NCRKhabar Exclusive : पीडीए से भाजपा के कमंडल से मंडल को निकाल कर उत्तर प्रदेश में जीते अखिलेश का लक्ष्य अब है 2027 का विधानसभा चुनाव

आशु भटनागर
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उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव में अति आत्मविश्वास और बड़बोलेपन के कारण सरकार बनाते-बनाते चूक गए अखिलेश यादव के लिए भविष्यवाणी की जाने लगी कि पांच बार लगातार चुनाव हार का अखिलेश यादव का राजनैतिक करियर अवसान की ओर है । उत्तर प्रदेश में दूसरी बार भाजपा से योगी आदित्यनाथ की प्रचंड जीत के बाद अखिलेश यादव की क्षेत्रीय राजनीति को पूरे भारत में समाप्त माने जाने लगा । इधर भारतीय जनता पार्टी 2024 की तैयारी कर रही थी वही अखिलेश यादव भारतीय जनता पार्टी के चक्रव्यूह को तोड़ने के चिंतन कर रहे थे ।

विधानसभा चुनाव में मिली हार के बावजूद एक बात अच्छी थी कि उनका बिखरा कुनबा एक हो चुका था । दुश्मन बने चाचा शिवपाल यादव अब समाजवादी पार्टी के साथ थे और अखिलेश के साथ उनके संबंध बेहतर हो रहे थे । अखिलेश नई सरकार पर हमलावर थे तो शिवपाल यादव कूटनीति के जरिए प्रदेश की योगी सरकार को घेर रहे थे ।

इसी बीच 27 नवंबर 2023 को तमिलनाडु में एक कॉलेज परिसर में पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की आदमकद प्रतिमा के अनावरण में पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी सीता कुमारी, बेटे अजय सिंह के साथ उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी पहुंचे । मंडल कमीशन को लागू कर देश में कल्याण सिंह के दौर में भाजपा के कमंडल को किनारे रखवाने वाले बीपी सिंह को वह सम्मान कभी नहीं मिल सका जिसके वह हकदार थे अखिलेश भी इस कार्यक्रम में क्यों और कैसे पहुंचे इसकी कोई खास जानकारी नहीं मिलती।

the statue of VP Singh

किंतु इस घटनाक्रम ने अखिलेश यादव को एक बड़ा आईडिया दे दिया। कहते हैं लौटते वक्त अखिलेश ने भाजपा के कमंडल के अंदर छिपे मंडल के जिन को बाहर निकलना और उसे अपने लिए प्रयोग करने का निश्चय किया। भारतीय जनता पार्टी उस समय अयोध्या में श्री राम मंदिर के उद्घाटन की तैयारी में लगी थी यह घटनाक्रम उसकी आंखों से ओझल हो गया । शायद इतिहास अपने आप को दोहराने जा रहा था।

वीपी सिंह की प्रतिमा के अनावरण के समय उनसे आशीर्वाद लेकर लौटे अखिलेश यादव को अपने और अपनी पार्टी के प्रदेश में वापसी की राह दिख गई थी भाजपा की हिंदू सोशल इंजीनियरिंग का तोड़ उनको ओबीसी और दलित को एक साथ लाकर मुसलमान से जोड़ देने की नीति में दिखाई दिया अखिलेश की टीम ने इसे पीड़ीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) का नाम दिया ।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में अखिलेश के सामने दोहरी समस्या थी मुसलमान इंडिया गठबंधन के साथ जाने को तैयार था। भाजपा को हराने के लिए इस बार कांग्रेस में उसे अटूट विश्वास था ऐसे में कांग्रेस को साथ लेकर अल्पसंख्यक को अपने साथ बांधना अखिलेश के लिए महत्वपूर्ण था तो दलितों के नेताओं को पहली बार समाजवादी नेताओं में स्थान देकर राजनीति को माता जाने लगा वही पिछड़ों पर अखिलेश ने पहली बार ध्यान देना शुरू करा पहली बार समाजवादी पार्टी में यह कहा जाने लगा की पार्टी अब यादव और मुसलमान के में समीकरण से निकलकर वैचारिक तौर पर समृद्ध हो रही है।

