राजेश बैरागी । इतिहास साक्षी है कि युगों युगों से युद्ध जीतने के लिए सेनाओं का उपयोग किया जाता रहा है। यदि युद्ध का स्वरूप बदल सकता है तो सेनाओं का स्वरूप भी बदल सकता है। गौतमबुद्धनगर लोकसभा क्षेत्र से आगामी चुनाव के लिए भाजपा से टिकट पाने की जंग लड़ रहे टिकटार्थियों के पक्ष में सेनाएं मैदान में उतर आयी हैं। उत्तर प्रदेश की अमूमन सभी लोकसभा सीटों पर भाजपा से टिकट पाने की इच्छा रखने वाले प्रत्याशियों की संख्या सर्वाधिक है।
भाजपा का टिकट माने जीत की गारंटी। गौतमबुद्धनगर लोकसभा क्षेत्र टिकटार्थियों की प्रत्याशा में अव्वल नंबर पर है। यहां आधा दर्जन लोग भाजपा से टिकट पाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। इनमें वर्तमान सांसद और मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में तीन मंत्रालयों के राज्यमंत्री रहे महेश शर्मा तो हैं ही, कई विधायक, पूर्व मंत्री और नौकरशाह तक लाइन में लगे हैं। टिकट पाने की दो तरकीबें हमेशा आजमाई जाती हैं।अपना कद ऊंचा कर लो या दूसरे का कद छोटा कर दो।दूसरा तरीका ज्यादा सरल माना जाता है। इसी तरीके से सफलता प्राप्त करने के लिए सेना मैदान में उतार दी गई है।
दो दिन पहले बुलंदशहर में आयोजित प्रधानमंत्री की जनसभा में सांसद डॉ महेश शर्मा के विरुद्ध करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष ने विरोध प्रदर्शन किया था। एनसीआर खबर समाचार पोर्टल पर आयोजित परिचर्चा कार्यक्रम में करणी सेना के अध्यक्ष धीरज सिंह ने डॉ महेश शर्मा पर अपने क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप लगाया। परिचर्चा के दौरान सेनापति क्षमा करें, सेना के प्रदेश अध्यक्ष ने जेवर क्षेत्र के विधायक ठाकुर धीरेन्द्र सिंह को आगामी लोकसभा चुनाव में गौतमबुद्धनगर से भाजपा के लिए सर्वाधिक उपयुक्त प्रत्याशी बताया। हालांकि उन्होंने डॉ महेश शर्मा के विरुद्ध किए गए प्रदर्शन के पीछे किसी के इशारे से इंकार किया परंतु उनकी बातों से यह समझना मुश्किल नहीं था कि उन्होंने यह विरोध प्रदर्शन क्यों और किसे लाभ पहुंचाने के लिए किया।करणी सेना दरअसल फिल्म पद्मावती के रिलीज के समय राजपूत बिरादरी के सम्मान के नाम पर अस्तित्व में आई थी।
यह तथाकथित सामाजिक संगठन एक वर्ग विशेष का प्रतिनिधित्व करता है। ठाकुर धीरेन्द्र सिंह और डॉ महेश शर्मा की अदावत जगजाहिर है। दूसरी बार विधायक चुने जाने के बाद ठाकुर धीरेन्द्र सिंह की मनोकामना सांसद बनने की बताई जाती है। इसके लिए डॉ महेश शर्मा का टिकट कटना पहली प्राथमिकता है।उनका टिकट कटवाने के लिए उनका विरोध किया जाना उचित तरीका है। हालांकि प्रधानमंत्री की जनसभा में अपने ही सांसद के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन कराए जाने को पार्टी नेतृत्व किस तरह लेता है,यह देखना दिलचस्प होगा।