किस्से सच्चे झूठे : भाजपा में चुनावो तक रहेगी वही टीम, बदलाव ना होने की संभावना से कइयों का सपना टूटा

NCRKhabar Mobile Desk
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देश में भारतीय जनता पार्टी ऐसी एकमात्र पार्टी है जिसके कार्यकर्ता 24 घंटे,12 महीने, 365 दिन जनता के बीच किसी न किसी कार्यक्रम को लेकर लगे रहते हैं । बूथ से लेकर जिला अध्यक्ष तक हर कार्यकर्ता के पास किसी न किसी कार्यक्रम का दायित्व चलता रहता है इन्हीं सब कार्यक्रमों के बीच उत्तर प्रदेश में जब जिला अध्यक्ष बदलने की बात हुई तो गौतम बुद्ध नगर के भी जिला अध्यक्ष को बदला गया। बदलाब के दौर इसी के साथ यह भी सूचना आई कि जल्द ही जिला कार्यकारिणी और मंडल अध्यक्षों में भी बदलाव होगा।

इन बदलाव को लेकर गुटबाजी और जोर आजमाइश होने लगी। सूचना यहां तक आई की गौतम बुद्ध नगर जिले में समस्त 11 मंडलों के मंडल अध्यक्ष और कार्यकारिणी को बदल दिया जाएगा ऐसे में सभी लोगों ने अपने-अपने शीर्ष नेताओं के जरिए संस्तुति करवानी शुरू दी।

जिले और मंडल में नई नियुक्तियां की संतुति को लेकर भाजपा के वर्तमान सांसद और विधायकों के बीच तलवारे तक खिंच गई । स्थितियां यह आ गई कि क्षेत्रीय अध्यक्ष सतेंद्र सिसोदिया को सबकी संतुतियो के आधार पर भेजी लिस्ट को डस्टबिन में डालना पड़ा ।

बात यहां तक हुई की बदलाव में जिन लोगों की संभावनाएं मंडल अध्यक्ष और जिला कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष और महामंत्री के लिए बन रही थी। उनको उनके नेताओ द्वारा अनधिकृत तौर पर संदेश दे दिया गया कि आप ही बनेंगे और आप इस तरीके से कार्य करना शुरू कर दें। सूचना तो यहां तक आई की पूर्व जिला अध्यक्ष के कार्यकाल में बना पूर्वांचल मोर्चा भी नए दौर में समाप्त कर दिया गया । इसके पीछे तर्क दिया गया कि अगर पूर्वांचल के नाम पर मोर्चा बनाया गया तो फिर जल्द ही उत्तराखंड और अन्य देश के हिस्सों के नाम पर भी यहां मोर्चे खड़े करने पड़ेंगे।

इसका असर यह हुआ कि पुराने मंडल अध्यक्षों और जिला कार्यकारिणी सदस्यों ने कार्यक्रमों में आना रुचि लेना बंद कर दिया और संभावित नए लोगो के हिसाब से कार्य होने लगा ।किंतु पहले दशहरा फिर दिवाली और अब क्रिसमस और न्यू ईयर निकलता ऐसे नेताओं का दिल बैठने लगा है क्योंकि चुनावी कार्यक्रमों को लेकर अब पुराने मंडल अध्यक्षों और जिला कार्यकारिणी के सदस्यों के साथ ही तमाम योजनाओं को मूर्त रूप दिया जाने लगा है ।

ऐसे में भाजपा के पुराने नेताओं की जहां एक और बन आई है वहीं दूसरे और इन नए नेताओं के सपने टूटते नजर आ रहे हैं पुराने नेताओं को अब यह लग रहा है कि 2024 के चुनाव तक तो कम से कम बदलाव मुश्किल है ऐसे में उनके हिस्से में एक और जीता हुआ चुनाव आ जाएगा तो नए बनने वाले नेताओं को अब यह लग रहा है कि चुनाव जीतने के बाद होने वाले बदलाव में उनका नाम वैसे ही रह पाएगा या नहीं यह बड़ा प्रश्न रहेगा और इसकी संभावनाएं चुनावी गणित के हिसाब से तय होंगे ।

बरहाल नई और पुराने के खेल में भाजपा में इन दिनों वह लोग चटकारे ले रहे हैं जो ना पहले कार्यकारिणी और मंडल में कुछ बने हुए थे और ना अब उन्हें बनने की उम्मीदें थी । और नए लोगों के बारे में इन दोनों गाना गा रहे हैं छन् से जो टूटा कोई सपना कोई सा पद रहा ना अब अपना ।

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