गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में मरीज की मौत होने पर पांच लाख रुपये बिल देने के बाद शव परिजनों को दिया गया। वहीं, बीमा कंपनी ने पैसे देने से यह कहकर मना कर दिया कि ये बीमारी तो पुरानी है। इससे पीड़ित परिजनाें को गहरा सदमा लगा। गुरुग्राम फोर्टिस अस्पताल के प्रवक्ता ने कहा कि मरीज के शव को परिवार को सौंपने में किसी भी तरह की देरी नहीं की गई।
जानकारी के अनुसार यूपी के गाजियाबाद निवासी मनीष ने अपनी पत्नी शालिनी को फोर्टिस अस्पताल गुरुग्राम में हार्ट वाल्व बदलने के लिए 25 अप्रैल को भर्ती किया था। डॉक्टरों ने 29 अप्रैल को शालिनी का पहला ऑपरेशन किया। परिजनों ने बताया कि अगले दिन डाॅक्टरों ने बोला कि जो वाल्व लगाया गया है, वह ठीक से काम नहीं कर रहा है। दूसरा ऑपरेशन करना पड़ेगा। ऑपरेशन कर मरीज को वेंटीलेटर पर डाल दिया गया और 9 मई को डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। तब तक अस्पताल का बिल लगभग 12 लाख पहुंच चुका था। परिजन आरके अग्रवाल ने बताया कि 10 मई को पूरे दिन शव लेने की जद्दोजहद चलती रही। आखिर 5 लाख रुपये में अस्पताल प्रशासन माना। मनीष के पास तो इतने पैसे थे ही नहीं । रिश्तेदारों ने मिलकर इकट्ठे किए तब शव मिवा। उन्होंने बताया कि मनीष ने चार साल से परिवार का बीमा ले रखा था और हर साल प्रीमियम भर रहा था। जब क्लेम की बारी आई तो 4 लाख के बीमा क्लेम में से सिर्फ 1,62,500 मिले। आरके अग्रवाल ने आरोप लगाया कि बीमा कंपनी ने चालबाजी की। उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे मामलों में पीड़ितों को न्याय देने के लिए कानून का प्रावधान करना चाहिए।