रविवार को ग्रेटर नोएडा वेस्ट के लोगों को 130 मीटर रोड मिली बंद, HCL Foundation के Cyclothon इवेंट से बिगड़ी यातायात व्यवस्था, दोषी कौन ?
रविवार की सुबह जब ग्रेटर नोएडा वेस्ट के निवासी इसकी लाइफलाइन कहीं जाने वाली 130 मी रोड के को प्रयोग कर ग्रेटर नोएडा या नोएडा जाने के लिए निकले तो उन्हें पता लगा की लगभग 10 किलोमीटर के पेंच को लोगों के लिए रोक दिया गया है सुबह 6:00 बजे से 11:00 तक परेशान होते रहे। लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा कि एक कॉरपोरेट हाउस की सामाजिक संस्था के कार्यक्रम के लिए किसी का किसी ज़रूरी काम छूट गया तो किसी के बच्चों की कोचिंग क्लासेज के लिए बुक्स लेने का कार्यक्रम अगले रविवार तक के लिए खिसक गया।
आज ग्रेटर नोएडा वेस्ट के लोगों की लाइफ लाइन कहे जाने वाली 130 मी हाईवे पर प्राधिकरण प्रशासन और एक कॉरपोरेट कंपनी कै इस आयोजन से लोगों को क्या परेशानी हुई हम उसकी चर्चा करेंगे। लेकिन उससे पहले लोगों की तकलीफ को सुनते हैं
इस यात्रा के आयोजन से ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सामाजिक संस्थान नेफोवा के अध्यक्ष अभिषेक कुमार ने प्रतिवाद करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि ग्रेटर नोएडा वेस्ट में @HCL_Foundation का Cyclothon है जिसके लिए @dcptrafficnoida ने पूरा 130m सड़क बंद कर रखा है। यह वीडियो गैलेक्सी वेगा गोलचक्कर का है जहां आप देख सकते हैं कि लोग कितने परेशान है। सुबह से सड़क बंद है। क्या निवासियों को परेशान करके इस तरह का आयोजन करना सही है? क्या किसी कॉरपोरेट के लिए निवासियों को इतना परेशान करना सही है ।
लोगों की समस्याओं से अलग ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और प्रशासन द्वारा इस आयोजन के लिए मुख्य सड़क पर स्वीकृति देने पर प्रश्न खड़े हो रहे हैं । प्रश्न यह है कि जिस जिले में नोएडा स्टेडियम में इस आयोजन को करवाया जा सकता था या फिर फॉर्मूला वन ट्रैक पर भी इस आयोजन को करवाया जा सकता था वहां क्या सिर्फ एक कॉर्पोरेट संस्थान के CSR वाली सामाजिक संस्था के पैसे बचाने के लिए लोगों को परेशानी में डाल दिया गया।
प्रश्न यह भी है कि जब इस संस्था द्वारा साइकिल साइक्लोथान का यह आयोजन 130 मी रोड पर होना था तो क्यों 1 महीने पहले से इस संस्था ने बाकायदा लोगों को सूचित कर कर यहां पर पहले से तैयारी नहीं की क्यों प्राधिकरण द्वारा लोगों को इसके लिए वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध नहीं कराया गया । एनसीआर खबर ने इस कार्यक्रम के आयोजन से एक हफ्ता पहले कल फाउंडेशन के लोगों से इस कार्यक्रम के को लेकर मीडिया को जानकारी देने को कहा था जिसको लेकर भी यह संस्था निश्चित रही दर्शन सोशल मीडिया के दौर में ऐसी संस्थाओं को यह लगता है कि वह इंस्टाग्राम और फेसबुक के माध्यम से अपने लोगों के बीच में जो कार्यक्रम का प्रचार कर रहे थे उस उनका काम हो जाएगा किंतु वह भूल गए कि जिस जगह वह यह कार्यक्रम कर रहे हैं वहां के लोगों को इस यूरोपीय साइक्लोट्रॉन का कोई फर्क नहीं पड़ रहा था ऐसे में स्थानीय लोगों की समस्या को दरकिनार करके ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण प्रशासन और कॉर्पोरेट के बीच आम आदमी फस कर रह गया और दुर्भाग्य देखिए की जस्ट इस मार्च को भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव को फांसी दे दी गई थी उसे दिन एक बार फिर से सरकार और सामाजिक संस्थाओं के कॉलोनियल माइंडसेट के चलते तमाम लोगों के विचारों को उनके मौलिक कर्तव्य को फांसी दे दी गई