नोएडा प्राधिकरण में बड़े सपने अक्सर धारत पर उतरते उतरते इतने छोटे हो जाते है कि लोग बस मन मसोस कर रह जाते है। हर बार ऐसा लगता है कि अबकी बार नोएडा प्राधिकरण कुछ बड़ा करके दिखाएगा किंतु आखिर में मामला वहीं ढाक के तीन पास वाला हो जाता है। ताजा मामला नोएडा की स्थापना दिवस पर घोषित सेक्टर 18 में बनने वाले नोएडा स्क्वायर का है । जिसको अब 18 स्क्वायर कर दिया गया है ।
दरअसल नोएडा में न्यूयॉर्क की तर्ज पर टाइम्स स्क्वायर बनाये जाने की घोषणा हुई थी । 10000 स्क्वायरफुट में बनने वाले इस प्रोजेक्ट में बड़ी-बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाई जाने थी, जिसमें लाइव मैच देख पाते। टाइम्स स्क्वायर में टायरों पर लाइटों के बीच विज्ञापन, लाइव शो, लाइव मैच, फिल्म समेत कई तरह के कार्यक्रम स्क्रीन पर चलाए जाने का दावा किया था ।यहां पर बच्चों की खेलने के लिए जगह एलईडी युक्त वीडियो वॉल का क्रोमा वॉल भी बनाए जाने थे ।
किंतु मात्र एक माह अब इस प्रोजेक्ट को 10000 स्क्वायर फीट से बदलकर 999 स्क्वायर फीट में बदल दिया गया है । एनसीआर खबर मिली को मिली जानकारी के अनुसार पूरे प्रोजेक्ट का बजट भी एक चौथाई कर दिया है। प्राधिकरण के सूत्रों का कहना है कि बीते 1 साल से इस प्रोजेक्ट के लिए तैयारी की जा रही थी किंतु अचानक इस पूरे प्रोजेक्ट को छोटा करके इसकी उपयोगिता को जिस तरीके से खत्म किया गया है उसे पर कई प्रश्न उठ रहे है ।
नोएडा प्राधिकरण सीईओ सीईओ लोकेश एम से एनसीआर खबर के तीन प्रश्न
10000 फुट के प्रोजेक्ट को 999 फुट तक सीमित क्यों किया गया ?
एक वर्ष में पूर्ण होने वाले प्रोजेक्ट पर अचानक जल्दबाजी क्यों ?
न्यूयार्क स्क्वायर कैसे योजना के लिए इंटरनेशनल टेंडर क्यों नहीं हुए ?
एनसीआर खबर को नोएडा प्राधिकरण के सूत्रों ने बताया कि अगर प्राधिकरण को यही करना था तो इसका इतना शोर मचाने की आवश्यकता ही नहीं थी ऐसा स्कीम तो नोएडा सेक्टर 18 में ही क्या, कहीं भी लगाया जा सकता है । क्या प्राधिकरण ने किसी विशेष को फायदा पहुंचाने के लिए पूरी योजना को इस तरह से बदल तो नहीं दिया है । आखिर 10 करोड़ के प्रोजेक्ट को ढाई करोड़ में तक सीमित कर देने के पीछे कारण क्या है ?
प्रश्न नोएडा के सीईओ लोकेश एम पर भी है कि आखिर इतनी महत्वपूर्ण योजना को जल्दबाजी में शुरू करने की योजना से कहीं सेक्टर 18 में अनावश्यक भीड़ न उत्पन्न हो जाए और न्यूयॉर्क की जगह सेक्टर 18 का मार्केट दिल्ली के किसी आम बाजार की तरह बंद कर न रह जाए ।