गौतम बुध नगर में लोकसभा चुनाव 26 जुलाई को पूर्ण हो गया और उसके साथ ही प्रत्याशियों और जनता के बीच बने हुए वोट देने और मांगने के ब्रिज का भी अंत हो गया जहां चुनाव समाप्त होने के बाद प्रत्याशियों ने राहत की सांस ली अगले दिन आराम किया, परिवार बच्चों को वक्त दिया। वही जनता चुनावी मोड़ से बाहर आकर फिर से अपनी दाल रोटी और समस्याओं पर वापस आ गई है ।
रविवार को जहां भारतीय जनता पार्टी के सांसद डॉक्टर महेश शर्मा कुछ सामाजिक कार्यक्रमों में उद्घाटन करते नजर आए तो समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अपने मतदाताओं का धन्यवाद कर जनता के बीच से अपने बोरिया बिस्तर समेट दिखाई दिए । बताया जा रहा है चुनाव में हर मतदाता से की समस्या को दूर करने वाले सभी प्रत्याशी फिलहाल एक महीने के लिए अब शांत बैठेंगे ।
नेताओं ने चुनाव के बाद अपनी अपनी राह पकड़ी तो संगठन के लोगों ने भी नेताओं के समक्ष अपनी-अपनी मेहनत के रिजल्ट को रखना शुरू कर दिया और अपने-अपने नेताओं के समक्ष जाकर यह बताया कि उनके चुनाव में उन्होंने कितनी मेहनत की है ।
वहीं शुक्रवार को चुनाव का संग्राम पूर्ण हुआ शनिवार को मतदाताओं ने थोड़ी राहत की सांस ली और रविवार को फिर से 2 महीने से शांत सोसाइटियों की समस्याओं पर विरोध प्रदर्शन धरना शुरू हो गया । रविवार को नोएडा के जे एम अरोमा सोसाइटी में के खिलाफ प्रदर्शन कर निवासियों ने आक्रोश जताया उन्होंने की मनमानी के खिलाफ एसडीएम बुलाकर अपना विरोध किया । तो पंचशील ग्रीन 2 में बिल्डर द्वारा निवासियों से मेंटेनेंस का ब्याज काट लेने के विरोध में जनता सड़क पर उतर गई । वहीं कुछ अन्य समिति में भी निवासियों और बिल्डर या फिर निवासियों और AOA के बीच संघर्ष के समाचार आए इसके बाद एक प्रश्न यह भी उठा की क्या बिल्डर और निवासी दोनों ही चुनाव के समय इन समस्याओं को उठाने से बचते रहे या फिर बिल्डरों के खिलाफ समस्याओं को उठाने वाले ही चुनाव प्रचार के खेल में लगे थे इसलिए दो महीने से बिल्डर और के लोग शांति से बैठे हुए थे और अब चुनाव समाप्त होते ही दोनों अपने-अपने नूराकश्ती पर वापस आ गए हैं ।
नोएडा ग्रेटर नोएडा की समस्याओं पर लगातार अपनी राय रखने वाले जोगिंदर सिंह ने कहा कि आम जनता के साथ यही समस्या है चुनाव के समय जब अपने मुद्दों पर बातें करनी थी तब लोग पार्टी और नेताओं की भक्ति में रम गए और अब अगले 3 साल फिर से समस्याओं को लेकर सड़कों पर आंदोलन की राह पकड़ने सरकारों को पूछेंगे और फिर विधानसभा चुनाव में इस तरीके से भूल जाएंगे इस क्षेत्र का दुर्भाग्य यह भी है कि चुनाव समाप्त होते ही सट्टा पक्ष ही नहीं विपक्ष के भी नेता अगले 3 साल के लिए धन्यवाद करके सो जाएंगे। ऐसे में उन्हें लोगों की समस्याओं के समाधान की कोई आशा नहीं दिखती है