आशु भटनागर I उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर स्थिति साफ होते ही यह स्पष्ट हो गया कि गौतम बुद्ध नगर सीट समाजवादी पार्टी के हिस्से में आएगी। जानकारी के अनुसार कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में 17 सीट खुद रखकर बाकी समाजवादी पार्टी एवं अन्य छोटे दलों के लिए छोड़ दी हैं ।
इसी के साथ उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के द्वारा बची हुई सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने के लिए मंथन शुरू हो गया हैI गौतम बुद्ध नगर की राजनीति परंपरागत रूप से समाजवादी पार्टी में गुर्जर समुदाय के इधर उधर घूमती रही है। यहां नोएडा दादरी और जेवर तीनों विधानसभाओं पर पार्टी अब तक गुर्जर समुदाय पर ही अपना दांव और विश्वास जताती रही हैI ऐसे में पीडीए का फॉर्मूला बनाने वाले अखिलेश यादव से इस बार मायावती का प्रिय क्षेत्र कहे जाने वाले गौतम बुद्ध नगर में दलितों और मुस्लिमो की अपेक्षाएं काफी बढ़ गई है ।
जिले के कई दलित चिंतकों का कहना है कि अगर अखिलेश यादव वाकई पीडीए की बात करते हैं और उनका वोट लेना चाहते हैं तो उनको गौतम बुद्ध नगर जैसी सीट पर बहुसंख्यक गुर्जर और ब्राह्मण के दावों से इतर किसी दलित को टिकट देकर यह बताना चाहिए कि वाकई पीडीए में दलित को सम्मान देने की सदिच्छा अखिलेश यादव के मन में है।
वही विधानसभा चुनाव तक में टिकट मांग रहे कई मुस्लिम नेताओं ने भी इस बार गौतम बुद्ध नगर से लोकसभा में मुस्लिम प्रत्याशी के दावे की बात कही है मुस्लिम नेताओं का कहना है कि अखिलेश यादव मुसलमान के वोट तो लेते हैं किंतु मुसलमान को हिस्सा नहीं देना चाहते हैं सलीम शेरवानी जैसे कई बड़े नेता इसी कारण उनसे नाराज हुए हैं और अगर जिले में मुस्लिम दावेदारी को अखिलेश आगे बढ़ते हैं तो लोकसभा चुनाव में पार्टी पर मुसलमान का विश्वास बढ़ेगा
दलित या मुस्लिम दावेदारी की ये समस्या इसलिए भी खड़ी हो गई है क्योंकि स्वामी प्रसाद मौर्य ने जिस तरीके से अखिलेश यादव को दलित विरोधी बताते हुए अपनी राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी का गठन किया है और उन पर मुस्लिम और जाति विशेष की राजनीति करने के आरोप लगाए हैं उसके बाद से अखिलेश यादव पर दबाव है कि वह या तो समाजवादी पार्टी की परंपरागत राजनीति के अंतर्गत इस सीट पर गुर्जर को ही टिकट दे दें या फिर अपनी राजनीति को पीडीए के अंतर्गत लाते हुए एक बदलाव के तहत इस बार किसी दलित या मुस्लिम को मौका दें। ताकि स्वामी प्रसाद मौर्य के कारण होने वाले नुकसान को रोका जा सके।
आपको बता दें कि गौतम बुध नगर से इस बार जिन लोगों ने दावा किया है उनमें गुर्जर समुदाय से एक यादव समुदाय से एक और ब्राह्मण समुदाय से एक दावेदार शामिल है गुर्जर समुदाय से दावा करने वालों में कांग्रेस से आए डॉ महेंद्र नागर, राहुल अवाना, वरिष्ठ वकील रामचरण नागरऔर फकीरचंद नागर है । वही ब्राह्मण समुदाय से पीतांबर शर्मा ने अपनी दावेदारी पार्टी से की है।
स्थिति यह है कि यहां पर टिकट के लिए दावेदारी में भी गुर्जर और ब्राह्मण ही सामने निकल कर आ रहे हैं क्योंकि इस सीट पर यहां मौजूद स्थानीय नेताओं ने की राजनीति अखिलेश यादव की पीडीए की राजनीति की जगह गुर्जर स्वामित्व की राजनीति के तौर पर विकसित हुई है । जिसमें दलित और मुसलमान के लिए कभी कोई स्थान नहीं रहा है ।
स्थानीय नेताओं की गुर्जरों को सब पर प्राथमिकता देने की रणनीति के चलते ही शहर से उभरते हुए ब्राह्मण चेहरे योगेंद्र शर्मा बीते दिनों मौका मिलते ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं मीडिया में आई रिपोर्ट्स के अनुसार योगेंद्र शर्मा को इस बार समाजवादी पार्टी से टिकट के लिए बड़ा दावेदार माना जा रहा था। किंतु कहीं ना कहीं से संकेत दिए गए जिसमें योगेंद्र को यह लगा कि उनका 2022 की तरह एक बार फिर से गुर्जर दावेदारी के आगे किनारे कर दिया जाएगा ऐसे में मौका मिलते ही उन्होंने बीजेपी का दामन थामना ठीक समझा।
ऐसे में बड़ा प्रश्न यही है कि क्या अखिलेश यादव गौतम बुद्ध नगर में पीडीए के तहत किसी दलित या मुस्लिम को टिकट देंगे या फिर अपनी परंपरागत ग्रामीण जातीय राजनीति के अंतर्गत यहां से फिर से एक बार किसी गुर्जर को ही टिकट दे देंगे और इस सीट पर हारना पसंद करेंगे ।