एनसीआरगौतम बुद्ध नगरग्रेटर नॉएडा वेस्ट

वाह योगी जी वाह ! ग्रेटर नोएडा वेस्ट में रामलीला मैदान, स्टेडियम और सरकारी अस्पताल के लिए जमीन नहीं : इनकी मांग लेकर गए नेफोवा सदस्यों से ही जमीन का पता पूछने लगी एसीईओ अन्नपूर्णा गर्ग

लोकसभा चुनाव में यूपी में भाजपा सरकार का बुरा हाल क्यों हुआ है इसकी बानगी अगर आपको देखनी है तो आप गौतम बुद्ध नगर के ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सुस्त अधिकारियों की कार्यशैली से देख सकते हैं। यहां प्राधिकरण के अधिकारियों को जनता की मांग के लिए सरकारी अस्पताल, रामलीला मैदान, स्टेडियम जैसी चीजों के लिए जमीन न होने का बहाना बेहद आम है । दुखद तथ्य यह है कि स्वयं एसीईओ अन्नपूर्णा गर्ग मांग लेकर गए नेफोवा अध्यक्ष अभिषेक कुमार से ग्रेटर नोएडा वेस्ट में यह सब चीज कहां बनाए जाएं के सुझाव मांग रही हैं ।

आप सोच रहे हैं कि हम यह क्या बात बता रहे हैं तो असली कहानी यह है कि मंगलवार को नेफोवा अध्यक्ष अभिषेक कुमार अपने साथियों राकेश रंजन और दीपक गुप्ता के साथ शहर की समस्याओं को लेकर मुलाकात करने गए । जहां उन्होंने प्राधिकरण के सको अन्नपूर्णा गर्ग के सामने अतिक्रमण सड़कों पर लाइट न होने के साथ-साथ ग्रेटर नोएडा के बड़े क्षेत्र में लोगों के लिए कोई सरकारी अस्पताल स्टेडियम और रामलीला मैदान जैसी सुविधाएं न होने की बात कही इस पर अन्नपूर्णा गर्ग ने प्राधिकरण के प्लानिंग में इन चीजों के न होने का की प्रस्तावित जमीन होने की बात कही और अभिषेक कुमार से ही जमीन के लिए सुझाव मांग लिए । 

अब प्रश्न यह है की शहर में बड़े-बड़े मॉल और हाई राइज सोसाइटी बनाने वाले प्राधिकरण के प्लानिंग डिपार्टमेंट ने इतने बड़े शहर के लिए अस्पताल, स्टेडियम, रामलीला मैदान और शमशान घाट जैसी सुविधाओं के लिए कोई जमीन रखने की क्यों नहीं सोची और अगर नही सोची तो अब उनका प्लानिंग विभाग इसके लिए क्या कर रहा है ? प्रश्न ये भी है कि अगर आम लोगो के लिए ग्रेनो प्राधिकरण के पास ज़मीन नहीं है तो वो किस मुह से विदेशो में रोड शो करके यहाँ उधोग लगाने के लिए आमंत्रित कर रहा था और आये निवेश के लिए ज़मीन कहाँ से लाएगा ?

शहर के प्लानिंग विभाग की के भ्रष्टाचार की इंतहा का यह स्तर है कि यहां पर गोल्डन आई मॉल के सामने पूरी सर्विस रोड गायब कर दी गई, लेकिन किसी को पता नहीं चला। दुखद ये है कि एनसीआर खबर द्वारा इसे संज्ञान में लाये जाने के बाबजूद एसीईओ इस पर आजतक जांच ही करवा रही है I
इसके साथ ही यहां के सभी बड़े अस्पतालों में बेसमेंट में ओपीडी को रेगुलर करने तक के दावे प्लानिंग विभाग करता है उनसे पूछा गया कि इनमें आग लगने की दशा में कौन जिम्मेदार होगा तो उन्होंने इसके लिए फायर डिपार्टमेंट पर जिम्मेदारी झाड़कर पल्ला झाड़ लिया, किंतु प्लानिंग विभाग यह नहीं बता रहा की पार्किंग के लिए अलॉट की गई बेसमेंट को अस्पताल किस तरीके से FAR बढ़वाकर ओपीडी के लिए प्रयोग कर रहे हैं ।
ऐसे में बिना लाभ वाले आम जनता की जरूरत वाले सरकारी अस्पताल रामलीला मैदान, स्टेडियम और शमशान घाट के लिए प्लानिंग विभाग क्यों पैसा खर्च करेगा यह बड़ा प्रश्न है ?
प्रश्न यह भी है की भ्रष्टाचारों के आरोप में घिरे अधिकारियों को प्लानिंग विभाग में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार क्यों रखे हुए हैं। शहर में बीआरजे नेता और पूर्व सांसद प्रत्याशी नरेश नौटियाल के अनुसार उन्होंने कई अधिकारियों की जांच के लिए बाकायदा पत्र लिखा हुआ है और फिलहाल उनकी जांच चल रही है किंतु वह लोग अभी भी प्लानिंग विभाग में जमे हुए हैं ।

