सत्यम शिवम सुंदरम : गौतम बुध नगर भाजपा जिलाध्यक्ष गजेंद्र मावी का बेमिसाल एक वर्ष, पर बिसरख में कमजोर होते संगठन पर भी उठ रहे प्रश्न, क्या होगा बदलाव ?

NCRKhabar Mobile Desk
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गौतम बुध नगर जिला भाजपा अध्यक्ष गजेंद्र मावी का 1 वर्ष पूर्ण होने पर लोगों ने उनको बधाइयां देनी शुरू कर दी है ।इस 1 वर्ष में गजेंद्र मावी के हिस्से में लोकसभा चुनाव में प्रदेश में भाजपा प्रत्याशी को सबसे बड़ी जीत दिलाने का श्रेय जाता है । गजेंद्र मावी लगातार जिलाध्यक्ष अध्यक्ष के रूप में क्षेत्र में अपने बेहतरीन प्रबंधन और अनुभव से संगठन को मजबूत भी कर रहे हैं। क्षेत्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिसोदिया और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के साथ-साथ मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से भी उन्हें सहयोग मिलता रहता है। भाजपा के संगठन में लगातार गजेंद्र मावी के कुशल नेतृत्व की प्रशंसा होती रही है किंतु इसी भाजपा के बिसरख मंडल में मची गुटबाजी की स्थिति पर गजेंद्र मावी क्या उतना ही ध्यान दे पा रहे हैं  जितना देना चाहिए।

दरअसल यह चर्चाएं तब शुरू हुई जब ग्रेटर नोएडा वेस्ट की एक सोसाइटी में 1500 परिवारों के खराब पानी पीने के कारण बीमार होने के बावजूद सोसाइटी में संगठन और जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा से स्थानीय लोगों में रोष उत्पन्न होने के समाचार आए । मौके पर चौका लगाते हुए समाजवादी पार्टी के युवा कार्यकर्ता अतुल यादव ने अपने जिलाध्यक्ष के साथ वहां पहुंचकर स्थानीय जनता के साथ खड़े होने का दावा करते हुए भाजपा पर खूब निशाना साधा । दावा किया जा रहा है कि भाजपा के स्थानीय संगठन ने इस बात की जानकारी जिलाअध्यक्ष, विधायक और सांसद तक पहुंचाने की जरूरत नहीं समझी। वहीं कुछ लोगों का दावा है कि दरअसल गुटबाजी के चलते सभी लोग यह सोचते रहे कि यह जानकारियां देना हमारा काम नहीं है।

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एनसीआर खबर से भाजपा के सूत्रों ने बताया कि 11 मंडलों में सबसे कमजोर मंडल बिसरख मंडल ही साबित हो रहा है बिसरख मंडल के कमजोर नेतृत्व का असर कहीं ना कहीं गजेंद्र मावी के पूरे रिपोर्ट कार्ड पर प्रभाव भी डालता है ।  दरअसल बिसरख की राजनीति में बिसरख मंडल अध्यक्ष के लिए सिफारिश गजेंद्र मावी ने स्वयं की थी । बिसरख मंडल की राजनीति में तब लोकसभा के चुनाव की तैयारी कर रहे वर्तमान सांसद डॉ महेश शर्मा किसी ब्राह्मण चेहरे को यहां मंडल अध्यक्ष की कमान सौपना चाहते थे किंतु गजेंद्र मावी के दबाव के चलते एक साधारण से कार्यकर्ता को बिसरख मंडल अध्यक्ष की भूमिका दे दी गई ।

