लोकसभा चुनाव में यूपी में समाजवादी पार्टी को पीडीए के फार्मूले से मिली सफलता कहानी एक बार की सफलता न बन कर रह जाए इस बात को लेकर समाजवादी पार्टी के छात्रों में चर्चाएं शुरू हो गई है। समाजवादी पार्टी के कई विचार को लगता है कि उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्व में पड़ा का फार्मूला जो कामयाब हुआ है, कहीं वह 3 साल बाद होने वाले जो विधानसभा चुनाव में तक अपनी चमक ना खो दें ।
इन्हीं सब बातों को लेकर समाजवादी पार्टी इन दोनों एक पर स्पेस के जरिए पीडीएफ महापंचायत का आयोजन कर रही है बुधवार को इस पंचायत में डॉक्टर लक्ष्मण यादव, मनोज काका, अशोक कुमार पांडे, राजकुमार भाटी जैसे कई विचारक मौजूद रहे ।
बैठक में जहां प्रतिभागियों ने अयोध्या में सामान्य सीट पर दलित अवधेश पासी को टिकट देकर जिताने को अखिलेश यादव का मास्टर स्टॉक बताया वही अखिलेश यादव द्वारा यादव और मुसलमान की जगह ओबीसी को टिकट दिए जाने को भी समाजवादी पार्टी में नई परंपरा बताया। वक्ताओं का मानना था कि समाजवादी पार्टी के पारंपरिक माहौल की जगह इस बार अखिलेश यादव ने पीडीए के फार्मूले को न सिर्फ बयानों में लिया बल्कि उसकी टिकट के माध्यम से साबित भी करके दिखाया।
वक्ताओं ने स्पष्ट कहा कि आपसे पहले के चुनाव में बीजेपी एजेंडा सेट करती थी और हम लगातार उसका जवाब देने में लगे रहते थे इस चुनाव में पहली बार एजेंडा हम सेट कर रहे थे और भाजपा इसका जवाब दे रही थी । वक्ताओं ने अखिलेश यादव की तारीफ करते हुए प्रशंसा करते हुए कहा कि अखिलेश यादव पर तमाम तरीके से वैचारिक हमने किए गए किंतु अखिलेश यादव ने अपने पीडीए के मुद्दे को नहीं छोड़ा।
अंबेडकर, काशीराम से की अखिलेश यादव तुलना, मंडल के असली नायक वीपी सिंह को भूले
एक्स के स्पेस पर हुई इस महापंचायत में वक्ताओं ने अखिलेश यादव को अंबेडकर और काशीराम के बाद पिछड़ों और दलितों का सबसे बड़ा मसीहा बता दिया जबकि मंडल की बात करने वाले इन विचारों ने मंडल के असली नायक वीपी सिंह को जानबूझकर नजरअंदाज करते हुए अंबेडकर और काशीराम के बाद अखिलेश यादव को नया मसीहा साबित करने या फिर अखिलेश यादव को अंबेडकर और काशीराम की भांति नए मसीहा के रूप में करने की तैयारी शुरू कर दी है।
किंतु वीपी सिंह को जानबूझकर परिचर्चा में स्थान न दिए जाने वाले विचारक ये भूल गए कि अंबेडकर और काशीराम दोनों दलित समुदाय से आते थे, ऐसे में बाद प्रश्न ये है कि क्या दलित समुदाय इन नायकों के समक्ष किसी ऐसे जातीय समूह से आने वाले नायक को अपना नेता मान पाएगा जिन्होंने जातीय संघर्ष में लगातार दलितों पर अत्याचार किया । क्योंकि जिस पृष्ठभूमि के कारण पी सिंह आज तक दलितों के नायक नहीं बन सके इस पृष्ठभूमि के कारण अखिलेश यादव आने वाले वर्षों में दलित और पिछड़ों के नायक बन पाएंगे इसी की चिंता इस पर चर्चा में दिखाई दी।
लेखक अशोक कुमार पांडे ने इंडिया गठबंधन में मायावती के न होने का मुद्दा भी उठाया और उन्होंने कहा कि अगर मायावती इस गठबंधन में आ गई होती तो भाजपा को उत्तर प्रदेश में दहाई के आंकड़े से पहले रोका जा सकता था। पीएफ महापंचायत में उन्होंने आने वाले समय में दलित वोटो के इंडिया गठबंधन के साथ लाने के लिए मायावती का साथ होने पर बोल दिया ।
इंडिया गठबंधन में राहुल गांधी पर बोलते हुए अशोक कुमार पांडे ने कहा कि कांग्रेस का चरित्र आप कहीं से भी आंदोलनकारी नहीं रहा था। अब तक कांग्रेस हर तबके को कुछ ना कुछ देकर संतुष्ट करने वाली भूमिका में थी किंतु पहली बार राहुल गांधी ने कास्ट सेंसस जैसे मुद्दों पर प्रखर राय रखकर यह बताया कि कांग्रेस अब राहुल गांधी के नेतृत्व में देश की सभी जातियों के लिए लड़ने के प्रयास कर रही है।
क्या हिन्दू धर्म की काट के लिए पीडीए के साथ नास्तिकता होगा अगला चरण !
उत्तर प्रदेश में कमंडल पर मंडल से मिली समाजवादी पार्टी की जबरदस्त जीत के बावजूद प्रदेश में सबसे अधिक वोटो से हारने वाले गौतम बुद्ध नगर में कमजोर पार्टी प्रत्याशी डा महेंद्र नागर के प्रस्तावक और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजकुमार भाटी ने भी पीडीए की एकता के लिए कई बातें कही। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म की बात करने वाले अक्सर छोटी जातियों पर आज भी अत्याचार करते हैं उनसे भेदभाव करते हैं उन्होंने अपने किसी गांव का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां महिला को घोड़ी नहीं चढ़ने दिया जाता है मंदिरों में प्रवेश नहीं दिया जाता है इसके साथ ही उन्होंने हिंदुत्व की एकता को तोड़कर पीडीए में लाने के लिए नास्तिकता का सहारा लेते हुए कहा कि यह करने के बाद क्या मिलेगा उसकी बातें करते हैं जबकि हम इसी लोक में अपने सम्मान और मान की बात करते हैं ।
यद्यपि वह प्रदेश भर में मिली जीत के बावजूद अपने यहां मिली सबसे बड़ी हार के कारण को लोगों के बीच नहीं रख सके संभव होते अगर वह ऐसा करते तो शायद पार्टी को आने वाले समय में सफलता के दौर में कर्मियों पर भी चर्चा करने का मौका मिलता।
स्पेस के अंत में प्रदेश भर में समाजवादी पार्टी द्वारा पीडीए महापंचायत के आयोजित होने की बात की ।