बुधवार सुबह गौतम बुद्ध नगर जिले में हुई 1.5 एमएम बारिश ने नगर की जल निकासी व्यवस्था को एक बार फिर सवालों के घेरे में ला दिया। बारिश के कारण नोएडा, ग्रेटर नोएडा में कई क्षेत्रों में जलभराव के दृश्य देखने को मिले, जिससे न केवल सड़कें जलमग्न हो गईं, बल्कि वाहनों की लंबी कतारें भी लगीं। कलेक्ट्रेट सहित कई इलाकों में पानी भरने से यह स्पष्ट हो गया कि प्रधिकरणों की जल निकासी योजनाएं प्रभावी नहीं हैं। विशेषकर ग्रीन बेल्ट में स्थित झुग्गियां पूरी तरह डूब गईं, जहां रहवासी समय पर सुरक्षित स्थानों पर पहुंच गए, लेकिन उनके बहुत सारे सामान बर्बाद हो गए।

नोएडा में जलभराव की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सेक्टर 61 से शोप्रिक्स मार्केट के पास, और सेक्टर 18 तथा औद्योगिक क्षेत्र सेक्टर 63 में पानी की निकासी करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। सोशल मीडिया पर कई वीडियो साझा किए गए हैं, जिसमें नागरिकों की कठिनाइयों को दर्शाया गया है।

नोएडा प्राधिकरण ने साफ-सफाई के लिए प्रतिदिन 95 लाख रुपये खर्च करने का दावा किया है, लेकिन नागरिकों का कहना है कि स्थिति सुधारने के लिए खर्च किया गया धन परिणाम नहीं दे रहा है। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि नोएडा के जीएम एसपी सिंह को इस मुद्दे पर पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
ग्रेटर नोएडा में भी स्थिति बेहतर नहीं थी। तिलपता, सूरजपुर और हल्दौनी की सड़कों पर लंबा जाम लगा रहा। सूरजपुर टी-प्वाइंट और अन्य गोलचक्कर पर पानी निकासी की व्यवस्था पूरी तरह विफल रही। हालात ऐसे बने हैं कि दादरी-सूरजपुर-छलेरा रोड पर हर बारिश में जलभराव हो जाता है, जिससे स्थानीय निवासियों को निरंतर परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
आधिकारिक रिपोर्टों के अनुसार, औद्योगिक क्षेत्र ईकोटेक-3 में पिछले वर्ष करोड़ों रुपये खर्च कर बनाए गए आरसीसी ड्रेन का प्रभाव भी इस बार नजर नहीं आया, और उद्यमियों ने आरोप लगाया है कि गलत इंजीनियरिंग के कारण नाले का निर्माण किया गया।
ग्रेटर नोएडा वेस्ट की विभिन्न सोसाइटीज़ अरिहंत आर्डेन सोसाइटी, ईकोविलेज-1 सोसाइटी, बिसरख जाने वाले रास्ते पर भी जलभराव हुआ, साथ ही Eros Sampoornam, में भी बारिश के दौरान जलभराव की समस्या पुनः सामने आई, जिससे निवासियों को भारी नुकसान हुआ।