माना यह गया कि इससे बिसरख के जातीय समीकरण को बनाए रखा जा सकेगा। किंतु साधारण से कार्यकर्ता के बारे में क्षेत्र के लोगों का दावा है कि वह अध्यक्ष बनते ही साधारण से असाधारण हो गया और पूर्व दावेदारों को भी अपने साथ संगठन में मिलाकर नहीं रख पाया । जिसके चलते जिले में ग्रेटर नोएडा वेस्ट में आज पूरी ब्राह्मण लॉबी स्थानीय मंडल अध्यक्ष के साथ नहीं खड़ी है । जिले में ब्राह्मण लॉबी की बात करें तो यहां भाजपा सांसद प्रतिनिधि संदीप शर्मा उनके साथ मंडल अध्यक्ष के पूर्व दावेदार जैनेंद्र चौरसिया और लोकेश त्यागी, मृतुंजय झा जैसे नाम प्रमुख है । सूत्रों का तो यहां तक दावा है की चुनाव के समय कमजोर प्रबंधन से नाराज भाजपा सांसद डॉक्टर महेश शर्मा ने चुनाव के फौरन बाद मंडल अध्यक्ष को बदलने का बयान तक एक बैठक अपने कार्यकर्ताओं से कर दिया था। ब्राम्हण लाबी से एक बार फिर से लोकेश त्यागी का नाम मंडल अध्यक्ष के लिए सबसे जयादा लिया जा रहा है I

जिले में दूसरा पक्ष नॉन ब्राह्मण, नाम ठाकुर चेहरों का है जिसमें ओबीसी समुदाय से आने वाले कई युवा नेता मंडल अध्यक्ष की कुर्सी पर अपना दांव खेलने को तैयार है । कई लोगों का दावा है कि हमेशा शहर से ही मंडल अध्यक्ष क्यों बनाया जा रहा है । इतने बड़े मंडल में ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले किसी नेता को भी मंडल की कमान देकर देखना चाहिए और अगर वो ओबीसी हो तो और भी सुखद है I

वहीं भाजपा के सूत्रों का यह दावा है कि बिसरख मंडल में कमजोर नेतृत्व के कारण भाजपा के कार्यक्रमों में अब कम भीड़ दिखाई देती है किसी एक कार्यक्रम में तो महिलाओं की संख्या ज्यादा होने पर मंडल प्रभारी के सामने यह चर्चा भी चली की क्यों ना इस बार बिसरख मंडल में किसी महिला को ही मंडल अध्यक्ष बना दिया जाए ।

वही एक जिले में प्रभावशाली महिला नेत्री के साथ मंडल अध्यक्ष के संबंधों के मधुर न होने की भी बड़ी सूचना है। जानकारी के अनुसार यह महिला नेत्री मंडल अध्यक्ष की सोसाइटी में रहती है और अक्सर यह देखा गया कि दोनों एक दूसरे के संगठन के ही कार्यक्रम में उपस्थित नहीं होते हैं ।

जानकारों की माने तो मंडल की यह सभी गुटबाजी अब गजेंद्र मावी के सामने पहुंच चुकी है । किंतु बीच कार्यकाल किसी मंडल अध्यक्ष को हटाने की संवैधानिक अड़चन उनको परेशान कर रही है संगठन में लगातार बढ़ती महत्वाकांक्षाएं और मंडल अध्यक्ष का विरोध संगठन को जहां एक और कमजोर करता जा रहा है वही 11 में से सिर्फ एक मंडल की कमजोरी के कारण गजेंद्र मावी का अपना परफॉर्मेंस रिपोर्ट कार्ड भी धूमिल होता है ।

भाजपा के ही एक संगठन के नेता ने एनसीआर खबर को बताया कि इसका इलाज बिसरख मंडल में दो मंडल बनकर ही संभव है जिससे सांप भी मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगी।  यहां नया मंडल बनाने से जिला अध्यक्ष को दोनों जगह नए मंडल अध्यक्ष बनाने का मौका मिल जाएगा । और आने वाले समय में संगठन में अध्यक्ष पद को लेकर आपसी गुटबाजी को साधा जा सकेगा इसके बाद पूरे प्रदेश में परफॉर्मेंस के नाम के मामले में टॉप पर चल रहे हैं गजेंद्र मावी संगठन को भी मजबूत करते रहेंगे । और जिले में संगठन की नाकामी और गुटबाजी के चलते जनता में बढ़ते असंतोष को भी साधा जा सकेगा ।

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