ग्रेटर नोएडा वेस्ट और नोएडा 7x की हाई राइज सोसाइटी में फ्लैट बायर्स की रजिस्ट्री ना होने इन स्थानों पर सार्वजनिक परिवहन मेट्रो के न होने और आवारा कुत्तों के कारण परेशान लोगों की मांगों पर क्षेत्र के विधायक और सांसदों की नाकामी से परेशान लोगों द्वारा अब क्षेत्र में अपनी समस्याओं को समझने वाला कोई एक प्रत्याशी खड़ा करने की मांग जोरो से उठ रही है ।
फ्लैट बायर्स संगठन नेफोवा के सदस्यों पर चुनाव लड़ने के बढ़ते दबाव के बीच अब नेफोवा ने अपने कार्यालय पर रविवार को सभी लोगों की एक मीटिंग बुलाई है इसके बाद यह तय किया जाएगा कि परेशान फ्लैट बायर्स की ओर से चुनाव लड़ा जाएगा या नहीं और अगर लड़ा जाएगा तो उनके प्रत्याशी कौन होगा ?
अभी तक मिली जानकारी के अनुसार परेशान फ्लैट वायरस की ओर से अभिषेक कुमार का नाम सबसे ज्यादा प्रस्तावित किया जा रहा है उनके बाद दूसरे नंबर पर मिहिर गौतम के नाम की चर्चाएं चल रही है।
क्षेत्र के फ्लैट बायर्स से मिली जानकारी के अनुसार बीते दिनों क्षेत्रीय सांसद और विधायक ने स्थानीय लोगों द्वारा की जा रही मांगों को लेकर किया जा रहे आंदोलन को उनका धंधा बता दिया था इसके बाद नाराज लोगों ने अगले आने वाले रविवार को बड़ा जन आंदोलन करने की बात रखी थी किंतु तभी चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी गई और प्रशासन ने उनको किसी भी आंदोलन के लिए रोक दिया । इसके बाद रजिस्ट्री ना होने से नाराज लोगों ने जब 7x और ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सोसाइटी में नो रजिस्ट्री नो वोट के बैनर लगाए तो उनको प्रशासन ने आकर उतरवा दिया । ऐसे में अब नाराज लोगों द्वारा यह यह मांग की जा रही है कि प्रशासन और सरकारों को जवाब देने के लिए यह जरूरी है कि अपना प्रत्याशी खड़ा करके विरोध प्रदर्शन किया जाए ।
नाराज लोगों का कहना है कि राजनीतिक दलों द्वारा फ्लैट बायर्स को एक राजनीतिक दल का बंधुआ वोटर मान लिया है । लोगों ने मोदी जी और योगी जी के नाम पर वोट दिए हैं ऐसे में उनकी समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं है वहीं क्षेत्र में मौजूद विपक्षी दलों के नेताओं की प्राथमिकता में शहर और उसकी समस्याएं कभी नहीं रही है।
दुखद तथ्य ये भी है कि शहरी वोटर की समस्याओं पर उनके साथ किसी भी प्रकार के समर्थन की बात बीते 10 वर्षों में कभी नहीं हुई है। विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस, बसपा और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों ने शहरी मतदाताओं के बीच जाकर सिर्फ झूठे वादे किए और चुनाव के बाद सत्ताधारी नेताओं की तरह वह भी गायब हो गए । ऐसे में शहरी आबादी को एक बार अपनी एकजुटता क्षेत्र के नेताओं को दिखानी पड़ेगी उसके बाद ही यह लोग शहरी आबादी की समस्या को समझेंगे ।
ऐसे में अब रविवार को होने वाली बैठक के बाद क्या फ्लैट बायर्स की ओर से कोई प्रत्याशी खड़ा होगा या फिर यह सोशल मीडिया पर लोगों की बस एक मांग बन कर रह जायेगी ये देखना रोचक होगा ।