राजेश बैरागी I जनपद गौतमबुद्धनगर में आंदोलनरत किसानों से नोएडा ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे को निर्बाध रखने के लिए जिला प्रशासन ने जिला न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। दिलचस्प तथ्य यह है कि न्यायालय से अपेक्षित आदेश का पालन कराने के लिए कमिश्नरेट पुलिस को आदेश देने की प्रार्थना की गई है।
जनपद गौतमबुद्धनगर में नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरणों तथा एनटीपीसी के विरुद्ध आये दिन होने वाले किसानों के धरना-प्रदर्शन से आजिज आकर जिला प्रशासन ने स्थाई निषेधाज्ञा के लिए एक वाद जिला न्यायालय गौतमबुद्धनगर में मंगलवार को दायर किया है। जिला प्रशासन की ओर से यह वाद ओ सी (लिटिगेशन) के द्वारा सिविल जज (सीनियर डिवीजन) श्री मयंक त्रिपाठी की अदालत में दायर किया गया है।
सूत्रों के अनुसार वाद पत्र में आम नागरिकों के हित में किसानों द्वारा नोएडा ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे को किसी भी कारण और प्रकार से अवरोधित करने से रोकने के लिए स्थाई निषेधाज्ञा का आदेश पारित करने की मांग की गई है ताकि किसी भी आम औ खास को आवागमन में परेशानी न हो। साथ ही अदालत से स्थाई निषेधाज्ञा (यदि ऐसा आदेश पारित किया जाता है तो) के अनुपालन के लिए कमिश्नरेट पुलिस को जिम्मेदारी देने की प्रार्थना भी की गई है।
सूत्रों ने बताया कि अदालत ने जिला प्रशासन की ओर से प्रस्तुत वाद पर शासकीय अधिवक्ताओं की दलीलों को ध्यानपूर्वक सुना। शासकीय अधिवक्ताओं ने अपने पक्ष में सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के पूर्व में पारित कई निर्णयों को न्यायालय के समक्ष रखा जिनमें आंदोलन के नाम पर सार्वजनिक संपत्तियों को नुक्सान पहुंचाने, सार्वजनिक मार्गों को रोकने और आम जनता को किसी भी प्रकार की असुविधा उत्पन्न करने के विरुद्ध कठोर आदेश दिए गए हैं। हालांकि न्यायालय वाद पत्र की कई बातों से संतुष्ट नहीं हुई और अगली सुनवाई के कल बुधवार की तिथि नियत कर दी।
उल्लेखनीय है कि यहां चल रहे आंदोलनों के अलावा पंजाब के किसानों के आंदोलन को समर्थन देने के लिए स्थानीय किसान संगठन जब तब जाम लगाने और मार्च निकालने का उपक्रम करते रहते हैं। बीते कल भी पंजाब के किसानों के समर्थन में स्थानीय किसान संगठनों ने एक्सप्रेस-वे पर ट्रैक्टर रैली निकालने का प्रयास किया था। इससे न केवल आम जनता को भारी परेशानी उठानी पड़ती है बल्कि कानून व्यवस्था भी प्रभावित होती है।