बिहार में जातीय जनगणना की रिपोर्ट आने के बाद पूरे देश में उसे पर सियासत शुरू हो गई देशभर के राजनीतिक दलों ने इस जनगणना के सामने आने के बाद पूरे देश में जातीय जनगणना की मांग करनी शुरू कर दी है । भाजपा के लिए समस्या कुछ ज्यादा बड़ी है I देश के सबसे बड़ी जनसंख्या वाले प्रदेश उत्तर प्रदेश में अब विपक्ष के साथ-साथ भाजपा के सहयोगी दल भी जातीय गणना की मांग को उठाने में लग गए हैं Iएनडीए के घटक दल अपना दल एस और सुभासपा ने भी जातीय जनगणना की मांग के लिए भाजपा पर दबाव बढ़ा दिया है यधपि भाजपा के लिए राहत की बात यह है कि निषाद पार्टी ने जातीय जनगणना को बनाने का प्रयास बताते हुए भाजपा के पक्ष में अपनी बात कही है।
अपना दल इसकी अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने मंगलवार को कहा कि उनकी पार्टी हमेशा से जातीय जनगणना करने की पक्षधर रही है और पूर्व में भी इस मामले को लेकर सड़क से लेकर संसद तक उन्होंने आवाज उठाई है । सोमवार को रायबरेली में उन्होंने जातीय जनगणना को फिर से सही बताया वही सुभासपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अरुण राजभर ने तो पार्टी के गठन को ही जातीय जनगणना के आधार पर होना बता दिया उन्होंने कहा कि सुभासपा रोहिणी आयोग की रिपोर्ट को भी लागू करने की मांग कर चुकी है। भाजपा के लिए राहत की बात यह है कि फिलहाल निषाद पार्टी के अध्यक्ष और प्रदेश के कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने नीतीश कुमार सरकार पर जाति जनगणना के आधार पर जनता को भ्रमित करने के आरोप लगाए हैं उन्होंने जाति जनगणना के लिए 1961 के संसद के आधार पर जातीय जनगणना की मांग की है
विपक्ष के साथ-साथ सहयोगियों के उठने मांग के बीच फिलहाल उत्तर प्रदेश भाजपा ने चुप्पी साध ली है सोमवार को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह नोएडा में सफाई अभियान कार्यक्रम में मौजूद रहे किंतु पत्रकारों के बीच वह किसी भी ऐसे मुद्दे से बचते रहे I उन्होने कहा कि कांग्रेस, सपा, आरजेडी परिवारवाद की राजनीति करते हैं। विपक्षी दलों के नेता जातीय जनगणना के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं। आरजेडी में लालू के बाद तेजस्वी और तेजप्रताप ही आगे रहेंगे, कांग्रेस में सोनिया गांधी के बाद राहुल गांधी ही सर्वोपरि रहेंगे, सपा मे भी मुलायम सिंह यादव के बाद अखिलेश यादव ही पार्टी की कमान संभाल रहे हैं
नोएडा मे भाजपा के कई नेताओं ने एनसीआर खबर से सीधा कुछ भी कहने सेना कर दिया । किन्तु भाजपा में ही कई दलित और ओबीसी नेताओं को अब लगने लगा है कि यदि उत्तर प्रदेश में जातीय जनगणना हो जाए तो बिहार जैसे आंकड़े आने पर उत्तर प्रदेश में भी स्वर्ण को मात्र 15% सीटों पर टिकट और पद देने का दबाव बनाया जा सकता है इसके बाद उनके लिए जिले की राजनीति में आगे बढ़ाने की राह आसान हो सकती है।
गौतम बुध नगर के ही पंजाबी समाज से आने वाले एक नेता ने एनसीआर खबर को स्पष्ट कहा कि यदि सामाजिक हिस्सेदारी के आधार पर ही संगठन में पद और लोकसभा का टिकट मिलने की बात आ जाए तो 2024 में ही लोकसभा का टिकट किसी पंजाबी समुदाय के नेता को मिले I क्योंकि उत्तर प्रदेश में भी ब्राह्मण की संख्या बिहार की तरह 3 से 4% के बीच में ही है इस हिसाब से गौतम बुद्ध नगर की टोटल जनसंख्या में ब्राह्मणों के हिस्सेदारी मात्र 1 लाख के आसपास होगी जिसको फिलहाल बढ़ा चड़ा कर बताया जाता है । ऐसे में लोकसभा में पंजाबी या फिर वैश्य समुदाय के शहरी नेतृत्व को आगे बढ़ाने की मांग की जा सकती है। उन्होंने रहस्य उद्घाटन करते हुए कहा कि गौतम बुद्ध नगर में पंजाबी समाज से आने वाले एक नेता को स्टेपनी की तरह प्रयोग किया हैं I यहाँ आज तक भाजपा ने स्थानीय लोगों को ही महानगर अध्यक्ष का पद दिया है और वर्तमान में भी महानगर अध्यक्ष स्थानीय नेता हैं जबकि इस क्षेत्र में शहरी जनसंख्या का वोट सबसे ज्यादा है । पंजाबी समाज से आए नेताओ को लालीपोप देकर शांत करा दिया जाता है जबकि शहरी क्षेत्र होने के चलते यहाँ पर उक्त नेता को विधायक या महानगर अध्यक्ष तो बनाया जा सकता था I