आशु भटनागर । शनिवार को ग्रेटर नोएडा वेस्ट से ग्रेटर नोएडा के बीच लाइफ लाइन कहीं जाने वाली 130 मीटर सड़क के तिलपता और देवला गांव के बीच 200 मीटर के हिस्से पर तोशा इंटरनेशनल कंपनी के बंधक होने की समाचार की प्रतिक्रियाएं ओर घटनाक्रम मुझे फॉलो अप को लिखने के लिए मजबूर कर रहा है ।
पिछली रिपोर्ट में मैंने विस्तार से बताया था कि किस तरीके से एक पिक्चर ट्यूब बनाने वाली बंद हो चुकी कंपनी के मालिक की जिद ओर महत्वाकांक्षा ने हजारों लोगों के जीवन को दाव पर लगा दिया है । इस स्टोरी को आप यहां क्लिक करके पढ़ सकते है।

समाचार के प्रकाशित होने पर जहां एक और सैकड़ो लोगों ने उनके दर्द को डिटेल में लिखने के लिए मुझे आशीर्वाद दिया तो वहीं कंपनी के प्रतिनिधि ने मेरी पत्रकारिता और पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए सारा दोष एक बार फिर से सरकार का कहा । यद्यपि कंपनी अभी तक पूरे प्रकरण में अपने कंसर्न मीडिया को बताने में नाकाम है। अक्सर सत्ता पक्ष के राजनेताओं से संबंध रखने वाले ओर बड़े खेल कर रहे बड़े बिल्डर या बड़ी कंपनियों कें प्रतिनिधियों की ऐसी बातें मुझे कभी भी हताश नहीं करती बल्कि यह सच को बाहर लाने की मेरे जनून को और प्रोत्साहित कर देती है ।
बहराल इस स्टोरी के प्रकाशित होने के बाद पहला काम यह हुआ कि समाचार के बाहर जाते ही तोशा कंपनी ने सड़क पर लगाए हुए टेंट को हटा दिया । इसे समाचार का असर भी कह सकते हैं और समाचार के कारण कंपनी के लोगों के नैतिक मूल्यों का एहसास भी कह सकते है ।
किंतु यह नैतिक एहसास ज्यादा देर तक नहीं रहा जब मैंने देखा कि कंपनी ने टूटी हुई सड़क को ना बनने देने ओर उस पर नजर रखने के लिए टेंट की जगह दोनों तरफ सड़क पर सीसीटीवी कैमरे लगा दिया । कानून की जानकारी रखने वाले एक बड़े अधिकारी से मैंने पूछा कि क्या किसी भी सड़क पर किसी निजी कंपनी को इस तरीके से सीसीटीवी कैमरे लगाने का हाथ है उन्होंने स्पष्ट कहा कि कानून व्यवस्था का उल्लंघन है इसके साथ ही लोगों की प्राइवेसी का भी उल्लंघन है । भले ही मामला तोशा इंटरनेशनल और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के बीच कोर्ट में हो किंतु फिर भी वह उस सड़क से गुजर रहे लोगों की निजी क्षणों को इस तरीके से कैद नहीं कर सकते है ।
वही इस पूरे प्रकरण पर लखनऊ से आए एक फोन से एक बेहद महत्वपूर्ण बात बताते हुए कहा कि लखनऊ दरबार से इस कंपनी के मालिकों ने प्राधिकरण पर दबाव बनाने की रणनीति का खेल शुरू कर दिया है । सत्ता के गलियारों में ऐसी कंपनियों के लिए दलाली करने के लिए कई नेता स्वयं लालायित रहते हैं ऐसे में अगर स्वयं कंपनी के मालिकों के सत्ता से सीधे संबंध हो तो प्राधिकरण के अधिकारी कितने दिनों तक जनहित की बात कर पाएंगे। देर सवेर कंपनी को वो मिल ही जाएगा इसके लिए उसने 15 सालों से इस सड़क को रोक कर रखा था ।
इस पूरे प्रकरण पर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियो कर्मचारियो की बातें राजनीति और नेताओं राजनेताओं के कारण जनता की नजरों में प्राधिकरण को दोषी बना देने के खेल पर भी दिखाई दी । प्राधिकरण के एक अधिकारी ने कहा कि अगर प्राधिकरण 200 मीटर के हिस्से पर मिट्टी डालकर उसे समतल कर भी देता तो इससे वह तोशा इंटरनेशनल की जमीन को अपने घर उठाकर नहीं ले जा रहे थे। किंतु जिस तरीके से तोशा कंपनी ने सिर्फ मिट्टी डलवाने को रोकने के लिए इतना बड़ा बखेड़ा किया है उस कंपनी और कंपनी के लोगों की जन विरोधी मानसिकता का पता लगता है।
पूरे समाचार पर एक बुजुर्ग किंतु व्यापार से रिटायर व्यक्ति ने मुझे फोन करके एक कहा कि यही संसार का कड़वा सच है दुर्योधन थोड़ी सी जमीन पांडवों को दे देता तो महाभारत का युद्ध ना होता, इतिहास उसे भी नायक के रूप में याद रखता । ऐसे ही तोशा कंपनी लंबे समय तक इस विवाद को बनाए रखकर अपनी जिद तो पूरी कर सकती है किंतु नायक कभी बन पाएगी इसमें संशय है ।
जनहित में इस सड़क के निर्माण होने तक आप लोगों की प्रतिक्रियाएं क्रमवार साप्ताहिक या मासिक तौर पर एनसीआर खबर प्रकाशित करता रहेगा ।