आशु भटनागर। लोकसभा चुनाव के मध्य में समाजवादी पार्टी के पश्चिम उत्तर प्रदेश के छत्रपो में अपनी-अपनी पहचान और स्थान को बनाए रखने की जो बिसात बिछी है । उसमें आजम खान भले ही अपने ही खेल में फंस कर पार्टी कार्यकर्ताओं समेत अपनी कौम के निशाने पर आ गए हो, किंतु पश्चिम के ही एक अन्य बड़े छत्रप ने बड़ी सावधानी से मुलायम सिंह के धोबी पछाड़ का प्रयोग करते हुए अपनी साख बचा ली है और यह साबित कर दिया है कि समाजवादी पार्टी पश्चिम उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह के बाद अगर कोई खांटी समाजवादी नेता है तो वह राजकुमार भाटी हैं । वह चाहे जिसको टिकट दिलवा सकते हैं और किसी भी परिस्थिति में खेल को हाथ से जाने नहीं दे सकते है । 8 दिन तक चली शतरंज की बाजियो में अंततः शह और मात दे कर असली किंग मेकर राजकुमार भाटी ही निकल कर आए हैं।
लखनऊ से लौटते हुए एनसीआर खबर से फोन पर हुई बातचीत में राजकुमार भाटी ने बताया की पार्टी की सारी रणनीतियां तैयार कर ली गई हैं और संभावित कल ही प्रेस कांफ्रेंस करके प्रत्याशी के साथ चुनाव का बिल्कुल बजा दिया जाएगा ।
5 दिन पहले जब पार्टी ने पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने अचानक डॉक्टर महेंद्र नागर की जगह राहुल अवाना का टिकट घोषित कर दिया तो सबसे ज्यादा धक्का राजकुमार भाटी को लगा क्योंकि जिले के प्रत्याशी को लेकर हुई यह घोषणा उनका विश्वास में लिए बिना की गई थी । वो स्वयं दोपहर तक अपने विश्वस्त स्थानीय सांध्य दैनिक के जरिए ऐसी चर्चाओं को अफवाह बता रहे थे किंतु पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता होने के बावजूद जिस तरीके से स्वयं राजकुमार भाटी को गौतम बुध नगर सीट का टिकट बदले जाने की सूचना मीडिया के जरिए मिली वह किसी भी नेता के लिए अपने क्षेत्र में बेहद तकलीफ देह होना तय था।
टिकट की घोषणा के साथ ही यह भी बात निकाल कर आई कि राहुल अवाना ने टिकट के लिए कुछ ऐसी बातों को भी पार्टी अध्यक्ष से कहा जो जिले में पार्टी संगठन और वरिष्ठ नेताओं की राजनीति को दाग लगाने वाला था।
ऐसे में आजम खान की ब्लैकमेलिंग वाली राजनीति के उलट बेहद सतर्कता के साथ राजकुमार भाटी ने विवाद को तूल देने की जगह सीधे अखिलेश यादव के पास प्रत्याशी को ले जाकर अपना पक्ष रखा उनके साथ संगठन के सभी बड़े पदाधिकारी भी मौजूद रहे और अखिलेश यादव को संगठन और चुनाव की वास्तविक स्थिति से परिचित कराया । इसके साथ ही यह भी बताया की भाजपा के नेता भले ही कुछ भी कहे किंतु डॉक्टर महेंद्र नागर किसी भी स्थिति में भाजपा में शामिल नहीं होंगे ।
पार्टी सूत्रों की माने तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आजम खान के जेल जाने के बाद किसी गंभीर नेता की कमी से जूझ रही समाजवादी पार्टी के पास क्या राजकुमार भाटी एक बेहतर विकल्प निकालकर आए हैं। माना जा रहा है कि चुनाव के दौरान ही राजकुमार भाटी को पार्टी में किसी बड़े पद या स्टार प्रचारक के दर्जे से भी नवाजा जा सकता है
