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ग्रेटर नोएडा वेस्ट FOB स्थान परिवर्तन प्रकरण में जांच के 3 दिन समाप्त : मिसमैचड कोऑर्डिनेट्स चीख चीख पूछ रहे कब, कैसे और कहाँ बनेंगे पुल, संबंधित अधिकारी और कांट्रेकटर में असली दोषी कौन ?

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की अनुमति के बिना फुटओवर ब्रिज की जगह बदलकर गोल्डनआई माल/ अर्थ एसईजेड व यथार्थ अस्पताल के सामने बनाने के प्रकरण पर एनसीआर खबर के संज्ञान में लाने पर सीईओ द्वारा जांच के आदेश के 3 दिन पूर्ण होने के बाद स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं है ।

एनसीआर खबर की टीम ने शनिवार को मौके पर जाकर देखा, निरीक्षण किया तो पाया कि वहां ब्लैक लिस्ट काॅन्ट्रैक्टर  के व्यक्ति अभी भी काम पर लगे हुए थे । यद्यपि उनके वहां होने से यह स्पष्ट नहीं हो रहा था कि वह ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ रवि एन जी के आदेश अनुसार निर्माण को तोड़ रहे थे या फिर निर्माण को बना रहे थे । किंतु वहां की परिस्थिति से ऐसा प्रतीत हुआ कि इस ब्रिज को बनाने वाले ठेकेदार को अभी भी विश्वास है की जांच के नाम पर लीपापोती कर दी जाएगी और मामला ठंडा होने पर यही निर्माण शुरू हो जाएगा ।

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फुट ओवर ब्रिज के टेंडर में दिए गए कोऑर्डिनेट्स, इन कोऑर्डिनेट को देखकर कोई भी गूगल मैप में जाकर देख सकता है कि बन रहे ब्रिज और एक्चुअल कोऑर्डिनेट्स में कितना अंतर है

प्राधिकरण के सूत्रों ने एनसीआर खबर को बताया कि जांच कर रही अधिकारी को कई प्रेशर ग्रुप लगातार यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि फुट ओवर ब्रिज के लिए यही जगह सबसे सही है ठेकेदार ने भले ही निचले स्तर के अधिकारियों के साथ साठ गांठ करके स्थान परिवर्तित कर दिया हो किंतु अब इसको यही अप्रूवल दे देना चाहिए ।

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एनसीआर खबर ने प्रोजेक्ट के टेंडर में मौजूद कोऑर्डिनेट्स को निर्माण स्थल के कोऑर्डिनेटर से मैच करके देखा तो दोनों में अंतर साफ दिखा। इस पर शनिवार को साइट पर कार्य कर रहे मजदूरों का कहना था कि एक यहां बन जाएगा और उसके बाद आगे भी बन जाएगा। रोचक तथ्य यह है कि यही बात इस प्रोजेक्ट में शामिल कंसलटेंट एजेंसी और प्राधिकरण के निचले अधिकारियों द्वारा भी सबको बताई जा रही है।

इस प्रकरण में बड़ा प्रश्न प्राधिकरण द्वारा नियुक्त कंसलटिंग एजेंसी पर भी उठ रहा हैं जिसने ठेकेदार के प्लान को अप्रूवल देने का काम किया है । प्रश्न उन अधिकारियों पर भी है जिन्होंने प्राधिकरण की साख पर बट्टा लगाने में कोई कमी नहीं छोड़ी है । प्रश्न यह है कि क्या प्राधिकरण में भ्रष्टाचार की जड़े इतनी गहरी हो चुकी हैं कि किसी भी तरीके की जांच के आदेश के बावजूद ठेकेदार इस बात के लिए आश्वस्त है कि धीरे-धीरे सारी बातें लोग भूल जाएंगे और यह ब्रिज लोगों की जरूरत के स्थान पर व्यावसायिक हित को साधने के लिए बना दिये जाएंगे ।

स्थानीय बायर्स संगठन नेफोवा और भाजपा नेता रवि भदोरिया ने भी उठाए ब्रिज की नीति पर प्रश्न

एनसीआर खबर द्वारा प्रकरण को उठाने और उसके बाद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ रवि एन जी द्वारा जांच के आदेश देने के बाद जिले में बायर्स की सबसे बड़ी संस्था नेफोवा ने ब्रिज के नाम पर निवासियों के साथ हो रहे धोखे और ठेकेदार के भ्रष्टाचार पर प्रश्न करते हुए आरोप लगाए हैं कि बिना किसी की शह या मिली भगत के इतना बड़ा निर्णय ठेकेदार नहीं ले सकता है । अतः इसे गंभीर भ्रष्टाचार का मामला मानते हुए कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए उम्मीद की जाती है कि निष्पक्ष जांच होगी और इस जालसाजी में शामिल ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट कर संबंधित अधिकारियों पर भी कार्यवाही होगी।

कदाचित प्राधिकरण के अधिकारी और ठेकेदार जानबूझकर इन फुटओवर ब्रिज को व्यावसायिक स्थलों पर बनाने की साजिश रच रहे होंगे क्योंकि एक बार यह बन जाते तो उसके बाद फिर से निवासी अपनी सोसाइटियों के आगे आ रही समस्याओं के लिए ब्रिज बनाने की मांग करते और इनको भ्रष्टाचार के लिए नया काम मिल जाता । संभवत: यही कारण रहा कि जब लोगों ने आवाज उठाई तो उनको वहां नियुक्त कंसलटेंट ने यह पाठ पढ़ाने की कोशिश की कि यह सही जगह बना रहे हैं और इनके अलावा भी दो नए ब्रिज आपकी मांग के अनुसार बनाए जाएंगे

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वहीं भाजपा नेता रवि भदोरिया ने भी एनसीआर खबर की समाचार का संज्ञान लेते हुए कहा कि इस प्रकरण में अधिकारी अथवा ठेकेदार जो भी दोषी हो उस पर सख्त से सख्त कार्यवाही होनी चाहिए ।

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