राजेश बैरागी । हालांकि मुझे नहीं पता कि वे राजनीति में आने और विधानसभा या लोकसभा चुनाव लड़ने के बारे में कभी विचार भी करते हैं या नहीं परंतु मेरा निजी विचार है कि यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ अरुणवीर सिंह यदि ऐसा करें तो उन्हें एक कुशल नेता के तौर पर जाना जाएगा।
दरअसल यह विचार पिछले दो राष्ट्रीय पर्वों पर उनकी वेशभूषा और व्यक्तित्व दर्शन से उत्पन्न हुआ है। बीते स्वतंत्रता दिवस और अब गांधी जयंती पर डॉ अरुणवीर सिंह गांधी टोपी लगाए झंडा फहराते और बापू को श्रद्धांजलि अर्पित करते दिखाई दिए। दोनों ही मौकों पर उनका यह खास पहनावा व प्रभावशाली व्यक्तित्व से बहुत लोग प्रभावित हुए हैं। लगभग चार दशक पहले तक देश में अधिकांश नेताओं का ऐसा ही स्वरूप दिखाई देता था।
3 जून 1959 को जन्मे डॉ अरुणवीर सिंह को 13 अगस्त 2014 को आईएएस अधिकारी के तौर पर प्रोन्नत किया गया।वे 28 अक्टूबर 2015 से यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण के सीईओ के रूप में कार्य कर रहे हैं। 30 जून 2019 को नियमानुसार सेवानिवृत्त होने के बावजूद सरकार ने उनकी उपयोगिता को देखते हुए उन्हें निरंतर इस पद पर बनाए रखा है।
पिछले तीन दशक से अरुणवीर सिंह पहले गाजियाबाद और अब गौतमबुद्धनगर में ही कार्यरत हैं।कवि हृदय डॉ अरुणवीर सिंह मृदुभाषी हैं। उनसे पहले इस पद पर कई वरिष्ठ आईएएस अधिकारी नियुक्त रहे परंतु यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण क्षेत्र का सर्वाधिक विकास उनके ही कार्यकाल में हुआ है।
नोएडा एयरपोर्ट की परिकल्पना उन्हीं के नेतृत्व में साकार होने जा रही है। प्रतिदिन खुला दरबार लगाकर आम नागरिकों की समस्या सुनना और यथासंभव तत्काल निदान करने से प्राधिकरण क्षेत्र में उनकी प्रशंसा करते लोग कहीं भी मिल जाते हैं।
क्या उन्हें घृणा के काबिल हो चुकी वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था में शामिल होना चाहिए? क्या उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव में गाजियाबाद या गौतमबुद्धनगर से किसी राजनीतिक दल के प्रत्याशी के तौर पर सामने आना चाहिए?
निस्संदेह उनके जैसे कर्मनिष्ठ और सुशिक्षित लोगों को राजनीति में आना ही चाहिए। उन्हें गौतमबुद्धनगर में भारी जनसमर्थन भी मिलेगा।परंतु राजनीति में आने न आने का निर्णय तो उनके ऊपर ही छोड़ देना उचित होगा।