड़े एक नेता की आवश्यकता है जो एक क्लिक पर काम कर देता है ।
सांसद के टिकट की दावेदारी के लिए अपने ही बने विरोधी
चुनाव से साल भर पहले हर बार की तरह भाजपा के ही राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल अग्रवाल भी मैदान में कूदे और दावा किया कि इस बार उनको गौतम बुद्ध नागर से सांसद पद के लिए चुनाव लड़ने के लिए हाई कमान से हरी झंडी मिल चुकी है गौतम बुध नगर की नोएडा और दादरी सीट से पूर्व में विधायक रहे और पूर्व राज्य मंत्री रहे नवाब सिंह नगर में भी अपना दावा खुलकर सांसद प्रत्याशी के लिए ठोक दिए तो पूर्व जिलाधिकारी बी एन सिंह भी अघोषित तौर पर सांसद पद के प्रत्याशी के तौर पर अपनी दावेदारी ठोकते नजर आए।
इन सब के बाद जिले के सबसे पहले सांसद और वर्तमान में भाजपा से सांसद रहे सुरेंद्र सिंह नागर भी की भी दावेदारी की चर्चाएं जब शुरू हुई तो यह माना गया कि इस बार विरोधियों के जाल से डॉक्टर महेश शर्मा के टिकट का बच पाना मुश्किल है। चर्चाएं तो यहां तक शुरू हो गई की धीरेंद्र सिंह की तरह ही डॉक्टर महेश शर्मा की संतुति पर बसपा से भाजपा में आए और दादरी विधानसभा से दो बार विधायक बने तेजपाल नागर भी चुनाव की दौड़ में दिखाई देने लगे। लोगों की चर्चाओं के बीच ऐसा लगने लगा की डॉक्टर महेश शर्मा के खिलाफ बढ़ते माहौल में हर कोई अपना दांव आजमा लेना चाहता था ।
वक्त बुरा आया तो पीड़ित महिला की मदद को भी साजिशन बना दिया गया जातीय विरोध का चक्रव्यूह
हद तो तब हो गई जब नोएडा की एक सोसाइटी में महिला से बदतमीजी करने वाले श्रीकांत त्यागी की गुंडई के खिलाफ खड़े होने वाले सांसद डा महेश शर्मा को जाती विशेष का विरोधी बताकर नोएडा में एक बड़ा आंदोलन तक करवा दिया गया जिसमें दावा किया गया कि अगर डॉक्टर महेश शर्मा को यहां से टिकट मिला तो पूरे पश्चिम उत्तर प्रदेश में उस जाति के लोग भाजपा के खिलाफ वोट डालेंगे । अपनी ही पार्टी में अपने ही द्वारा ले गए विधायकों और सांसदों के द्वारा इस तरीके के चक्रव्यूह के बीच डॉक्टर महेश शर्मा अभिमन्यु की भांति बेबस नजर तो आए, किन्तु पार्टी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और कार्यों के बलबूते वह यह भरोसा जताते भी रहे की झूठ की ये धुंध कितने भी घनी हो किंतु एक दिन सच का सूर्य जरूर उगेगा ।
लगातार विरोध और रोज नए-नए दावेदारों से गौतम बुद्ध नगर की राजनीतिक रणभूमि सज गई और ऐसा लगने लगा कि इस बार डॉक्टर महेश शर्मा की जगह राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर, जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह, पूर्व जिलाधिकारी बी एन सिंह और राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल अग्रवाल जैसे नाम में से कोई एक अपनी दावेदारी कर देगा । राजनीतिक विश्लेषक दावा करते हैं कि यह सब नाम भले ही अलग-अलग दावा करते दिखाई दे रहे थे किंतु इन सब की धुरी जेवर से ही संचालित हो रही थी ऐसे में यह मान लिया गया था कि इतने भारी विरोध के बाद डॉक्टर महेश शर्मा के टिकट का होना संभव नहीं है।
