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जागिए वन मंत्री जी : बहराइच में भेड़िया नरभक्षी पर #आपरेशन भेड़िया” सही किन्तु ग्रेटर नोएडा में सूरजपुर वेट लैंड के पक्षी अपने को शहरी भेड़ियों कैसे से बचाए ?

बहराइच से लखीमपुर-खीरी और मैनपुरी तक जा पहुंचे आदमखोर भेडिया को लेकर इन दिनों वन विभाग बेहद एग्रेसिव चैंपियन “आपरेशन भेड़िया” चलाकर वहां के आसपास के 35 गांव के लोगों को राहत देने के प्रयास में हैं । पांच आदमखोर भेड़ियों को गिरफ्तार कर लिया गया है छटे के लिए अभी प्रयास जारी है । भेड़ियों के आदमखोर होने और उनके मानव बस्ती में आने के लिए क्या सिर्फ भेड़िया जिम्मेदार है । जल, जंगल, पहाड़ में निरंतर बढ़ते हस्तक्षेप का अंतिम शिकार स्वयं मनुष्य को ही होना है। ऑपरेशन भेड़िया में लगा वन विभाग से यह प्रश्न पूछे जाने से आधिक आवश्यक ये है कि यह स्थिति निर्मित कैसे हुई? सरकारी आंकड़ों की माने तो उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री ने वन क्षेत्र के बढ़ने का दावा किया है तो एक अन्य निजी रिपोर्ट में इसके कम होने की जानकारी दी गई है ।

मानव विकास की होड़ में वन्य जीव जंतुओं और पशु पक्षियों की प्राथमिकताओं को हम किस तरीके से किनारे कर देते हैं इसका एक उदाहरण ग्रेटर नोएडा के सेक्टर R6 प्लॉट नंबर वन से समझा जा सकता है । ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अंतर्गत सूरजपुर वेटलैंड को वन विभाग मेंटेन करता है यहां पर सर्दियों के सितम्बर से मार्च तक साइबेरियन पशु पक्षियों के विचरण करते हैं इसके अलावा यह वेटलैंड अपने जंगल के लिए जाना जाता है ।

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किंतु हैरत की बात यह है सूरजपुर वेटलैंड की सीमा से लगे सेक्टर r6 के प्लॉट नंबर 1 पर इन दिनों बैंक्विट हॉल बनाने की तैयारी जोरों शोरों से चल रही है । हैरत की बात यह है कि जिस वेटलैंड तक पहुंचने के लिए प्राधिकरण आज तक रास्ता नहीं बन पाया वहां से लगे इस प्लॉट पर बेहद हाई प्रोफाइल बैंकट हॉल बनाने की तैयारी पिछले कुछ महीनो से चल रही है ।

एनसीआर खबर ने जब इसकी जांच की तो पता लगा यह प्लॉट 2015 में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में आवंटित किया था किंतु समस्या यह है कि इतने बड़े निर्माण के बावजूद वन विभाग और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण दोनों ही अभी तक इससे अनजान हैं । क्योंकि पशु पक्षी प्राधिकरण, वन विभाग, पुलिस या प्रशासन में जाकर अपने साथ यहां के शोर के कारण होने वाले नुकसान की शिकायत नहीं कर पाएंगे इसलिए इसकी चिंता किसी को नहीं है। कोई भेड़िया अगर इस वेटलैंड में होता तो उसके आदमखोर होने की चिंता की जाती। या फिर जब इसके कारण कोई बड़ा नुकसान हो जाएगा , क्या तब प्रश्न उठाएंगे कि भेड़िया आदमखोर हो गया है या पशु पक्षी कुछ गड़बड़ कर रहे हैं ?

मुद्दा है कि इस बैंक्विट हॉल के लिए प्लॉट की परमिशन प्राधिकरण में किसके कार्यकाल में और क्यों दी गई ? साथ ही मुद्दा यह भी है कि अब अगर यह बैंकट हॉल बन रहा है तो प्राधिकरण और वन विभाग इसको लेकर अनजान क्यों बने हुए है । अगर यह किसी के भी कार्यकाल में गलत आवंटन हुआ है तो फिर इसके रद्द करने की प्रक्रिया कौन शुरू करेगा, क्या वेटलैंड से लगे इस स्थल पर किसी प्रकार की शादी या अन्य कार्यक्रम की अनुमति दी जा सकती है वन विभाग के नियम इसको लेकर सख्त क्यों नहीं है ?

सवाल तो उत्तर प्रदेश के वन मंत्री अरुण कुमार से भी होने चाहिए कि आखिर हर दूसरे महीने यहां आने के बावजूद उनको इसकी जानकारी अब तक क्यों नहीं है या फिर वह भी किसी बड़ी अवयस्था के बाद ही कदम उठाने में विश्वास करते हैं। सवाल तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष भी खड़े होते हैं कि दिल्ली से सटे इस औद्योगिक क्षेत्र में भू माफियाओं और इस तरीके के कार्यों पर उनका संकल्प बेबस क्यों दिखाई देता है?

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