आशु भटनागर। लोकसभा चुनाव के परिणाम 4 जून को आने के बाद बंगाल,उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट में भाजपा की हुई दुर्गति पर भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं । इन सब प्रदेशों में भारतीय जनता पार्टी को उम्मीद अपेक्षा के विपरीत जाकर परिणाम मिला।बिहार में जहां तेजस्वी यादव के नेतृत्व में भाजपा पानी भरते दिखाई वही बंगाल में ममता बनर्जी ने भाजपा के विजय रथ के पहिए तक तोड़ दिए तो उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में सुशासन के रथ पर सवार योगी आदित्यनाथ से आगे अखिलेश यादव की साइकिल निकल गई अखिलेश यादव की सफलता के साथ कांग्रेस का उत्तर प्रदेश में मजबूत होकर 6 सीटे ले लेना भारतीय जनता पार्टी के गले नहीं उतर रहा है ।
जानकारों की माने तो प्रदेश स्तर पर हुए इस करारी हार के बाद प्रदेश में प्रदेश भाजपा में हलचल मची हुई है। कार्यकर्ताओं से लेकर नेता तक भाजपा के इंडिया गठबंधन से कम सीटे आने को लेकर हलकान हैं। तमाम तरीके की चर्चाएं हो रही हैं कई लोगों का कहना है कि कदाचित टिकट बंटवारे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को शामिल नहीं किया गया उसका परिणाम उत्तर प्रदेश में इस तरीके से दिखाई दिया है तो कई लोगों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चुनाव के बीच में हटाए जाने की चर्चाओं का असर भी इस परिणाम को बताया है।
भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय कार्यालय से मिले सूत्रों के अनुसार भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नद्धा को 30 जून तक के लिए एक्सटेंशन दिया गया था ऐसे में चुनाव खत्म होने के बाद 15 जून तक नए अध्यक्ष की घोषणा संभव है और इसके बाद नए अध्यक्ष इन चारों प्रदेशों में प्रदेश अध्यक्षों को बदल सकते हैं संगठन के सही काम ना करने पर फीडबैक ले सकते हैं। इन सभी प्रदेशों में सबसे पहला नंबर उत्तर प्रदेश के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी का बताया जा रहा है । बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष को केंद्रीय नेतृत्व ने तलब कर लिया है वहीं, प्रदेश संगठन महामंत्री भी दिल्ली तलब किए गए हैं। यूपी भाजपा के दोनों शीर्ष नेताओं के दोपहर 3:00 बजे दिल्ली पहुंचने का अनुमान है। संभवत उनसे प्रदेश में कमज़ोर प्रदर्शन पर जानकारी मांगी गयी है ।
भाजपा के उत्तर प्रदेश सूत्रों के अनुसार प्रदेश में प्रदेश अध्यक्ष ने पूरे प्रदेश में काम की जगह आंकड़ों पर ध्यान देने की रणनीति अपनाई । यह आंकड़े सही थे या गलत थे इनका वेरिफिकेशन करना उचित नहीं समझा। लगातार भाजपा के कार्यक्रमों में के लिए कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाए कि संगठन में कागजों पर तो कार्यक्रम हो रहे थे, फर्जी आंकड़े दिखाए जा रहे थे किंतु नेता अपने एसी रूम से बाहर नहीं निकल रहे थे और प्रदेश अध्यक्ष की इसी चूक का परिणाम उत्तर प्रदेश में करारी हार के तौर पर देखा जा रहा है ।
वही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में क्षेत्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिसोदिया को लेकर भी भाजपा में तमाम प्रश्न उठ रहे हैं भाजपा के पश्चिम उत्तर प्रदेश के नेताओं ने आरोप लगाया कि पूरे पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीति गौतम बुद्ध नगर के पियावली गांव के आसपास सीमेंट कर रह गई। सत्येंद्र सिसोदिया ने अपना सारा फोकस पश्चिम की जगह यहां के नेताओं से लगा दिया। फल स्वरुप यह हुआ कि पूरे पश्चिम में भाजपा हर सीट पर संघर्ष करती नजर आई सिर्फ मेरठ मंडल की 5 सीटों गौतम बुध नगर, गाजियाबाद, बुलंदशहर, मेरठ और बागपत में भाजपा और एनडीए को विजय मिली इन पांच सीटों पर विजय संगठन की वजह से नहीं यहां दिल्ली एनसीआर से सटे होने और यहां के शहरी माहौल के भाजपा समर्पण के चलते मिली है।
लोगों का कहना है कि यहां पर स्थानीय नेताओं की लोकप्रियता जगह बीजेपी का डेडीकेटेड वाटर शिफ्ट नहीं हुआ। ऐसे में संगठन की कमजोरी का असर नही हुआ। इसके साथ ही समाजवादी और कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशियों का इन पांचों सीटों पर कमजोर होना भी इस पूरे मंडल में भाजपा के लिए फायदेमंद रहा । मेरठ मंडल में जीत के दावे करने वाले सत्येंद्र सिसोदिया पूरे पश्चिम में समाजवादी पार्टी के आगे पानी भरते नजर आए।
ऐसे में आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश भाजपा में के संगठन में बड़े परिवर्तन होने की संभावना बन रही है माना जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी को बदले जाने के बाद क्षेत्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिसोदिया को भी हटाया जा सकता है। और क्षेत्रीय अध्यक्ष के बदलाव के बाद संगठन के जिला अध्यक्षों और मंडल अध्यक्षों समेत सभी पदाधिकारी को नए सिरे से बनाया जा सकता है । उत्तर प्रदेश में भाजपा की करारी हार के बाद भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व 2027 के लिए किसी भी प्रकार की कोई गलती दोहराने के मूड में नहीं है ।