उत्तर प्रदेश की सियासत में विपक्ष के सहयोगी दल भले ही भाजपा को चुनौती देने के लिए तैयार अखिलेश को दबाव में लेने की राजनीति कर रहा था किंतु क्या अब अखिलेश यादव लोकसभा चुनावो को लेकर इस प्रेशर पालिटिक्स को रिलीज करने के खेल में लग गए हैं ?
यह प्रश्न इसलिए खड़ा हो रहा है क्योंकि अखिलेश यादव ने आज जारी सूची के जरिए एक ही बार में कई सहयोगियों और मठाधीशों की राजनीति और दबाव से अपने आप को मुक्त कर दिया है ।
सबसे पहले काम उन्होंने मिर्जापुर से राजेंद्र एस बिंद के टिकट घोषित कर अपना दाल कमेरावादी के नेताओं की उम्मीद पर पानी फेर कर किया है । दरअसल बुधवार दोपहर को ही अपना दल कमीराबादी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करके घोषणा की थी कि सपा और कांग्रेस वाले इंडिया गठबंधन के साथ वह यूपी में तीन लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे जिम मिर्जापुर कौशांबी और फूलपुर की सीट उन्होंने स्वयं चुन ली थी । इसके बाद दिए माना जा रहा था कि राज्यसभा चुनाव के समय अखिलेश यादव को ब्लैकमेल करने वाली राजनीति के बाद अखिलेश यादव शांत नहीं बैठे थे और उन्होंने आज अपना दल कमेरावादी की घोषणा को उनकी आखिरी गलती मान लिया और संकेत दे दिया कि अब उनके पास होने के लिए कुछ नहीं है ।
दूसरा झटका उन्होंने पीलीभीत सीट पर वरुण गांधी को समाजवादी पार्टी से टिकट देने की चर्चाओं के बीच पीलीभीत से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर भगवान शरण गंगवार को टिकट देकर दिया है । सपा के सूत्रों के अनुसार वरुण गांधी अखिलेश यादव के साथ बारगेनिंग में लगातार दबाव बना रहे थे और इसी दबाव के चलते उन्होंने आज चार सेट नामांकन पत्र खरीद कर मीडिया में संदेश भिजवाया कि वह निर्दलीय भी चुनाव लड़ सकते हैं इसके बाद अखिलेश यादव ने उनकी राजनीति को अपनी सियासत के जरिए बताया की गांधी परिवार के इस चिराग को अखिलेश यादव के सामने झुक कर ही आना पड़ेगा।
तीसरा झटका उसमें अखिलेश यादव ने पश्चिम के नेताओं को दिया है आपको बता दें कि पश्चिम के नेताओं में कई नेताओं ने राज्यसभा चुनाव के समय और बाद मे एमएलसी की दौड़ में खुद को आगे रखने के लिए काफी जोड़-तोड़ की थी । किंतु मेरठ और गौतम बुद्ध नगर की सीट के मामले में सिफारिश के पीछे लेनदेन की बातें सामने आने पर अखिलेश यादव ने यहां भी ऐसे मठाधीशों को झटका देते हुए गौतम बुद्ध नगर से डा महेंद्र नगर की जगह राहुल अवाना का टिकट बदल दिया । वही मेरठ को लेकर की जा रही दबाव की राजनीति में भानु प्रताप का टिकट न बदलकर दबाव की राजनीति कर रहे हैं मठाधीशों को चित कर दिया है।
पार्टी सूत्रों की माने तो लखनऊ में अखिलेश यादव से बैठक में राहुल अवाना के समर्थन में पहुंचे तमाम नेताओं ने मठाधीशों की एक बड़ी लाबी पर कुछ घोषित प्रत्याशी से लेनदेन के आरोप लगाए थे। जिसके बाद अखिलेश यादव ने 3 दिन तक इस सब पर गंभीरता से चिंतन किया और आज फाइनली टिकट बदल दिया। पार्टी सूत्रों के अनुसार अब प्रश्न यह है कि क्या लेनदेन की चर्चाओं वाले मठाधीश क्या अपने पैसों को वापस करेंगे या पार्टी उन पर भी कोई आंतरिक एक्शन लेगी ।
ऐसे में उत्तर प्रदेश की 80 सीटों पर अखिलेश यादव क्या आप दबाव मुक्त होकर चुनाव की तैयारी कर रहे हैं या फिर उनके लिए गए फैसले उनको आगे ले जाकर मुश्किल में ले जाने वाले हैं यह आने वाला समय बताएंगा।