main newsNCRKhabar Exclusiveएनसीआरगौतम बुद्ध नगरराजनीति

लोकसभा चुनाव 2024 : सपा का प्रलाप- बसपा न होती तो ऐसा होता

राजेश बैरागी । राजनीति में प्रेम त्रिकोण का क्या महत्व है? अमिताभ,जया और रेखा अभिनीत चर्चित फिल्म सिलसिला के एक गीत ‘ये कहां आ गए हम’ के प्रारंभ और बीच बीच में अमिताभ द्वारा बोले गए संवादों को याद कीजिए। तुम होतीं तो ऐसा होता, तुम होतीं तो वैसा होता।

इस लोकसभा चुनाव में पहले की अपेक्षा सर्वकालिक शानदार सफलता प्राप्त करने वाली समाजवादी पार्टी के कुछ नेता दावा कर रहे हैं कि यदि मायावती ने वोट न काटे होते तो भाजपा 16-17 सीटों तक सिमट जाती। याददाश्त की कमजोरी केवल बुढ़ापे का रोग नहीं है। आलोचना और कोसने की बीमारियों का भी याददाश्त की कमजोरी से सीधा संबंध है।पिछला लोकसभा चुनाव दोनों ने मिलकर लड़ा था और केवल 15 सीटें (10 बसपा और 5 सपा) ने प्राप्त की थीं। कांग्रेस को तब केवल एक सीट पर सफलता मिली थी और रालोद जो सपा के साथ थी,उसका सूपड़ा साफ हो गया था। इस बार बसपा एक भी सीट जीतने में नाकाम रही जबकि सपा और कांग्रेस ने मिलकर 44 सीटों पर जीत हासिल की। पिछली बार एक भी सीट न जीतने वाले रालोद को भाजपा के साथ लड़ने पर दो सीटें मिल गईं।

Advertisement
Yatharth Two New Hospital Digital Ad 900 X 900 PX 1

चुनावी सफलता जिन तत्वों पर निर्भर करती है, उनमें माहौल, प्रत्याशियों का चयन, मुद्दे और जातीय समीकरण सबसे अधिक महत्व रखते हैं। चंद्रशेखर आजाद जैसे नेता भाजपा, सपा, बसपा जैसे विशालकाय राजनीतिक दलों को इसलिए शिकस्त देने में सफल हो जाते हैं क्योंकि वे अपने मतदाताओं के लिए 24 घंटे सातों दिन उपलब्ध रहते हैं और उनके लिए जीते मरते हैं।

फिर वापस 37 सीटें और गठबंधन में 43 सीटें जीतने वाली समाजवादी पार्टी के नेताओं के स्यापे पर लौटते हैं।समय चक्र घूमने पर स्वयं को बाहुबली समझना सहज मानव वृत्ति है। क्या बसपा को समाजवादी पार्टी की जीत का दायरा बढ़ाने के लिए इस बार चुनाव ही नहीं लड़ना चाहिए था? क्या रालोद को पिछले चुनाव की तर्ज पर हार जाने के लिए सपा के साथ रहना था? क्या चंद्रशेखर आजाद जैसे नेताओं की जीत सभी राजनीतिक दलों के चुने और हारे हुए नेताओं के लिए कोई उदाहरण पेश नहीं करती? अपने कुकर्मों के चलते सपा ने पिछले चार चुनावों में मात खाई थी, अपनी वर्तमान झूठी ईमानदारी की कहानियों को फिर बेचने में भाजपा विफल रही। यही इस चुनाव का संदेश है।

दिल्ली नोएडा, गाज़ियाबाद, ग्रेटर नोएडा समेत देश-दुनिया, राजनीति, खेल, मनोरंजन, धर्म, लाइफस्टाइल से जुड़ी हर खबर सबसे पहले पाने के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें या एनसीआरखबर वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें।
Show More

राजेश बैरागी

राजेश बैरागी बीते ३५ वर्षो से क्षेत्रीय पत्रकारिता में अपना विशिस्थ स्थान बनाये हुए है l जन समावेश से करियर शुरू करके पंजाब केसरी और हिंदुस्तान तक सेवाए देने के बाद नेक दृष्टि हिंदी साप्ताहिक नौएडा के संपादक और सञ्चालन कर्ता है l वर्तमान में एनसीआर खबर के साथ सलाहकार संपादक के तोर पर जुड़े है l सामायिक विषयों पर उनकी तीखी मगर सधी हुई बेबाक प्रतिक्रिया के लिए आप एनसीआर खबर से जुड़े रहे l

Related Articles

Back to top button