गौतम बुध नगर में क्या भू माफियाओं ने किसानों का रूप धारण कर लिया है । क्या किसानो की आड़ में भू माफियाओं के साथ नोएडा प्राधिकरण के प्रवर्तन दल के अधिकारी सांठ गांठ कर दिखावे की कार्यवाही के लिए जाते हैं ?
यह प्रश्न इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि हनुमान मूर्ति के आसपास आजकल जमकर अवैध निर्माण हो रहा है। लोगों में चर्चा है कि नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों की मिली भगत से यह निर्माण चल रहा है। कुछ लोगों ने इस अवैध निर्माण की शिकायत नोएडा प्राधिकरण के उच्च अधिकारियों से की थी। जिसके बाद आज बरौला में हनुमान मूर्ति के पास अवैध अतिक्रमण को हटाने गई नोएडा प्राधिकरण की टीम को कुछ तथाकथित किसान नेताओं ने प्रदर्शन कर कर वापस लौटा दिया । लोगों के आरोप है कि अवैध निर्माण गिराने गए अधिकारियों ने भूमाफियाओं के साथ बैठकर चाय नाश्ता किया और फिर वापस लौट गए।
वही नोएडा प्राधिकरण के प्रोजेक्ट इंजीनियर राजकमल सिंह के अनुसार बरौला गांव के पास स्थित जमीन नोएडा प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में आती है। यहां पर कुछ लोग बिना प्राधिकरण के अनुमति के और बिना प्राधिकरण से नक्शा पास कराए अवैध रूप से निर्माण कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उक्त निर्माण को तोड़ने के लिए आज प्राधिकरण की टीम सुबह के समय पहुंची थी। उन्होंने बताया कि मौके पर भारी संख्या में किसान इकट्ठे हो गए, तथा किसानों ने विरोध किया, जिसके बाद प्राधिकरण की टीम ने कार्रवाई को स्थगित कर दिया। उन्होंने कहा कि इस मामले की पूरी जानकारी उच्च अधिकारियों की दी जाएगी। उसके बाद इसमें अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।
इस पूरे प्रकरण में प्रदर्शन कर रहे किसानों का दावा है कि यह जमीन आबादी के लिए छोड़ी गई है ऐसे में वह आबादी पर अपना निर्माण करते हैं तो गलत क्या है ?
वही शहर में सुनियोजित विकास की लड़ाई लड़ रहे लोगों का कहना है कि दरअसल किसानों की आड़ में भूमाफियाओं ने आबादी की जमीन पर बड़े-बड़े शोरूम, शॉपिंग कंपलेक्स खड़े कर दिए हैं और इसका उपयोग व्यावसायिक गतिविधियों में किया जा रहा है ।
ऐसे में बड़ा प्रश्न यह है कि क्या आबादी वाली जगह पर कमर्शियल गतिविधि भी प्राधिकरण के अधिकारियों के हिसाब से गैरकानूनी है या फिर गांव की जमीन पर बने अवैध शोरूम अब जमीन मालिको के साथ सतह नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों की अवैध कमाई का अड्डा बन गए हैं । ऐसे में जब-जब प्राधिकरण में उच्च अधिकारियों का प्रेशर आता है तो यह लोग दिखावे के लिए कार्यवाही करने जाते हैं और इन्हीं की मिली भगत से कुछ लोग किसान नेता बनकर विरोध प्रदर्शन करके काम रुकवा देते हैं ।