आशु भटनागर I गौतम बुध नगर लोक सभा सीट की दादरी विधानसभा क्षेत्र के गुर्जर बाहुल्य होने के बावजूद क्या इस विधानसभा पर गुर्जर प्रत्याशी अपना झंडा गढ़ पाएगा इसके दावे भले ही समाजवादी पार्टी की ओर से ज्यादा किया जा रहे हो किंतु जमीनी स्थिति कुछ और ही दिख रही है ।
समाजवादी पार्टी के गुर्जर नेताओं की माने तो गुर्जर समुदाय इस विधानसभा में समाजवादी पार्टी के साथ है । पार्टी सूत्रों का दावा है की टिकट वितरण के समय बुलाई गई बैठक में दादरी विधानसभा का चुनाव हार चुके राजकुमार भाटी ने अखिलेश यादव से ब्राह्मण जगदीश शर्मा और गुर्जर प्रत्याशी डा महेंद्र नागर के बीच में पीडीए के आधार पर गुर्जर को ही वोट देने टिकट देने की बात रखी थी । जबकि जगदीश शर्मा का दावा था कि भाजपा के ब्राह्मण प्रत्याशी को हराने के लिए अखिलेश यादव को एक बार ब्राह्मण प्रत्याशी को उतार कर भी देखना चाहिए ।
ऐसे में अब समाजवादी पार्टी का सारा जोर क्षेत्र के गुर्जर वोटो को समाजवादी पार्टी की ओर खींचने पर हैI बीते दिनों यह बताया गया कि 18 गांव के नागर समुदाय ने डॉक्टर महेंद्र नगर को वोट देने का फैसला किया है इसके बाद यह प्रश्न उठाया की क्या क्षेत्र में इस बार गुर्जर समुदाय समाजवादी पार्टी को भर भर के वोट देगा और डॉक्टर महेंद्र नगर को विजई बनाने की कोशिश करेगा ।
ऐसे में एनसीआर खबर ने जमीनी स्तर पर तमाम आंकड़ों को समझा और लोगों से बात की तो पता लगा की क्षेत्र में नागरों के 27 गांव हैं जिनमे 18 गांव का दावा फिलहाल समाजवादी पार्टी कर रही है । किंतु आंकड़े इसके उलट गवाही देते हैं ।
भाजपा नेता पवन नागर ने एनसीआर खबर से ऐसी बातों को बेहद हल्का बताते हुए कहा कि क्षेत्र में भाजपा के समाजवादी पार्टी के सबसे वरिष्ठ गुर्जर नेता राजकुमार भाटी अपने विधान सभा चुनाव में 79000 वोट पाए थे । तब भी वह गुर्जर और मुस्लिम वोटो पर ही अपनी रणनीति बना रहे थे अपने चुनाव में भी उन्होंने जोर-शोर से समाज को जातियों में तोड़ने का खूब अभियान चलाया था I जातीय भेदभाव और स्थानीय रोजगार के नाम पर उनका कार्ड ना तब चला था और ना अब चलेगा। उन्होंने आंकड़ों को देते हुए बताया कि कचैडा जैसे गांव में भी जहां प्रत्यक्ष तौर पर भाजपा का जबरदस्त विरोध दिखाया जा रहा था वहां भी 400 वोट बीजेपी को मिले थे ।
वहीं गौतम बुद्ध नगर जिला अध्यक्ष गजेंद्र मावी ने सपा के गुर्जर कार्ड पर कटाक्ष करते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी के पास गुर्जरों का कौन सा नेता इस समय है, एक नाम बता दीजिए । क्षेत्र के सभी कद्दावर गुर्जर नेता इस समय भाजपा में है चाहे वह सुरेंद्र सिंह नागर हो या फिर नरेंद्र भाटी या फिर बीते लोकसभा चुनाव में लड़े सतवीर गुर्जर हो। वो प्रश्न करते हुए कहते है कि दो बार विधायक और मंत्री रहे नवाब सिंह नगर जैसे कद्दावर नेताओं के सामने समाजवादी पार्टी के गुर्जरों का कौन सा नेता खड़ा हो सकता है ? उन्होंने कहा कि गुर्जर समाज और उसके सभी बड़े नेता आज भाजपा के साथ हैं उसके बावजूद भाजपा किसी भी जाती की बात नहीं करती है ।
भाजपा नेता इंदर प्रधान ने एनसीआर खबर को बताया कि यहां समाजवादी पार्टी के नेताओं की रणनीति हमेशा जाति के आधार पर वोट पाने की रहती है किंतु उसके बावजूद गुर्जर समुदाय बढ़-चढ़कर भाजपा को ही वोट करता है यही वजह है कि विधानसभा चुनाव में भी जीतने वोट समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी राजकुमार भाटी ने पाए थे उस दुगने वोटो से वह हारे थे । ऐसे में अगर समाजवादी पार्टी सिर्फ गुर्जर वोटो के आधार पर लोकसभा चुनाव लड़ने की बात कर रही है तो उसका जीतना असंभव हैI समाजवादी पार्टी क्षेत्र में तीसरे नंबर की लड़ाई लड़ रही है ।
वहीं भाजपा के एक अन्य नेता ने एनसीआर खबर को बताया कि ऐसा पहली बार हुआ है की टिकट लेने के लिए किसी ने गुर्जर समुदाय के ही उपजातियो में कम और ज्यादा का आंकड़ा देकर अपना टिकट वापस पाया हो । समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को गुर्जर समुदाय से ही बाकी सामुदायिक का विरोध निश्चित तौर पर झेलना ही होगा ।
कांग्रेस के गुर्जर नेताओं का गणित किस तरीके से गठबंधन के प्रत्याशी को मदद दे सकता है उसके आंकड़े भी बेहद कमजोर हैं I 2019 के लोकसभा क्षेत्र चुनाव में कांग्रेस को लगभग 49000 वोट मिले थे ऐसे में कांग्रेस 2024 के चुनाव में कितना सहयोग कर पाएगी इसकी संभावनाएं बेहद कम है । राजनैतिक पंडियो के अनुसार ठीक चुनाव से पहले महानगर और जिला अध्यक्ष बदलकर कांग्रेस ने अपनी स्थिति को और कमजोर कर लिया है ।
बदलाव पर कांग्रेस समर्थक पारूल चौधरी ने स्पष्ट कहा कि कांग्रेस में संगठन बस नाम मात्र के लिए है I गौतम बुध नगर कांग्रेस में अध्यक्ष कोई भी हो जब कार्यकर्ता ही नहीं है तो वोट कहां से आएंगे। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि जिलाध्यक्ष रहते कार्यकर्ताओं को खत्म करके ही डॉक्टर महेंद्र नगर कांग्रेस छोड़कर समाजवादी पार्टी में चले गए थे और आज वहां से टिकट पा कर कांग्रेस के ही समर्थको से वोट की उम्मीद कर रहे हैं ।
ऐसे में गुर्जर समुदाय के बलबूते जीत का सपना देख रहे डॉक्टर महेंद्र नगर क्या वाकई गुर्जर कार्ड को ढंग से खेल पाएंगे या फिर उनको गुर्जर कार्ड की जगह पीडीए के फार्मूले को सही से लागू करना पड़ेगा यह आने वाले दिनों में देखना बाकी है