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आवारा कुत्तों के आतंक से दुखी दिल्ली नोएडा के लोगो की लगेगी हाय! : वरुण या मेनका गांधी के बीच बीजेपी में भी बन रही किसी एक को देने की राय

लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के 195 प्रत्याशियों की पहली सूची में वंचित रहने के बाद पार्टी के दिग्गज सांसदों ने अपने टिकट के लिए पूरा दम लगा दिया है। उत्तर प्रदेश की कई सीटों पर दावेदारों की टिकट काटे जाने की जानकारी बीजेपी की दूसरी लिस्ट में कहीं जा रही है इनमें गांधी परिवार से आने वाले मेनका गांधी और वरुण गांधी की दोनों सीटों पर पेंच फंस रहा है ।

जानकारों की माने तो बीते वर्षों में जिस तरीके से लगातार वरुण गांधी भारतीय जनता पार्टी की नीतियों और फसलों के खिलाफ मुखर होकर विरोध में रहे हैं उससे पार्टी का एक बड़ा हिस्सा इस बार वरुण गांधी और मेनका गांधी दोनों को ही टिकट न देने का अनुरोध कर रहा है।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में वरुण गांधी और मेनका गांधी भारतीय जनता पार्टी के लिए हमेशा परेशानी खड़ा करते रहे हैं 2019 के चुनाव में भी सीटों को बदलकर स्थानीय विरोध को शांत करने की कोशिश की गई थी।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार वरुण गांधी ने भी विपक्ष के सारे संभावित समीकरणों को टटोलकर देख लिया है यहां तक की बुक केदारनाथ में राहुल गांधी से मिलने के बहाने कांग्रेस में अपनी एंट्री का भी असफल प्रयास कर चुके हैं ऐसे में सब तरफ दरवाजे बंद होने के बाद अब एक बार फिर से वह भाजपा में टिकट की दौड़ में लग गए हैं किंतु स्थानीय संगठन और प्रदेश भाजपा इस बात के लिए तैयार नहीं है ।

दूसरी ओर स्थानीय विरोध के बाबजूद देश के कई बड़े शहरों से मेनका गांधी के तथाकथित कुत्ता प्रेम के चलते कुत्तों के आतंक से पीड़ित लोगों का एक बड़ा समूह भारतीय जनता पार्टी से मेनका गांधी के टिकट को काटे जाने की मांग कर रहा है। लोगों का कहना है कि मेनका गांधी अपने क्षेत्र में काम करने की जगह पीएफए के नाम पर देश भर में आवारा कुत्तों के नाम पर लोगों को प्रताड़ित करती रहती हैं ऐसे में भारतीय जनता पार्टी को लोगों को कुत्तों से बचाए जाने के लिए मेनका गांधी को टिकट नहीं देना चाहिए।

ऐसे में पहली बार मेनका गांधी और उनके पुत्र वरुण गांधी के लिए चुनावो से पहले अपने अस्तित्व को बचाए रखने का संकट खड़ा हो गया है। माना जा रहा है कि नकारात्मक फीडबैक और विरोध के चलते प्रधानमंत्री मोदी की हरी झंडी के बाद पार्टी दोनों का टिकट काट सकती है और बहुत ही मजबूरी हुई तो दोनो में से किसी एक को ही भाजपा टिकट दे सकती है ।

दोनों में से किसी एक को ही टिकट मिलने की सूरत में ऐसा हो सकता है कि मेनका गांधी अपने पुत्र वरुण गांधी के लिए टिकट की बात को मान जाए । क्योंकि मेनका गांधी राजनीतिक पारी के अपने आखिरी दौर में हैं किंतु अगर वरुण गांधी को संसद का टिकट नहीं मिलता है तो राजनीतिक तौर पर वरुण गांधी के लिए बड़ा नुकसान हो जाएगा।

देखा जाए तो गांधी परिवार के से निष्कासित दोनों मां और बेटा राजनीति के उसे दौर में हैं जहां उनके लिए ना आप कांग्रेस में जगह बची है  और ना ही वह भाजपा में कहीं खड़े नजर आ रहे हैं । ऐसे में अगर किसी भी प्रकार से वरुण गांधी के लिए भाजपा से टिकट मिलने की संभावना बनती है तो मेनका गांधी अपनी राजनीतिक पारी का अंत कर सकती है ।

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