आशु भटनागर । 2024 के चुनाव लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा की दुर्गति के बाद जीते हुए 33 सांसदों के मन में आजकल क्या चल रहा है । बहुमत के जादुई आंकड़े से भाजपा के 33 सीटों पर रह जाने के कारण इन दिनों भाजपा के नवनिर्वाचित सांसद विपरीत परिस्थितियों में मिली जीत के बावजूद प्रसन्न नहीं दिखाई दे रहे हैं ।
अगर आप हमारी इस बात पर यकीन नहीं करेंगे तो आपको उत्तर प्रदेश में 5 लाख 59 हजार वोटो के साथ सबसे बड़ी जीत पाने वाले डॉक्टर महेश शर्मा की गतिविधियों को देखकर यकीन करना पड़ेगा । बीते 3 दिन में इतनी बड़ी जीत के बावजूद गौतम बुध नगर की शहरी राजनीति में सन्नाटा है। स्वयं डॉक्टर महेश शर्मा के द्वारा इस जीत के बाद पूरे शहर में ऐसी जीत के लिए जनता धन्यवाद के ना कोई होर्डिंग्स ना पोस्टर्स, ना ही अखबारों और मीडिया न्यूज पोर्टल में विज्ञापन दिए गए है । धन्यवाद तो छोड़िए इतनी बड़ी जीत के बाद अक्सर प्रत्याशी और उसके समर्थकों द्वारा पूरे शहर में जो मिठाई बंटवाने के काम करते थे वह भी पहली बार गौतम बुद्ध नगर जिले में नहीं दिखाई दिए है ।
3 दिन की गतिविधियों में अभी तक डॉ महेश शर्मा के साथ लगे रहने वाले सामाजिक व्यापारिक संगठनों के नेताओं द्वारा पहुंचकर बधाइयां तो दी जा रही है किंतु जनता में इसको लेकर कोई संदेश नहीं दिया जा रहा है । ऐसे में बड़ा प्रश्न यह है कि क्या डॉक्टर महेश शर्मा इतनी बड़ी जीत के बाद प्रसन्न नहीं है या फिर वह भी यह समझ रहे हैं कि यह जीत दिखने में भले ही बड़ी है किंतु यह जीत असल में उनके लिए नई सरकार में मंत्री बनने की के रास्ते को प्रशस्त नहीं कर रही है ।
जानकारों का कहना है कि डॉक्टर महेश शर्मा की जीत उत्तर प्रदेश में भले ही साढे 5 लाख वोटो से दिखाई दे रही है किंतु इसमें डॉक्टर महेश शर्मा या भाजपा की जीत से ज्यादा समाजवादी पार्टी के स्थानीय नेताओं की अकर्मण्यता के कारण बनी स्थिति ज्यादा है। इस बात को समझने के लिए सबसे पहले हमको जीत के अंतर की जगह डॉक्टर महेश शर्मा को मिलने वाले कुल वोटो की संख्या से समझना पड़ेगा ।
गौतम बुद्ध नगर में इस बार कम वोटिंग हुई है। यहां इस बार सिर्फ 53.21 प्रतिशत वोट पड़े जो पिछले चुनाव की तुलना में 7 प्रतिशत कम हैं। 2019 में यहां का वोटिंग प्रतिशत 60.39 था। जिसके हिसाब से यहां 1393141 वोट पड़े थे इनमें डा महेश शर्मा को 830812 वोट मिले थे और सतवीर नागर को 493812 वोट मिले थे । जिसके कारण डा महेश शर्मा की जीत का अंतर 336922 था । अब 2024 में 2019 के सापेक्ष 300000 नए वोटर बने थे। ऐसे में कुल 2675148 मतदाताओं में से 1435720 ने मतदान किया था । बीते चुनाव के सापेक्ष यह 6.83% कम था, पर आंकड़ों में 42000 वोट ज्यादा है । इसी तरह इसी तरह अगर डॉक्टर महेश शर्मा को 2019 के सापेक्ष 2024 में मिले वोटो का अंतर समझे तो यह मात्र 27017 है । इस हिसाब से देखा जाए तो डॉक्टर महेश शर्मा को मिलने वाले वोटो की संख्या में आंकड़ों के हिसाब से भले ही 27000 वोट ज्यादा मिल रहे हैं किंतु प्रतिशत के आधार पर यह वोट प्रतिशत पिछले चुनाव के सापेक्ष ही है। यानी भाजपा का वोटर ना कम हुआ है ना ही ज्यादा है ।