संगठन को विश्वास दिलाने के साथ ही एक परिपक्व नेता की तरह राजकुमार भाटी ने यह भी सुनिश्चित किया कि किसी भी तरीके से टिकट बदले जाने के बाद युवा नेता राहुल अवाना की स्थिति ऐसी ना हो जाए जिससे पार्टी में फिर से किसी तरीके के बिखराव हो ऐसे में उन्होंने अखिलेश यादव से रिक्वेस्ट की कि इस पूरे प्रकरण को थोड़ा समय देकर सॉल्व किया जाए ।
राजकुमार भाटी का धैर्य और पार्टी के हित में उनका सुझाव अखिलेश यादव को बेहद पसंद आया और उन्होंने होली के बाद इस प्रकरण पर फैसला देने की बात कही इसके साथ ही लखनऊ से ही डॉक्टर महेंद्र नागर का एक पोस्टर सोशल मीडिया पर डलवाया गया जिसमें सिर्फ विकास से विजय की ओर की बात कही गई ।
![द बिग इनसाइड स्टोरी : डा महेंद्र नागर को पुनः प्रत्याशी बना राजकुमार भाटी बने असली किंग मेकर, राहुल अवाना की दीवानगी को मुलायम सिंह वाले धोबी पछाड़ से किया फेल 2 fb img 17116375931487865349378243118990](https://ncrkhabar.co.in/wp-content/uploads/2024/03/fb_img_17116375931487865349378243118990-1024x1024.jpg)
मंगलवार को अखिलेश यादव ने जिला अध्यक्ष सुधीर भाटी को फोन करके दोनों प्रत्याशियों को लखनऊ लेकर आने को कहा इसके बाद आज गुरुवार को दोनों प्रत्याशियों के समक्ष संगठन के चुनिंदा लोग, जिलाध्यक्ष सुधीर भाटी और पार्टी के चाणक्य राजकुमार भाटी मौजूद रहे । जानकारी के अनुसार आमने-सामने की मीटिंग में राहुल अवाना से कहा गया कि अगर वो इस समस्या को सुलझाने में अपना सहयोग दें तो उत्तर प्रदेश में अगली सरकार बनने के बाद उनको एमएलसी का पद दिया जा सकता है या फिर 2027 चुनावो में नोएडा विधानसभा से चुनाव लड़ाया जा सकता है ।
बीते 5 दिनों में संगठन के सहयोग न मिलने से दबाव में चल रहे राहुल अवाना के पास फिलहाल कोई चारा भी नहीं था ऐसे में युवा तुर्क ने अखिलेश यादव के प्रति अपनी दीवानगी का हवाला देते हुए डॉक्टर महेंद्र नागर के नाम पर चुनाव को की हामी भर दी ।
पार्टी सूत्रों की माने तो आज की मीटिंग में इस बात को बेहद गंभीरता से बताया गया कि पार्टी 2022 के विधानसभा चुनाव में लोकसभा क्षेत्र की पांचों विधानसभाओं में लगभग 4.50 लाख वोट पा चुकी है ऐसे में अगर संगठन में बिखराव ना हो तो पार्टी अगले दो लाख वोटो पर रणनीतिक दाव चलकर पहली बार भाजपा को हराने की सोच सकती है। त्रिकोणीय मुकाबले में 6 लाख वोटो के साथ ही पार्टी इस सीट पर इतिहास बदल सकती है । ऐसे में डॉक्टर महेंद्र नागर के पढ़े लिखे व्यक्ति होने की छवि राहुल अवाना के युवा चेहरे पर भारी पड़ी और टिकट पुनः डा महेंद्र नागर को दे दिया गया ।
इसके बाद शाम 4:00 बजे यह समाचार बाहर आ गया कि समाजवादी पार्टी से अगले प्रत्याशी एक बार फिर से डॉक्टर महेंद्र नागर ही होंगे और अंत भला तो सब भला की तर्ज पर समाजवादी पार्टी एक बार फिर से चुनाव की तैयारी में लग गई है वहीं पूरे प्रकरण में किंग मेकर की भूमिका निभा रहे और समाजवादी पार्टी के संकटमोचक बने राजकुमार भाटी अब इस चुनाव में पार्टी को किस तरीके से जीत दिलाने की रणनीति बनाएंगे और क्या वो वाकई इस बार इतिहास बनायेंगे यह आने वाले दिनों में तय होगा ।