उत्तर प्रदेश के राज्यसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की रणनीति के आगे अखिलेश यादव जहां एक और बेबस दिखाई दे रहे हैं वहीं समाजवादी पार्टी के कायस्थ प्रत्याशी को हराने के लिए पार्टी के अंदर जिस तरीके से दलित यादव और मुस्लिम समुदाय ने अविश्वास जताया और उनका विरोध सोशल मीडिया पर लगातार किया उसके परिणाम अब दिखाई देने शुरू हो गए ।
अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष मनोज सक्सेना ने पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन के राज्यसभा चुनाव हारने पर दुख प्रकट किया है। उन्होंने कहा कि कायस्थ समाज को राजनीति में रोकने का षड्यंत्र चल रहा है अगर सपा मुखिया/पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव प्रथम वरीकता में वोट देने का विह्प जारी करते तो आलोक रंजन चुनाव नहीं हारते सपा की गलत रणनीति के कारण जान बूझकर चुनाव हराया है।
कायस्थ पाठशाला के उपाध्यक्ष और समाजवादी चिंतक धीरेंद्र श्रीवास्तव ने इस प्रकरण पर एनसीआर खबर से बातचीत में बताया बताया कि समावेशी राजनीति के लिए कायस्थों ने हमेशा सहयोग किया है और सभी जातियों को साथ लेकर चलने का काम स्वतंत्रता के बाद से ही लगातार किया है। किंतु बिहार में लालू यादव की तर्ज पर जातीय नफरत की जिस राजनीति को अखिलेश यादव ने पीडीए की आड़ में आगे किया है उसका परिणाम सबसे पहले आलोक रंजन की हार के तौर पर कायस्थों को भुगतना पड़ा है । स्व मुलायम सिंह की समावेशी समाजवादी राजनीति के उलट अखिलेश यादव की जातीय नफरत वाली राजनीति आगे जाकर समाजवाद के विचार को तोड़ देगी ।