2007-8 में जब ग्रेटर नोएडा ने अपने पश्चिमी हिस्से को ग्रुप हाउसिंग के लिए विकसित करना शुरू किया तो प्राधिकरण से पहले इसको यहां के बिल्डरों ने नोएडा एक्सटेंशन नाम दे दिया । नोएडा से लगा होने के चलते इसको नोएडा एक्सटेंशन कहकर बेचने में बिल्डरों ने इतनी महारत दिखाई कि लोगों को ऐसा लगा कि यहां पर उनका विधायक भी नोएडा का ही होगा ।
लगभग 10 साल तक ऐसे नोएडा एक्सटेंशन के रूप में ही बेचा जाता रहा। 2018 के आसपास ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ ने इस पर संज्ञान लेते हुए इसे ग्रेटर नोएडा का हिस्सा बताते हुए इसको ग्रेटर नोएडा वेस्ट नाम दिया । इसके साथ ही यह भी तय हुआ कि ग्रेटर नोएडा वेस्ट में स्थापित होने वाले सभी सोसाइटी से लेकर स्कूल तक अपने नाम और प्रचार में नोएडा एक्सटेंशन की जगह ग्रेटर नोएडा वेस्ट ही उसे करेंगे उसके लिए बाकायदा नियम बनाए गए और अर्थ दंड का भी प्रावधान किया गया ।
ग्रेटर नोएडा वेस्ट में निजी स्कूलों में महंगी बुक्स और फीस की लड़ाई लड़ रहे हैं कई लोगों ने बताया कि दरअसल स्कूलों ने स्ट्रेटजी के तहत अपने स्कूलों के नाम के साथ नोएडा एक्सटेंशन जोड़ लिया है और इस खेल से वह जानबूझकर क्षेत्र की पहचान को बदलने की अपनी रणनीति को सफल कर जाते हैं
इसके बाद ग्रेटर नोएडा वेस्ट में तमाम प्रोजेक्ट्स और स्कूलों ने अपने नाम के आगे ग्रेटर नोएडा वेस्ट लिखना शुरू किया किंतु पैसे और पावर के प्रभाव में मदमस्त कई स्कूलों ने आज तक अपने स्कूलों पर ग्रेटर नोएडा वेस्ट की जगह नोएडा एक्सटेंशन लिखना नहीं छोड़ा है अब इसी कड़ी में कई नए स्कूल अपने स्कूलों को नोएडा एक्सटेंशन में ही लिखकर सोशल मीडिया पर प्रचार कर रहे हैं ।
एनसीआर खबर पहले भी ऐसे कई स्कूलों कि इस हद्धार्मिता पर प्रश्न उठ चुका है । और उसके बाद इन स्कूलों पर कार्यवाही भी की जा चुकी है किंतु ऐसा लगता है कि अब ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने ग्रेटर नोएडा वेस्ट में आने वाले स्कूलों को एक बार फिर से इसकी छूट दे दी है ।
हैरत की बात यह है कि इन अपने ही शहर के नाम को बिगड़ने में लगे इन स्कूलों से आप अपने बच्चों को क्या शिक्षा देने का की अपेक्षा करेंगे जब वह स्वयं अपने व्यापार के लिए शहर के गलत नाम को बढ़ावा देने से बाज नहीं आते हो या फिर अपने पैसे और प्रभाव के बल पर नियम को तोड़ने की आदत रखते हो ।


प्रश्न प्राधिकरण की अर्बन व्यवस्था देख रहे डिपार्टमेंट और इसके अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी है जो ऐसे कृत्यों पर न सिर्फ आंख मींच लेता है बल्कि सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक इनके विज्ञापनों पर कुछ ले देकर मामला सेट कर लेता है ।
ऐसे में बड़ा प्रश्न यह भी है कि अगर प्राधिकरण ऐसे ही सोया रहा तो क्या ग्रेटर नोएडा वेस्ट को उसके असली नाम की जगह स्कूलों और बिल्डरों द्वारा एक दिन नोएडा एक्सटेंशन ही बना दिया जाएगा । क्योंकि जो बच्चे इन स्कूलों से पढ़कर निकलेंगे वह आने वाले समय में इसे ग्रेटर नोएडा वेस्ट नहीं नोएडा एक्सटेंशन ही कहेंगे इन बच्चों के रिपोर्ट कार्ड पर भी संभवत: नोएडा एक्सटेंशन ही लिखा होगा इससे देश-विदेश में इन बच्चों के सर्टिफिकेट के बाद इसकी पहचान ग्रेटर नोएडा वेस्ट से अलग नोएडा एक्सटेंशन ही होगी ।