विश्वनाथ प्रताप सिंह की राह पर चले अखिलेश यादव का पड़ा का फार्मूला सुपरहिट हुआ और लोकसभा चुनाव में उसने भाजपा की सोशल इंजीनियरिंग को तितरबितर कर दिया। उत्तर प्रदेश में पीडीए के सहारे अखिलेश न सिर्फ पार्टी के लिए 37 सीटे जीती बल्कि उसके साथ खड़े होकर कांग्रेस को भी 6 सीटे मिल गई ।

लोकसभा चुनाव के दौरान अखिलेश यादव ने पीडीए को न सिर्फ अपना एजेंडा बनाया बल्कि पहली बार समाजवादी पार्टी के यादव मुस्लिम समीकरण को किनारे करके पिछड़े और दलित जातियों के लोगों को टिकट दिया और यह विश्वास दर्शाया कि समाजवादी पार्टी दरअसल यादव और मुसलमान का फेवर करने वाली पार्टी नहीं है । टिकट वितरण के लिए अखिलेश यादव ने पहली बार हर टिकट पर मौजूद संभावित उम्मीदवारों के साथ न सिर्फ सीधी बैठक की बल्कि उनका फीडबैक भी लिया इस क्रम में अखिलेश यादव ने कई बार टिकट बदले जिसकी तब आलोचना भी हुई लेकिन अंत में जब 37 सीटों जीत का परिणाम आया तो सब बातें समाप्त हो गई।

लोकसभा चुनाव में मिली सफलता के बाद अब अखिलेश यादव पड़ा के सामाजिक परिवर्तन को नकारात्मक राजनीति से निकाल कर सकारात्मक राजनीति के दम पर 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी करना चाहते हैं 37 सीटे जीतने के बाद मिले जोश को वह पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच काम नहीं होना देना चाहते हैं इसलिए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संविधान लोकतंत्र आरक्षण क्षमता सामान्य सुधार की रक्षा जैसे मुद्दों पर भाजपा को गिरने की रणनीति बना ली है।

चुनाव के बाद अपने कार्यकर्ताओं को दिए लक्ष्य में पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने स्पष्ट कहा कि समाजवादी पार्टी को समाज के हर वर्ग और टपके ने वोट देकर भविष्य की राजनीति की दिशा केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में बदल दी है पड़ा का सामाजिक समरसता का संदेश न्यू इंडिया के लिए नया संदेश है पार्टी की नजर आती पिछली जातियों के साथ-साथ भाजपा के दलित वोट बैंक पर है जो उसके कमजोर होने से बिखर रहा पार्टी इस अपने साथ लाकर मजबूत करने की कोशिश में जुटी है आने वाले दिनों में समाजवादी पार्टी दलित और ओबीसी जातियों के नेताओं को महत्वपूर्ण दे पद देकर पीडीएफ को और मजबूत करेगी ।

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आशु भटनागर बीते 15 वर्षो से राजनतिक विश्लेषक के तोर पर सक्रिय हैं साथ ही दिल्ली एनसीआर की स्थानीय राजनीति को कवर करते रहे है I वर्तमान मे एनसीआर खबर के संपादक है I उनको आप एनसीआर खबर के prime time पर भी चर्चा मे सुन सकते है I Twitter : https://twitter.com/ashubhatnaagar हम आपके भरोसे ही स्वतंत्र ओर निर्भीक ओर दबाबमुक्त पत्रकारिता करते है I इसको जारी रखने के लिए हमे आपका सहयोग ज़रूरी है I एनसीआर खबर पर समाचार और विज्ञापन के लिए हमे संपर्क करे । हमारे लेख/समाचार ऐसे ही सीधे आपके व्हाट्सएप पर प्राप्त करने के लिए वार्षिक मूल्य(रु999) हमे 9654531723 पर PayTM/ GogglePay /PhonePe या फिर UPI : ashu.319@oksbi के जरिये देकर उसकी डिटेल हमे व्हाट्सएप अवश्य करे