ग्रेटर नोएडा के हत्याकांड की जांच एसटीऍफ़ को!, सोशल मीडिया पर ट्रेंड हुआ #कुणाल_को_न्याय_दो

NCR Khabar Internet Desk
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ग्रेटर नोएडा में 5 दिन से होटल कारोबारी के नाबालिक बेटे के अपहरण और कल उसकी हत्या के बाद शव मिलने का प्रकरण अब बड़ा होता जा रहा है नोएडा पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने भले ही देर रात कोतवाली प्रभारी को लाइन हाजिर करने का आदेश दे दियाI किंतु इस मामले पर लगातार प्रदेश सरकार तक विरोध के स्वर पहुंचने लगे हैंI जानकारी के अनुसार विभागीय जांच के अतिरिक्त यूपी एसटीएफ की टीम भी घटना के आरोपियों की तलाश में जुट गई है फिलहाल पीड़ित परिवार ने पुलिस पर बहुत गंभीर आरोप लगाए हैं

वहीं सोशल मीडिया पर आज सुबह से #कुणाल_को_न्याय_दो ट्रेंड कर रहा है। देशभर से ब्राह्मण संगठन लगातार इसको ब्राह्मणों के साथ अन्याय बता रहे हैं सोशल मीडिया पर कई यूजर ट्रेंड में भाग ले रहे हैं । विष्णु पाठक नाम के एक यूजर ने लिखा घबराइए नहीं यह ब्राह्मण है उत्तर प्रदेश से हैं आप केरल और बंगाल का आलोचना कीजिए और अप पर मुंह लगा लीजिए ।

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वही शुभम वत्स ने सोशल मीडिया पर लिखा अगर प्रशासन ने समय रहते कदम उठाया होता तो एक मां का बेटा जिंदा होता, इस मासूम का क्या कसूर था क्या इसे न्याय मिलेगा ।

वहीं विश्व ब्रह्मृषि ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय संयोजक राहुल शर्मा ने नोएडा पुलिस और गौतम बुद्ध नगर के सांसद पर प्रश्न खड़े करते हुए कहा कि गौतम बुध नगर के सांसद खुद एक ब्राह्मण होने का दावा करते हैं वैभव सिंगल केस में चार बार गए सांसद जी अब कहां गायब है उन्होंने विपक्ष के नेता महेंद्र नगर और राजेंद्र सोलंकी पर भी प्रश्न करते हुए पूछा और कहां है वह विपक्ष जो यहां से अपने लिए वोट मांग रहा था ।

वरिष्ठ पत्रकार राजेश बैरागी ने लिखा कि कुणाल अपहरण और हत्याकांड मेंपुलिस नकारती रही, अपहर्ताओं ने आईना दिखा दिया I उन्होंने आगे लिखा है कि कबाड़ माफिया रवि काना और उसकी महिला मित्र को थाईलैंड से ढूंढ निकालने वाली गौतमबुद्धनगर कमिश्नरेट पुलिस चार दिन पहले नाक के नीचे से अपहरण किए गए 15 वर्षीय कुणाल को जिंदा खोज पाने में नाकाम रही। नामजद रिपोर्ट के बावजूद थाना पुलिस और उच्चाधिकारी कुणाल को अपहरण किए जाने की थ्योरी को नकारते रहे। ठीक तीन महीने पहले बिलासपुर कस्बे के व्यापारी पुत्र वैभव सिंघल का भी लगभग इसी अंदाज में अपहरण करने के बाद हत्या कर दी गई थी।उसका शव भी 11वें दिन चचूरा गांव से गुजर रही नहर से बरामद हुआ था। पुलिस का रवैया तब भी कमोबेश ऐसा ही था। कुणाल के पिता ने मीडिया के कैमरों के समक्ष आरोप लगाया है कि जिन लोगों ने उनकी पत्नी को मारा था, उन्होंने ही उनके पुत्र की हत्या की है। आरोपित लोगों और कुणाल के पिता के बीच लाखों रुपए का लेन-देन तथा ढाबे को बंद कराने की साज़िश की बात भी इस हत्याकांड में जोड़ी जा रही है।

सच क्या है और शव मिलने से पहले चार दिनों तक कुणाल को कहां रखा गया था? यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण हैं कि शव मिलने के साथ ही कमिश्नरेट पुलिस के नंबर दो शीर्ष अधिकारी शिवहरि मीना ने बयान दिया कि हत्याकांड के संबंध में पुलिस को महत्वपूर्ण जानकारी मिल चुकी है। तो क्या पुलिस किसी अनहोनी की प्रतीक्षा में उस जानकारी को लेकर बैठी रही? वैभव सिंघल हत्याकांड में भी व्यापारियों और लखनऊ के वैश्य समाज के एक भाजपा विधायक का दबाव बढ़ने पर ही उसका शव बरामद हुआ था। हालांकि वैभव सिंघल हत्याकांड में लापरवाही बरतने वाले किसी पुलिसकर्मी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। ऐसा ही इस बार भी हो तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। आश्चर्य तो सत्तापक्ष के उन नेताओं पर भी नहीं होना चाहिए जो इन नृशंस हत्याकांडों पर चुप हैं

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