लोकसभा चुनावो 5.59लाख वोटो से मिली जीत के बाद गौतमबुद्ध नगर से तीसरी बार बने सांसद डा महेश शर्मा “आज कल कहां है” से महत्वपूर्ण प्रश्न ये है कि इतनी विराट जीत के बाद डा शर्मा कहां होने चाहिए ?
यह प्रश्न इसलिए महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि चुनाव में मतदान के अगले दिन से ही सोसाइटियों की समस्याओं को लेकर लोगों का आक्रोश फिर से सड़कों पर दिखाई देना शुरू हो गया था डॉक्टर महेश शर्मा के चुनाव के लिए सोसाइटियों के लोगों ने जिस तरीके से अपनी सभी समस्याओं को दो महीने तक किनारे रख दिया था उसके बाद लोगों को यह अपेक्षा थी कि डॉक्टर महेश शर्मा चुनाव खत्म होते ही उनके समस्याओं पर काम करवाने की कोशिश करेंगे ।
लोहो में चर्चा है कि क्या डॉक्टर महेश शर्मा चुनाव में मिली उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी जीत के बावजूद लोगों की समस्याओं की तरफ ध्यान नहीं दे पा रहे हैं या फिर इस बड़ी जीत के बावजूद मंत्री पद न मिलने का गुस्सा सांसद अब अपने क्षेत्र के लोगों के साथ निकल रहे है ।
किंतु चुनाव समाप्त होने के बाद डॉक्टर महेश शर्मा का अपने क्षेत्र के लोगों से संवाधीनता का दुष्परिणाम अब लोगों के अंदर आक्रोश के रूप में दिखाई देने लगा है। लगातार चुनाव प्रचार में लगे कई भाजपा के नेता भी अब सड़कों पर स्वयं उतरकर बिजली से लेकर पानी तक के लिए संघर्ष करते दिखाई दे रहे हैं डॉ महेश शर्मा के कट्टर समर्थक रहे कई नेताओं ने एनसीआर खबर से बताया की चुनाव तक हम इसलिए शांत थे कि कहीं हमारे सड़कों पर उतरने से भाजपा सरकार के खिलाफ माहौल न बन जाए।
किंतु अब अगर बिजली न आने के चलते या लिफ्ट खराब होने के चलते हमारे खुद के बच्चे लिफ्ट में फंस रहे हैं या फिर सारी सारी रात सो नहीं पा रहे हैं या फिर स्थिति यह है कि हम बिना पानी के अपने बच्चों के साथ इस भयंकर गर्मी में परेशान हैं तो अब हमें सड़कों पर उतरना पड़ेगा। इसके लिए चाहे अब अपने सिर्फ नेतृत्व के साथ भी नाराजगी दिखानी पड़े या उनके खिलाफ खड़ा होना पड़े ।
बड़ा प्रश्न यह है कि डॉक्टर महेश शर्मा समेत सभी विधायकों तक को अगर जनता की इन समस्याओं को लेकर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है तो यूपी में चुनाव में अप बीजेपी की हुई दुर्दशा आने वाले दिनों में और भी ज्यादा बढ़कर हो सकती है। क्योंकि इन लोकसभा चुनाव से जनता और विपक्ष के बीच बना वह भ्रम टूट चुका है कि बोर्ड सिर्फ मोदी या योगी के नाम पर पड़ रहा है ऐसे में गौतम बुद्ध नगर लोकसभा की पांचो विधानसभाओं में 2027 में परिणाम अगर विपरीत प्रदर्शित हो तो आश्चर्य नहीं होगा