राजेश बैरागी । अभी लोकसभा चुनाव की दुंदुभी बजी नहीं है परंतु संभावित प्रत्याशियों ने अपने नगाड़ों पर थाप दे दी है। सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा की प्रतिष्ठा का ध्वज सबसे ऊंचा होकर फहर रहा है इसलिए संभावित प्रत्याशियों की भीड़ भी उसी ओर बढ़ रही है। अपनी जीत के प्रति आश्वस्त भाजपा को अपने ही जीते हुए एक तिहाई सांसदों के टिकट काटने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए। इससे सरकार विरोधी माहौल को शांत करने में सफलता मिलती है।जब पार्टी अपनी पूरी रफ्तार में होती है तो टिकट कटने वाले प्रत्याशी पार्टी के इस निर्णय को भी आशीर्वाद की भांति लेते हैं।इसी आशा पर अनेक गंभीर और गैर गंभीर लोग प्रत्याशा लेकर पार्टी के कार्यालय से लेकर टिकट दिलाने की क्षमता रखने वाले नेताओं के चक्कर काटते हैं। ‘बुढ़िया मरे तो खटोला मिले’ वाली कहावत इसी समय पर चरितार्थ होती है। परंतु बुढ़िया न तो खुद को बुढ़िया मानने को तैयार होती है और न मरने को। इससे टिकटार्थियों में बेचैनी बढ़ती रहती है और टिकट दिलाने वाले नेताओं की पूछ भी।
सूत्र बता रहे हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा अपने अधिकांश वर्तमान सांसदों को फिर प्रत्याशी बनाने के मूड में नहीं है। इससे इस क्षेत्र में टिकट प्राप्त करने की इच्छा रखने वाले नेताओं की संख्या बढ़ रही है।
गौतमबुद्धनगर लोकसभा क्षेत्र में अब कम से कम आधा दर्जन लोग भाजपा का टिकट पाने के प्रयास में जुटे हैं। यहां जिलाधिकारी रहे बी एन सिंह ने टिकट और फिर चुनाव लड़ने के लिए बाकायदा सरकारी सेवा से अवकाश ले लिया है। उनका शहरी और ग्रामीण जनता समूहों के बीच बैठकों का दौर चल रहा है। हालांकि स्थानीय भाजपा संगठन वर्तमान सांसद डॉ महेश शर्मा के प्रति निष्ठा प्रदर्शित करते हुए उनसे दूरी बनाए हुए है परंतु बी एन सिंह समर्थकों का मानना है कि टिकट मिलने पर यही संगठन उनके प्रशंसा गीत गाने में कोई देरी नहीं करेगा।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल लोकसभा क्षेत्र में स्थान स्थान पर नमो केंद्र खोल रहे हैं। इससे वे जनता को सरकारी योजनाओं की जानकारी और उन योजनाओं तक सरलता से पहुंच बनाने का उद्देश्य बताते हैं। हालांकि यह उनका जनता से अपनी पहुंच बनाने का प्रयास है। जानकार कहते हैं कि टिकट मिलने और न मिलने, दोनों ही दशा में इन नमो केंद्रों की आयु अगले दो माह की ही है।
दादरी विधायक तेजपाल नागर भी सांसद बनने की जुगत लगा रहे हैं। अनजान से प्रोफेसर अजय छोंकर भी टिकट के प्रत्याशी हैं। हालांकि इन सबके विपरीत अपना टिकट बचाने के लिए वर्तमान सांसद डॉ महेश पूरा प्रयास कर रहे हैं। पार्टी नेतृत्व से लेकर क्षेत्र के प्रभावशाली लोगों तक को साधा जा रहा है। अपने गुट के ऐसे लोगों पर निगरानी की जा रही है जिनकी निष्ठा संदिग्ध है।उन धुर विरोधियों से भी निकटता बढ़ाई जा रही है जो बुरे समय में खोटे सिक्के की तरह काम आ सकते हैं। हालांकि पिछले दस वर्षों में उनके विरुद्ध हो गये लोगों की भी एक लंबी सूची है।