रविवार को पंचशील ग्रीन्स 2 के परेशान रेजिडेंट बिल्डर द्वारा अनावश्यक रूप से मेंटेनेंस शुल्क पर लेट पेमेंट फी लगाए जाने का विरोध करने मेंटेनेंस ऑफिस में जमा हुए और बिल्डर प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
मेंटेनेंस ऑफिस के मैनेजर से कोई ठोस आश्वासन न मिलने के बाद नाराज लोग सोसाइटी के अंदर ही नाड़ेबाजी करते हुए पंचशील ग्रुप के सीईओ अंकुर नागर से मिलने के लिए उसके ऑफिस में गए। परंतु उन्होने अपने स्वास्थ्य का बहाना बनाकर रेजिडेंट से मीटिंग कल करने की बात कह कर टाल दिया।
लोगों की नाराजगी इस बात कर लेकर है कि मेंटेनेंस के एवज में जो पैसा जमा कर रहे हैं उसको बिल्डर लेट पेमेंट फी( LPF) में एडजस्ट कर दे रहा है एवं आए दिन लोगों के बिजली कनेक्शन बिना किसी सूचना के चुपचाप काट दे रहा है क्योंकि निवासियों के अनाप-शनाप बैलेंस को उनके लेजर में दिखाया हुआ है, जिससे निवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
कायदे से बिल्डर को लोगों के घरों में लगे हुए बिजली काटने का अधिकार नहीं है तथा बिजली एवं पानी को मूलभूत अधिकार देश की सर्वोच्च अदालत ने भी माना है उसके बाद भी इस बिल्डर के ऊपर किसी का कोई खौफ नहीं है.आए दिन अपनी मनमानी एवं तानाशाही फैसलो से निवासियों को परेशान करता रहता है।
लगभग 6 वर्ष बीत जाने के बाद भी ना सोसाइटी में अपार्टमेंट ओनर एसोसिएशन बनाने की पहल बिल्डर कर रहा है ना सोसाइटी मेनटेन कर रहा, उल्टा लोगों को तंग करता रहता है।
बिल्डर बार-बार यह कहता है कि सोसाइटी मेंटेनेंस में उसे घाटा लग रहा है, जिसपर निवासियो का कहना है कि यदि बिल्डर को घाटा लग रहा है तो वह मेंटेनेंस छोड़कर क्यों नहीं चला जाता है? आखिर 6 साल के मेंटेनेंस की ऑडिट रिपोर्ट बिल्डर क्यों नहीं निवासियों के साथ साझा करता है?
निवासियों का तो यहां तक कहना है कि आखिर योगी राज में भी बिल्डरों पर लगाम अब तक क्यों नहीं लग पाई है?