ऐसे में इस चुनाव में डॉक्टर महेश शर्मा की जीत का आंकड़ा बढ़ने का मुख्य कारण समाजवादी पार्टी के कमजोर प्रत्याशी होने के चलते हैं । बीते चुनाव में समाजवादी पार्टी बहुजन समाज पार्टी के साथ मिलकर लड़ी थी ऐसे में सतवीर नागर को 493812 वोट मिले थे जबकि इस बार समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी अलग-अलग लड़े हैं जिसके कारण दूसरे स्थान पर आर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी डा महेंद्र नागर को मात्र 298357 वोट मिले हैं और यही वजह है कि समाजवादी पार्टी के कमजोर प्रदर्शन के चलते डॉक्टर महेश शर्मा की जीत का आंकड़ा 336922 से बढ़कर 559472 दिखाई दे रहा है ।
राजनीति की समझ रखने वाले लोग यह मान रहे हैं कि आंकड़ों का यह कड़वा सच ही डा महेश शर्मा को परेशान कर रहा है । डॉ महेश शर्मा और उनकी टीम लगातार पूरे चुनाव में अपनी जीत के लिए पहले दिन से आश्वस्त थी। उनकी सारी कोशिश इस चुनाव में अपनी जीत के अंतर को 7 लाख तक ले जाने की थी जिसके लिए उसको 3 लाख नए मतदाताओं से बड़ी अपेक्षा थी। किंतु मतदान प्रतिशत के कम होने से ये संभव नहीं हो पाया।
समझा जाता है डॉ महेश शर्मा और उनकी टीम को जीत से ज्यादा इस बार मोदी 3.0 में डॉक्टर महेश शर्मा के मंत्री बनाए जाने की अपेक्षा थी और इसी के लिए सारे प्रयास किया जा रहे थे। चुनाव परिणाम के बाद डॉक्टर महेश शर्मा इसमें आंशिक तौर पर सफल भी दिखे । किंतु परिणाम में आंकड़ों को देखकर डॉक्टर महेश शर्मा और उनकी टीम ने चुप्पी साध ली।
ऐसे में पूरे प्रदेश में सबसे बड़ी जीत दिखाई देने के बावजूद परिणाम के फौरन बाद डॉक्टर महेश शर्मा मंदिर गए और ऐसी विराट जीत के बावजूद उन्होंने उसके परिणाम पर बहुत ज्यादा प्रतिक्रिया देना उचित नहीं समझा। डॉक्टर महेश शर्मा से जुड़े लोगों ने एनसीआर खबर को सरकार बनने और मंत्रिमंडल में स्थान मिलने तक किसी भी प्रकार के खुशियां मनाई जाने और मीडिया में विज्ञापन देने से इनकार कर दिया जानकारों का कहना है कि डॉ महेश शर्मा कैंप की सारी उम्मीद अब केंद्र में मंत्री पद पर टिकी हुई है अगर वह मंत्री पद मिलता है उसके बाद ही शहर में डॉक्टर महेश शर्मा की जीत के बड़े उत्सव किए जाएंगे ।
मोदी 3.0 में डॉक्टर महेश शर्मा के लिए मंत्री पद मिलना कितना आसान कितना मुश्किल ?
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार बदली परिस्थिति में भारतीय जनता पार्टी के सांसदों के मंत्री बनने की संभावना अब सिर्फ 20% रह गई है। क्योंकि 240 के आंकड़े के साथ मोदी 3.0 सरकार में सहयोगियों के मंत्रियों की संख्या पहले ही बांट दी जाएगी। इसके बाद भाजपा के नेताओं का नंबर आएगा ।
भाजपा के सूत्रों के अनुसार अभी तक सहयोगियों के लिए चार सांसद पर एक मंत्री पद दिए जाने की का फार्मूला अपनाया जा रहा है ऐसे में भाजपा के अपने सहयोगियों को लगभग 20 पद अपने सहयोगियों को देने होंगे । ऐसे में मंत्रिमंडल के आरंभ में भाजपा के नेताओं के लिए मंत्र 10 पदों पर ही मंत्री बनने की संभावना बच जाती है । इन बड़े मंत्रालय में पर भाजपा के बड़े नेताओं को प्रथम वरीयता दी जाएगी । ऐसे में डॉक्टर महेश शर्मा का नंबर इसमें कहां लगेगा यह एक बड़ा प्रश्न बन गया है क्योंकि उत्तर प्रदेश में भले ही डॉक्टर महेश शर्मा नंबर के हिसाब से सर्वाधिक मार्जिन से जीते हुए सांसद हैं किंतु भाजपा में सर्वाधिक मार्जिन से जीतने वाले नेताओं में उनका नंबर पहले 10 में नहीं है । और संभवत: इसी आंकड़े के खेल के चलते डॉक्टर महेश शर्मा और उनके कैंप के लोग “तेल देखो तेल की धार देखो” के फार्मूले पर काम कर रहे है और शहर के लोगों को वो ना खुशियां मनाते दिख रहे हैं, ना मिठाइयां बढ़ाते हुए दिख रहे हैं और ना ही आम जनता को धन्यवाद के बड़े-बड़े होर्डिंग्स या अखबारों में विज्ञापन देते दिख रहे है ।