गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग के द्वारा ‘स्कूल लिडर्स मीट : एक्सप्लोरिंग द फ्युचर डायरेक्शन ऑफ एजुकेशन’ का आयोजन किया गया । विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.के.सिन्हा, कुलसचिव डॉ. विश्वास त्रिपाठी, मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान संकाय की अधिष्ठाता प्रो. बंदना पाण्डेय के संरक्षण में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन संस्थान की कुलपति प्रो. शशिकला वंजारी, की-नोट स्पीकर इग्नू के प्रो-वाइस चांसलर प्रो.एम.एम.पंत, विशिष्ट वक्ता एनसीईआरटी की जी.सी. मेम्बर डॉ. अनीता शर्मा, सम्माननीय अतिथि सीबीएसई, नोएडा की ज्वाइंट सेक्रेटरी मिसेज उर्मिला आर्या रहीं ।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. शशिकला वंजारी ने गौतम बुद्ध का वाक्य ‘मनुष्य को लक्ष्य पा लेने से अच्छा, लक्ष्य प्राप्ति की यात्रा अच्छी होनी चाहिए’ के माध्यम से सभा को संबोधित किया, “हमें स्कूल और विश्वविद्यालय की शिक्षा की दिशा तय करनी होगी । एनईपी के अनुसार शिक्षा में जो परिवर्तन आया है उसे ध्यानपूर्वक देखना होगा । एनईपी की शुरूआत आज से नहीं बल्कि 1911 में रविन्द्र नाथ टैगोर की कविता के साथ ही शुरू हो जाती है । यह अलग बात है कि उस समय टैगोर ने परतंत्र भारत को जगाने के लिए कविताएँ लिखी थी आज सोए भारत को जगाने के लिए एनईपी लागू किया गया है” ।
की-नोट स्पीकर प्रो.एम.एम.पंत ने शिक्षा में हायर एजुकेशन मुफ्त होने ताकि विद्यार्थी के आसानी से तनावमुक्त होकर शिक्षा ग्रहण कर सके जैसी बातों पर जोर देते हुए कहा कि ‘शिक्षा बहुमुखी होनी चाहिए, जिससे राष्ट्र का बहुमुखी एवं समग्र विकास हो सकता है । साइंस और आर्ट साइंस दोनों को मिलजुल कर चलना चाहिए और एक-दूसरे के विषय में जानकारी होनी चाहिए, ताकि विज्ञान के साथ मानवता को भी समझा जा सके’ ।
विशिष्ट वक्ता डॉ. अनीता शर्मा ने विद्यार्थियों के लिए इंटरशिप और इनोवेशन को बढ़ावा देने की बात करते हुए कहा कि स्कूल में बच्चों को प्रोजेक्ट में काम मिलना चाहिए । ताकि बच्चा जिज्ञासू और खोजी प्रवृत्ति का बन सके और अपना लक्ष्य स्वयं निर्धारित कर सके । सम्माननीय अतिथि मिसेज उर्मिला आर्या कहा कि स्कूली एजुकेशन और हायर एजुकेशन में अंतर होने के कारण कई समस्याएँ आती हैं, जिसे दूर करने की आवश्यकता होती है । हमें स्कूल में बच्चों के प्रश्नों को समझने और समझाने की जरूरत है ताकि वह संतुष्ट हो सके और उसमें अधिक से अधिक प्रश्न पूछने की जिज्ञासा और निर्णय लेने की क्षमता उत्पन्न करने की जरूरत है । यदि बच्चे का विकास सही दिशा में नहीं हो रहा है तो कारण जाकर समाधान करने की जरूरत है” ।
इस अवसर पर गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति ने सभा में उपस्थित प्रश्नकर्ताओं के प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा कि “विद्यालय जिज्ञासा शांत करता है तो विश्वविद्यालय समस्याओं का समाधान करता है । सभी प्राध्यापकों को अपनी बौद्धिक क्षमता पर विश्वास करना चाहिए और समाधान ढ़ूँढ़ना चाहिए, जिसमें तकनीति सहायता मात्र सहायता के लिए ली जा सकती है” ।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. विश्वास त्रिपाठी ने विश्वविद्यालय विज़न पर चर्चा करते हुए विश्वविद्यालय को ग्लोबल बनाने की प्रक्रिया पर बात किए और कहा कि यह विश्वविद्यालय मल्टीडिसीप्लीनरी है, इसका मिशन क्मयुनिटी ऑफ स्कॉलर्स को जनरेट करना है । मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान संकाय की अधिष्ठाता प्रो. बंदना पाण्डेय ने स्वागत वचन में विभिन्न विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों से पधारे शिक्षक वृंद को संबोधित किया, “यह स्कूल लीडर्स मीट मील का पत्थर साबित होगा । विद्यार्थी शिक्षक का खुली आँखों का सपना होता है, उन सपनों को सजाना, सँवारना कठिन काम है और शिक्षक यह कर दिखाता है” ।
इस कार्यक्रम में स्कूल ऑफ अवास (AVAS) की सर्विस मैंनेजर मिस कनिका अपनी टीम मिस सीमा, मिस शेफाली के साथ ‘स्कूल ट्रांसफॉर्मेशन लर्निंग एक्सपीरियंस’ विषय पर अपनी बात रखते हुए बच्चों के ब्रेन मैपिंग के साथ साथ मैथ्स में फोबिया को दूर करने तथा उनके विकास पर सोदाहरण बात किया ।
डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग के विभागाध्यक्ष डॉ.आर.के.श्रीवास्तव ने विश्वविद्यालय का विस्तार से परिचय तथा कार्यक्रम के संयोजक डॉ. विनोद कुमार शनवाल ने विद्वानों का परिचय दिया । इस कार्यक्रम को सावित्री बाई फुले छात्रावास की छात्राओं ने सरस्वती वंदना तथा अन्य संगीत से सभा को संगीतमय बना दिया तथा कार्यक्रम की संचालिका डॉ. मंजरी सुमन, विभाग की फेकल्टीज़ डॉ. श्रुति कंवर, डॉ. वैशाली, डॉ. नीलिमा सचवानी सहित विभिन्न संकायों एवं विभागों के अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्ष, शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारी एवं विद्यार्थियों ने गंभीर परिचर्चा के माध्यम से सफल बनाया ।