किंतु जैसा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी ने कभी एक नारा दिया था अंधेरा छटेगा सूरज उगेगा कमल खिलेगा । इसी तरीके से धीरे-धीरे करके तमाम दावेदारों के दावे हवा होने लगे । सबसे पहले भाजपा ने नवाब सिंह नगर को सहारनपुर लोकसभा क्षेत्र से प्रभारी बनाकर उनको इस राजनीतिक रस से बाहर किया गया, वहीं राज्यसभा सांसद सुरेंद्र सिंह नागर को हरियाणा से लोकसभा प्रभारी बनाया गया तो उनके दावे के खत्म होने की सूचना आई। बदले हालत मे धीरेंद्र सिंह स्वयं पीछे हटकर अपने दावे से सरेंडर करते नजर आए तो गोपाल कृष्ण अग्रवाल के तमाम प्रयासों के बावजूद जनता के बीच ना जुड़ पाने से उनका दावा भी खत्म होता नजर आया ।
गोपाल कृष्ण अग्रवाल के समर्थक भी स्वीकार करते हैं कि उनके दावे को नोएडा के भाजपा जिला अध्यक्ष मनोज गुप्ता की मेरठ से दावेदारी से भी नुकसान हो रहा है । वहीं माना जाता है कि जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह को प्रदेश सरकार में उनके ही सजातीय वरिष्ठ नेता ने इस सीट पर दावेदारी से रोक दिया है और संकेत दिया कि फिलहाल उन्हें शांत रहने की आवश्यकता है, नहीं तो भाजपा में उनके राजनीतिक भविष्य को नुकसान हो सकता है जिसका असर 2027 विधान सभा चुनावो मे उनके टिकट पर भी हो सकता हैI विश्लेषको की माने तो जेवर धीरेंद्र सिंह की एक दुविधा यह भी है कि जिले में दो विधायक और क्षेत्रीय विधायक के भी ठाकुर होने से यहां पर उनकी दावेदारी मिलना असंभव है । उनके क्षेत्र में लगातार अधिग्रहण न हो पाने और किसानों के विरोध के चलते भी अब समस्याओं का रुख उनकी तरफ मुड़ गया है ।
तीन विधायकों की नाकामी बनी सांसद डा महेश शर्मा की परेशानी
इसी बीच नोएडा में भाजपा की राजनीति के खिलाफ बैक डोर से खड़े हुए तमाम किसान आंदोलन में तीनों विधायकों की जगह सांसद डॉक्टर महेश शर्मा के खिलाफ दिखाई देने से इन बातों को बल मिला कि क्षेत्र में विधायकों द्वारा काम न कराए जाने का परिणाम भाजपा सांसद को भुगतना पड़ रहा है । ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर डा रूपेश कुमार वर्मा के नेतृत्व में चले 100 दिन के धरने में दादरी विधायक तेजपाल नागर जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह और राज्यसभा सांसद सुरेंद्र सिंह नागर नाकाम हो अपने हाथ जलाते भी दिखे तो वही नोएडा में सुखबीर खलीफा द्वारा किए गए धरने में नोएडा विधायक पंकज सिंह समाधान की जगह आंदोलनकारी के साथ बैठने की धमकी आईडीसी मनोज कुमार सिंह को देते नजर आए । लोगों का कहना है कि किसान आंदोलन के नाम पर विधायकों द्वारा कुछ भी काम ना किए जाने के बाबजुद विधायको की जगह सांसद डा महेश के खिलाफ हो रहे धरने प्रायोजित लगते हैं। यहां तक की इन तथा कथित किसान नेताओं की प्रतिबद्धताएं भाजपा के ही सांसद विरोधी नेताओं के साथ स्पष्ट दिखाई देती हैं।
ऐसे में महेश शर्मा डॉ महेश शर्मा के सामने अब गौतम बुद्ध नगर के तमाम सर्वे के बाद यह बताया जा रहा है कि पूर्व जिलाधिकारी बी एन सिंह एकमात्र दावेदार बचें हैं जिसके बाद कहीं ना कहीं यह माना जा रहा है की डॉक्टर महेश शर्मा के खिलाफ खड़े हुए विरोधियों के बादल छट चुके हैं और उनके टिकट का सूर्य एक बार फिर से निकलने को बेताब है इसके बाद गौतम बुध नगर में एक बार फिर से उनकी जीत का कमल खिलेगा ।
वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का एक गुट अभी भी इस उम्मीद में है कि किसी चमत्कार के जरिए जिलाधिकारी बी एन सिंह को टिकट मिल सकता है या फिर इस सीट पर कोई महिला दावेदारी आ सकती है हालांकि इन बातों में अब कितना दम रह गया है यह आने वाले 15 दिनों में स्पष्ट हो जाएगा।