राजेश बैरागी । नोएडा प्राधिकरण राष्ट्रीय निर्माण संहिता से अपनी वर्तमान भवन निर्माण नियमावली को बदलने की तैयारी कर रहा है। इसके बाद वाहनों की पार्किंग और औद्योगिक इकाइयों में मालवाहक वाहनों के आवागमन से कराह रहे नोएडा का क्या हाल होगा?
लगभग दो दशक पहले चीन के सर्वोच्च न्यायालय ने वहां की सरकार से सार्वजनिक सेवाओं के विस्तार के संबंध में पूछा- क्या आपके पास कुछ जगह शेष है? बताया जाता है कि जिस शहर के बारे में सर्वोच्च न्यायालय ने यह प्रश्न किया वहां टेलीफोन, बिजली,गैस आदि सुविधाएं एक बड़ी भूमिगत डक्ट के माध्यम से ले जाई गई हैं।उस डक्ट में एक और सुविधा की लाइन डालने के लिए किसी विभाग या कंपनी द्वारा स्पेस दिलवाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था।
नोएडा शहर की सड़कों की स्थिति ऐसी ही है। नगर नियोजन की ऐसी अदूरदर्शी योजना शायद ही कहीं हो। सभी औद्योगिक और आवासीय सेक्टरों में वाहन पार्किंग एक बड़ी समस्या बनी हुई है। औद्योगिक सेक्टरों में मालवाहक वाहनों के आवागमन और औद्योगिक इकाइयों में माल उतारने चढ़ाने के दौरान रोजाना काफी दिक्कतें पेश आती हैं।
भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा तैयार नई राष्ट्रीय निर्माण संहिता लागू करने पर मौजूदा और नई स्थापित होने वाली औद्योगिक इकाइयों में एफएआर बढ़ाने का अधिकार मिल जाएगा।
औद्योगिक स्लम बन चुके औद्योगिक सेक्टरों में एक भूखंड पर बने भवन में कई कई फैक्ट्रियां चल रही हैं। किराए का कारोबार पूरे शबाब पर है। अधिकांश भूखंड स्वामी स्वयं फैक्ट्री न चलाकर किराए की आमदनी से ऐश कर रहे हैं।
नई भवन नियमावली अस्तित्व में आने से किराए का धंधा और फले फूलेगा। एक भवन में चलने वाली अनेक कंपनियों के संचालकों और कर्मचारियों को वाहन खड़े करने से लेकर अन्य सुविधाओं के लिए जगह की आवश्यकता होगी।इन सबके लिए सड़क से अच्छी कोई जगह नहीं है।