राजेश बैरागी । ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र में यूनीपोल पर विज्ञापन लगाने का ठेका हासिल करने के लिए संबंधित विभाग और विज्ञापन एजेंसियों के गठजोड़ का खेल फिर से होना तय है।ठेके पर दिए गए 36 यूनीपोल से कई गुना यूनीपोल लगाकर मोटी कमाई करने का खेल अभी भी चल रहा है। इसीलिए ऐन बोली के दिन एसीईओ प्रेरणा सिंह को अवैध यूनीपोल लगाने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी देनी पड़ी।
इस सोमवार को अपने दस में से पांच जोन (1,2,5,6,8) में 36 स्थानों पर यूनीपोल पर विज्ञापन लगाने के ठेके के लिए प्राधिकरण को रिजर्व प्राइस 19 करोड़ के स्थान पर 27 करोड़ रुपए की बोली प्राप्त हुई। यह रिजर्व प्राइस के मुकाबले 40 प्रतिशत अधिक है। ठेका पांच वर्ष के लिए दिया जाता है।बताया गया है कि यूनीपोल पर विज्ञापन लगाने का अधिकार हासिल करने में इस बार विज्ञापन एजेंसियों में अभूतपूर्व मुकाबला देखने को मिला।
अर्बन सर्विसेज विभाग से 15 दिन पहले ही हटाए गए वरिष्ठ प्रबंधक मनोज सचान ने इस बोली कार्यक्रम से ठीक पहले नाटकीय ढंग से फिर विभाग में वापसी की। सूत्र बताते हैं कि असल खेल निर्धारित लोकेशन पर लगे यूनीपोल्स पर अधिकार हासिल करने का नहीं है बल्कि उनकी आड़ में अनगिनत स्थानों पर अवैध यूनीपोल लगाकर मोटी कमाई करने का है ।
यह अभी भी और वर्षों से चल रहा है। शहर में अवैध यूनीपोल की कोई गिनती नहीं है। कभी कभार बड़े अधिकारियों के सख्ती बरतने पर एक दो यूनीपोल को उखाड़ दिया जाता है। यह कार्रवाई की औपचारिकता होती है जबकि सूत्रों के अनुसार एक अवैध यूनीपोल से प्रतिमाह एक लाख रुपए तक संबंधित विभाग प्रमुख को कमाई होती है। अवैध यूनीपोल पर विज्ञापन एजेंसी का नाम और नंबर नहीं लिखा जाता है।अवैध यूनीपोल वैध यूनीपोल की आड़ में ही लगाए जा सकते हैं। बोली ऊंची जाने की वजह यही है।