आशु भटनागर I क्या नोएडा में भाजपा के आगे कोई राजनैतिक दल सच में गंभीर प्रयास करने के लिए आगे बढ़ रहा है ? क्या वाकई नोएडा में बरसो से हाशिए पर रही समाजवादी पार्टी 2027 के लोकसभा चुनावो के लिए गंभीर दिखाई दे रही है ? क्या पीडीए की राजनीति करने वाली समाजवादी पार्टी नोएडा के शहरी जातीय समीकरण में पहली बार परंपरागत गुर्जर यादव राजनीति के स्थान पर शहरी समुदाय से वैश्य समाज पर दाव लगाने जा रही है ? इन सब चर्चाओं से पहले नोएडा में अजेय भाजपा के समक्ष विपक्ष बनने को आतुर समाजवादी पार्टी की रणनीति को समझते है ।
यू तो 2027 में अभी बहुत समय है, किंतु 2024 में मिली जबरदस्त जीत के बाद नोएडा सीट पर समाजवादी पार्टी दशकों बाद भाजपा को चुनौती देने की रणनीति पर काम कर रही है । अखिलेश यादव पहले ही 2027 में उत्तर प्रदेश में 250 प्लस के साथ सरकार बनाने की रणनीति पर काम करने के संकेत दे चुके हैं। कार्यकर्ताओं को यह कहा जा चुका है कि इस बार उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की ही सरकार बननी है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के शो विंडो कहे जाने वाले गौतम बुद्ध नगर की मुख्य परंपरागत सीट नोएडा पर कब्जा करने की रणनीति भी विशिष्ट ही कही जाएगी।
समाजवादी पार्टी के रणनीतिकारों का बीते 5 साल में नोएडा को लेकर सोच में बदलाव भी दिखता है। इसको आप ऐसे समझ सकते हैं कि पहली बार भाजपा से सपा में आए शहरी समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले दीपक विग को समाजवादी पार्टी ने जिला अध्यक्ष बनाया और उनका बिना किसी रोक-टोक के पूर्ण कार्यकाल दिया ।
दीपक विग के बाद एक बार फिर से समाजवादी पार्टी में किसी यादव या गुर्जर को ही जिला अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चाएं थी किंतु जिले में वैश्य समाज पर दांव खेलते हुए पार्टी ने डॉ आश्चर्य गुप्ता को जिला अध्यक्ष बनाया । सूत्रों की माने तो दीपक ने स्वयं आगे बढ़कर शहरी समाज से पंजाबी ,वैश्य या मुसलमान जिला अध्यक्ष की संतुति की, वही कुछ चर्चाओं में कहा जाता है इसमें आश्चर्य गुप्ता को उनके यूथ विंग के दौरान अखिलेश यादव के करीबी होने का भी फायदा मिला ।
किंतु जिला अध्यक्ष बनने के 1 वर्ष बाद तक जिस तरीके से आश्रय गुप्ता को लेकर जिला इकाई में अविश्वास का भाव रहा उसे यह माना जाने लगा कि संभवत: आश्रय गुप्ता जिले में कार्यकर्ताओं पर अपनी पकड़ बनाने में असफल हो रहे हैं I इसके बाबजूद दीपक विग और आश्रय गुप्ता के अध्यक्ष रहते हुए दोनों ही चुनाव में समाजवादी पार्टी पहले के मुकाबले लगभग 64000 के आसपास वोट नोएडा में ले पाई जिसको यह माना गया कि कहीं ना कहीं समाजवादी पार्टी शहरी वोटर के मन में अपना प्रभाव जमा रही है ।
किंतु इस सबके बावजूद डॉक्टर आश्रय गुप्ता को लेकर वैश्य समाज पर जो दांव अभी तक खेला गया था उसमें कहीं सफलता नहीं दिख रही थी । बीते विधानसभा चुनाव में वैश्य समाज से टिकट मांग रहे अन्य छत्रप विपिन अग्रवाल बाबूराम बंसल और मनोज गोयल जैसे पुराने स्थापित नेता अभी भी आश्रय गुप्ता को वो सम्मान नहीं दे पा रहे थे जिसकी एक जिला अध्यक्ष अपनी ही जाति के लोगों से अपेक्षा करता है। ऐसे में संविधान मान स्तंभ कार्यक्रम को लेकर डॉक्टर आश्रय गुप्ता की रणनीति बेहद कारगर रही और उन्होंने पहली बार शहर के वैश्य समुदाय के बड़े और छुटभैये नेताओं को इस कार्यक्रम में अपने पीछे खड़ा कर यह साबित कर दिया कि अब समाजवादी पार्टी में वैश्य समुदाय के एकमात्र सर्वमान्य नेता डॉ आश्रय गुप्ता है ।
कार्यक्रम के बहाने आश्रय गुप्ता ने जिस तरीके से अपने अन्य नेताओं को अपने पीछे खड़ा किया है उससे उनकी काबिलियत साबित हो रही है। पार्टी के सूत्रों की माने तो इसी 15 अगस्त से दो वैश्य समुदाय के नेता अपने चुनावी कैंपेन और कार्यालय का उद्घाटन कर टिकट की रेस में आगे बढ़ाने की तैयारी में लगे थे किंतु आश्रय ने बेहद संतुलित रणनीति के तहत उनमें से एक को मोहरा बना कर बाकी नेताओं को अपने पीछे लाने में सफलता प्राप्त कर ली और पहली बार शहर में वैश्य समुदाय के सभी नेताओं के पोस्टर आश्रय गुप्ता के साथ लगे । जिससे लखनऊ तक के संदेश गया की वैश्य समुदाय से आश्रय गुप्ता बेहद सफल नेतृत्व के तौर पर आगे बढ़ सकते है
इसके बाद शहर के वैश्य समुदाय में आश्रय गुप्ता को लेकर तमाम चर्चाएं हो रही हैं पहली बार यह कहा जा रहा है कि भाजपा के वैश्य समुदाय के नेताओं का कहे जाने वाला अग्रसेन भवन में कार्यक्रम रखकर उसे सफलता से कर ले जाने के बाद आश्रय गुप्ता ने शहर में यह संदेश भी दिया की वैश्य समुदाय अब भाजपा ही नहीं सपा के साथ भी बड़ी संख्या में जा रहा है दूसरी ओर वैश्य समुदाय के नेताओं के बीच अपनी विश्वास नेता को बढ़ाने के लिए जिस तरीके से इसका आरंभ 15 अगस्त के दौरान शहर में होर्डिंग्स लगाकर दिया गया उससे भी यह संकेत गया है कि आने वाले चुनाव में प्रतिनिधित्व को लेकर वैश्य समुदाय के सभी नेता आश्रय गुप्ता के पीछे हैं ।
वहीं आश्रय गुप्ता के बढ़ते कद के बाद शहर में हर बार टिकट पाने के बाद हारने वाले प्रत्याशी सुनील चौधरी के विकल्प की भी खोज समाप्त होती दिखाई दे रही है । यधपि यह कहना अभी जल्दबाजी भी हो सकता है कि शहर के अन्य वैश्य समुदाय के अन्य नेता आश्रय गुप्ता के पीछे ही चलेंगे या फिर आने वाले दिनों में विद्रोह के बादल भी छा सकते हैं। साथ ही पहली बार नोएडा सीट पर वैश्य समुदाय के किसी नेता के इस तरीके से उभर के आने से भाजपा को चिंतित होने की आवश्यकता भी महसूस होगी या फिर ये भी एक बुलबुले की तरह ही साबित होगा ये आने वाले दिनों में दिखाई देगा ।