आशु भटनागर। 125 दिन में कुछ बड़ा करके देश में बदलाव लाने का दावा करके आई मोदी 3.0 सरकार क्या पहले 100 दिन में यू टर्न सरकार बनती जा रही है । विपक्ष से लगातार नॉरेटिव की दौड़ में हिट रही मोदी सरकार अपने तीसरे टर्म में असहाय देखने लगी है ।
राहुल गांधी और अखिलेश यादव जैसे विपक्ष के नेताओं के लगातार आक्रामक राजनैतिक रणनीति से असहज नजर आने लगी सरकार हाल ही में कंगना रनौत के किसानों को लेकर आंदोलन को लेकर दिए गए बयान पर सरकार की केंद्रीय समिति द्वारा पीछे हटते हुए किनारा करने की घटना को भाजपा की कमजोरी से जयादा कायरता समझा जा रहा है ।
सोशल मीडिया पर लगातार भाजपा के ही समर्थक भाजपा से यह पूछ रहे हैं कि आखिर कंगना के बयान में गलत क्या है क्या किसान आंदोलन के दौरान ऐसी घटनाएं नहीं हुई थी या किसान आंदोलन के पीछे खालिस्तान संगठन के हाथ होने की बातें सामने नहीं आई थी? क्या यह सच नहीं है कि दिल्ली में लाल किले पर ट्रैक्टर चलाते तथा कथित स्वयंभू किसानों ने खालिस्तान के झंडे लहराए थे ।
क्या यह सही नहीं है कि हरियाणा के टिकरी बॉर्डर पर ऐसे समाचार आए थे जिसमें यह कहा गया था की किसान आंदोलन के बीच शराब और शराब का खेल जारी था ।
यह भी सच है कि आंदोलन के दौरान दलित युवक लखबीर सिंह की हथेली काटकर उसका शव बैरिकेड पर टांग दिया गया गया था इसी आंदोलन में शामिल होने आई एक युवती से दुष्कर्म करने के समाचार भी सामने आया था।
किसान आंदोलन के दौरान सरकार के बक्कल उतार लेंगे कहने वाले राकेश टिकैत ने हाल ही में एक बार फिर से यह कहा था कि 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड वाले दिन लाल किले के बजाय संसद की ओर कुछ कर जाते तो उसे दिन देश का हाल बांग्लादेश जैसा हो गया होता ।
भाजपा की इस तीसरे टर्म की सबसे कमजोर दिख रही सरकार से सोशल मीडिया पर एक बार फिर से उसके समर्थक पूछ रहे हैं आखिर कंगना ने ऐसा क्या गलत कहा और भारतीय जनता पार्टी लगातार बीते 75 दिन से मनमोहन सरकार के दौर में क्यों जाती जा रही है प्रधानमंत्री मोदी के भाषणों में वह बात नहीं दिख रही जिसके लिए बीते दो टर्म की मोदी सरकार को जाना जाता था उनके फैसलों में लगातार जिस तरीके से यू टर्न लिया जा रहा है उसे लगने लगा है कि कहीं ना कहीं सरकार वर्तमान में विपक्ष की आक्रामक रणनीति के आगे किमकर्तव्यमूड होती जा रही है और क्यों भाजपा किसान आंदोलन के दौरान अपने ही ट्विटर हैंडलर से कह गए बयानों से पीछे हट रही है क्यों प्रधानमंत्री द्वारा इन लोगों को आंदोलन की भी कहे जाने के बाद अब सरकार कमजोर दिखाई दे रही है।
ऐसे में बड़ा प्रश्न यह भी है कि सरकार राकेश टिकैत के देश को बांग्लादेश बना देने वाले बयान पर कुछ कार्यवाही सख्त कार्यवाही करने की जगह अपने ही लोगों को नीतिगत विषयों पर ना बोलने की हिदायत जैसे काम क्यों कर रही है। क्या वाकई सरकार देश में किसी बांग्लादेश के होने से डर रही है या फिर सरकार के पास ऐसी जानकारियां हैं जिसमें सच में देश बांग्ला देश जैसे किसी बड़े विद्रोह के मुहाने पर बैठा है और और सरकार लगातार स्थिति को भड़काने ना देने के लिए कदम पीछे खींच रही है ।
प्रश्न यह भी है कि नॉरेटिव के मुद्दे पर बीते चुनाव से ही लगातार पिछड़ती भाजपा आखिर अपने आईटी सेल और रणनीति में बदलाव क्यों नहीं कर रही है आखिर क्यों भारतीय जनता पार्टी अराजक तत्वों की अराजक राजनीति के आगे झुक कर इस देश में फिर से वही माहौल बनने को रोक नहीं पा रही है जिसको लेकर 2010-11 में देशव्यापी सरकार विरोधी आंदोलन शुरू हो गए थे ।
वस्तुत मोदी सरकार को और भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को अभी समझना पड़ेगा कि विपक्ष झूठ नेरेटिव के सहारे लगातार सरकार को परेशान कर रहा है । उससे निपटने के लिए बड़ा बदलाव आवश्यक है। यह सरकार के स्तर पर ही संभव है और उसे किया जाना भी आवश्यक है, नहीं तो सरकार को मध्यावधि चुनाव के लिए तैयार हो जाना चाहिए और अगले आने वाले समय में खुद को मजबूर सरकार की जगह मजबूत सरकार दिखाने की कोशिश करनी चाहिए जिससे आने वाले चुनाव में फिर से लोग भाजपा को ही बहुमत देकर सरकार में भेज सके ।