आपको बता दें शहर में अब इस समय 3 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं जिनके इलाज के लिए यहां महंगे अस्पतालों की पूरी एक चैन मौजूद है किंतु सरकारी अस्पताल के नाम पर बिसरख का एक सीएचसी अस्पताल दे दिया गया है । यहां की 3 लाख लोगों की शहरी आबादी आम रोगों के लिए भी बड़े अस्पतालों में हो रहे महंगे इलाज पर ही निर्भर हैI यहाँ आम जुकाम बुखार और टिटनेस के इंजेक्शन के लिए भी पहले ओपीडी में 1000 से 1500 रूपए तक का परचा बनवाना पड़ता है I

प्रश्न यह है भी है कि किसानों की आड़ में नेताओं की सिफारिश पर आबादी की जमीन छोड़ देने वाले अधिकारियों को शहर में आम लोगों की जरूरत के लिए रामलीला मैदान स्टेडियम सरकारी अस्पताल और शमशान घाट की जमीन देने से ज्यादा गांव में आबादी की जमीन पर बना रहे बड़े-बड़े, कालोनियों और व्यवसायिक परिसर की जरूरत ज्यादा क्यों दिखाई देती है ।

नेता सुस्त, अधिकारी मस्त, जनता त्रस्त

गौतम बुध नगर में प्राधिकरण में मौजूद अधिकांश अधिकारियों के बारे में कहा जाता है कि उनके संबंध प्रदेश के पक्ष और विपक्ष दोनों के राजनेताओं से हैं इसलिए इस पर सभी नेता चुप रहते है। यहां पर कोई किसी का भाई है, कोई किसी का भतीजा है या फिर कोई किसी का दूर का रिश्तेदार है इसलिए यहां हो रहे भ्रष्टाचार पर शीर्ष अधिकारी कोई कार्यवाही करने पर बेबस दिखाई देते हैं । मंत्रियों की सिफारिश पर सीईओ की बेबसी का आलम यह है कि सिफारिश पर आए कई ओएसडी और अधिकारियों को वह रोक तो नहीं पाए किंतु उनका जिम्मेदारियो से दूर रखा हुआ है ।

एनसीआर खबर से बात करते हुए नेफोवा के एक सदस्य ने कहा कि इस क्षेत्र का दुर्भाग्य यह है कि यहां के जनप्रतिनिधि सुस्त हैं जिसके कारण अधिकारी यहां मस्त हैं और जनता समस्याओं से त्रस्त है ।

उन्होंने कहा कि क्षेत्र में जो मांगे नेफोवा उठा रहा है उसके लिए जनप्रतिनिधि को बीते 6 वर्ष में न सिर्फ आवाज उठानी चाहिए थी बल्कि उनके कार्य अनुमान के लिए प्रशासन से जनता के लिए सहयोग करना चाहिए था किंतु दो बार चुनाव जीतने के बावजूद दादरी विधायक तेजपाल नागर या सांसद डा महेश शर्मा  ने इन समस्याओं को लेकर आज तक प्रशासन से कोई पत्राचार या बैठक नहीं की है जनप्रतिनिधियो के सुस्त होने के कारण ही सामाजिक संगठनों को जनता की समस्याओं के लिए अधिकारियों के पास जाना पड़ रहा है।

दादरी विधायक तेजपाल नागर और सांसद डा महेश शर्मा की काम ना करने कार्यशैली को लेकर शहर में पहले भी लोग प्रश्न उठाते रहे हैं किंतु 2022 में उनको दूसरी बार मिली बड़ी जीत के बाद जनता ने अब उनसे आशाएं छोड़ दी हैं और कई लोगों का दावा है कि विधायक ने भी जनता के विरोध के बाद बावजूद टिकट मिलने और दूसरी बार भारी मतों से मिली जीत के बाद जनता की समस्याओं पर संज्ञान लेना छोड़ दिया है। लोगो का दावा है कि वर्तमान भाजपा सरकार में नेताओं का मानना है कि जनता से ज्यादा संगठन और सरकार में अपना चेहरा चमकाया जाता रहे तो उनकी गद्दी सुरक्षित रहेगी।

सबसे दुखद ये है कि अधिकारी काम की जगह जनता से ही सुझाव मांग रहे हैं मानो वह कह रहे हो कि अगर आपको कहीं जमीन दिखती हो तो हम वहां पर रामलीला मैदान, सरकारी अस्पताल और स्टेडियम के नाम पर आपको एक झुनझुना पकड़ा सकते हैं । ऐसे में लोकसभा चुनावो में हुई दुर्दशा के बाद 2027 के लिए फ्रंट फुट पर खेल रही योगी आदित्यनाथ सरकार को इन समस्याओं का नहीं पता है या फिर अधिकारी और राजनेता उन तक इन समस्याओं को पहुंचने नहीं देते हैं यह एक बड़ा प्रश्न है क्या 2024 में लोकसभा चुनाव में हुए हश्र के बाद मुख्यमंत्री अपने अधिकारियों को आम जनता की समस्याओं के लिए काम करने के लिए कोई निर्देश देंगे या फिर जनता अपना जवाब 2027 में ही दे इसका इंतजार करेंगे।

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NCR Khabar Internet Desk

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