ग्रेटर नोएडा में एक बार फिर से कुत्ता प्रेमी और कुत्ता पीड़ित आमने-सामने हैं। मामला इस बार आवारा कुत्ते के 22 लोगो को काटने के बाद भीड़ द्वारा कुत्ते को पीट कर मारे जाने के आरोप को लेकर है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है। किसी के खिलाफ भी अब तक कोई कारवाई नहीं की गई है।
दरअसल, पुलिस में कुत्ता प्रेमी कावेरी राणा ने पुलिस को दी शिकायत में आरोप लगाया कि ग्रेटर नोएडा की अतुल्यम हाउसिंग सोसाइटी के निवासियों ने एक कुत्ते को पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया। सोशल मीडिया पर इसका वीडियो भी वायरल किया गया जिसमें लोग लाठियों से कुत्ते को पीटते नजर आ रहे हैं। कावेरी राणा के आरोप अनुसार आरोपितों ने पीट-पीटकर हत्या करने के बाद कुत्ते की बॉडी एक बोरी में बंद करके सुपरटेक की हाऊसिंग सोसाइटी के समीप नाले में फेंक दी।
सोशल मीडिया पर कुत्ता प्रेमी इस तरह कुत्ते को मारे जाने की घटना पर क्रोधित हैं। उनका कहना कि इन तथाकथित पढ़े-लिखे लोगों को किसने यह हक दिया कि वह किसी बेजुबान की जान ले लें। एक यूजर सुधीर कुमार ने कहा कि जितना अधिकार इस पृथ्वी पर एक इंसान का है, उतना ही अधिकार जीवों को भी है।
वही इस घटना के बाद निवासियों ने भी अपना पक्ष रखा है। सोसाइटी के निवासियों ने बताया कि कुत्ते ने पिछले कुछ दिनों के दौरान करीब 22 लोगों को काटते हुए शिकार बनाया।
दावा है कि इस कुत्ते ने लोगों का जीना हराम किया हुआ था। यह भी पता चला कि यह कुत्ता पागल हो गया था और पिछले कुछ दिनों के दौरान 22 लोगों को बहुत बुरी तरीके से काटा था। काफी लोगों और बेहद जानलेवा अटैक किया। जिसकी वजह से सोसाइटी में रोष पैदा हो गया। कुत्ते को बाहर निकालने का फैसला भी लिया गया।
इसके बाद एक बार फिर से यह प्रश्न खड़ा हो गया है की मनुष्य और जानवरों में अगर जीवन बचाने की प्राथमिकता तय करनी हो तो किसका जीवन ज्यादा महत्वपूर्ण है?
क्या 22 लोगों (जिसमें बच्चे महिलाएं बुजुर्ग सब शामिल हैं) को काटने वाले पागल कुत्ते की तथाकथित हत्या पर हंगामा मचाने वाले कुत्ता प्रेमियों की मांग जायज है? क्या इंसानियत के नाम पर सहानुभूति बटोरने वाले इन लोगों को यह भी सोचना नहीं चाहिए कि वह 22 लोग जो इस कुत्ते के कारण पीड़ित थे या वो हजारों निवासी जिनके बच्चे इसकी वजह से घर से बाहर नहीं निकल रहे थे उनका भी कोई मानव अधिकार है ।
क्या वाकई हम एक ऐसे देश में समय में आ गए हैं जहां 22 लोगो की जान एक कुत्ते की जान के मुकाबले सस्ती है । समाजसेवी और पशु प्रेमी की आड़ में हम मानव जीवन के खिलाफ एक नए तरीके का असंवेदनहीन समाज तैयार कर रहे हैं । सेल्फ डिफेंस में अपने ऊपर हमला करने वाले की हत्या को भी कानूनी रूप से सही मानने वाले देश में 22 लोगों पर अटैक करने वाले पागल कुत्ते पर पलटवार कैसे गलत है ।