आशु भटनागर । कहते है असफलता आपको अगली लड़ाई के लिए तैयार होने का अवसर भी साथ लाती है, समझदार लोग असफलता पर रोने की जगह उसके कारणों को जानकर कर अगली लड़ाई की तैयारी करने लगते है । किंतु ऐसा लगता है कि गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट पर उत्तर प्रदेश में सबसे बुरी मिली हार के बाबजूद गौतम बुद्ध नगर में विपक्ष के दो बड़े दलों कांग्रेस ओर समाजवादी पार्टी के स्थानीय नेता फिलहाल कुछ सीखने को तैयार नहीं है ।
गौतम बुध नगर सीट पर बनने के साथ सीट पर हमेशा से भाजपा का दबदबा रहा है । सिर्फ एक बार ही बसपा जीत पाई है । किंतु उसके बाद लगातार कांग्रेस और सपा हर चुनाव में यहां खूब बड़े-बड़े दावे करती रही और हर चुनाव में हारती भी रही । विधानसभा में समाजवादी पार्टी ने बीते तीन चुनाव से जहां जिले के दो नेताओं सुनील चौधरी और राजकुमार भाटी को ही अपना सब कुछ मान लिया, वही कांग्रेस भी कभी कोई सक्षम प्रत्याशी नहीं ला सकी ।
समाजवादी पार्टी में तो लोग कहते हैं कि आप कुछ भी कर लेना किंतु 2027 में भी पार्टी सुनील चौधरी और राजकुमार भाटी को ही यहां से एक बार फिर से हारने के लिए टिकट दे देगी। ऐसे में पार्टी के लिए कुछ भी करने से बेहतर है अपना काम धंधे को देखना।
रोचक तथ्य यह भी है कि यह दोनों नेता स्वयं भी चुनाव में टिकट मिलने से पहले जनता के लिए कुछ करता दिखाने के लिए तैयार नहीं रहते हैं। सुनील चौधरी को चुनाव हारते ही अपने व्यवसाय में लग जाते है तो राजकुमार भाटी भी जनता की समस्याओं के समाधान की जगह अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता बने रहने पर ज्यादा महत्व देते हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं की माने तो अखिलेश यादव के लिए गीत लिखना और हर बार टिकट ले लेना ही पार्टी में उनका अतुलनीय योगदान है ।
हार के बाद शांत बैठे विपक्ष के नेता, बोले अब राजनीति 2027 में होगी आरम्भ
गौतम बुध नगर का दुर्भाग्य है कि जब जिले की जनता को अपने मुद्दों के लिए सत्तारूढ़ दल के जनप्रतिनिधियों का विरोध करने के लिए विपक्ष के जनप्रतिनिधियों का सहारा चाहिए होता है तब विपक्ष की पार्ट टाइम राजनीति कर रहे नेताओं के पास उनके लिए समय नहीं होता है ।
इसे आप इस उदाहरण से भी समझ सकते है कि महज दो दिन पहले तीन मुस्लिम बच्चों की मृत्यु पर समाजवादी पार्टी के नेताओं के न पहुंचने पर उठे आक्रोश के बीच पार्टी के ही एक वरिष्ठ नेता ने स्पष्ट कहा कि अब राजनीतिक बातें 2027 में ही दिखाई देंगी। उन्होंने मृत्यु को साधारण कहते हुए कहा कि शहर में लोग प्रतिदिन कहीं ना कहीं किसी न किसी वजह से मर रहे हैं, विपक्ष के नेता कहां-कहां जाएंगे। तो पार्टी के जिलाध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष कहां है ये पार्टी जनता भी कार्यकताओं से पूछती रहती है।
खरगोश की भांति चुनावो के समय सो कर उठने वाले समाजवादी पार्टी नेताओ के फिर सो जाने को आप ऐसे भी समझ सकते है कि समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव का जन्म दिवस सोमवार को जिले बड़ी शांति के साथ कुछ औपचारिकताओं को निपटा कर निकाल दिया गया।
जबकि राजधानी लखनऊ के बाद उत्तर प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले गौतम बुद्ध नगर में इस कार्यक्रम को भव्य स्तर पर किया जाना चाहिए था अखिलेश यादव स्वयं इन दोनों दिल्ली में संसद सत्र के लिए उपस्थित हैं ऐसे में दिल्ली से बस 30 किलोमीटर दूर बसे शहर में कोई बड़े कार्यक्रम ना कर पाने की स्थिति में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं से जनता तो छोड़िए पार्टी अध्यक्ष भी क्या अपेक्षाएं कर सकते है ।
वहीं कांग्रेस के हालत इससे बेहतर नहीं है। बीते 15 सालों में कांग्रेस का संगठन लगभग मृत प्राय हो चुका है लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में एक बार फिर से फिर बदलते हुए नोएडा महानगर अध्यक्ष के तौर पर मुकेश यादव जिला कांग्रेस अध्यक्ष पद पर ओर दीपक भाटी चोटी वाला को नियुक्त कर दिया। रोचक तथ्य ये भी हैं कि कांग्रेस कार्यकताओं के अनुसार दोनों ही नेताओं का शहरी समुदाय में प्रभाव शून्य है ।
कांग्रेस के कार्यकर्ता ने एनसीआर खबर को बताया कि कांग्रेस में परंपरा है कि वह चुनाव से पहले ही अध्यक्ष बदलते हैं ऐसे इन दोनों अध्यक्षों के पास अब अगले 3 साल तक अध्यक्ष होने का आनंद लेने का समय है। अगले चुनाव के समय फिर से अध्यक्ष बदल दिए जाएंगे ऐसे में अगर कांग्रेस के द्वारा इस चुनाव के बाद आपको कोई संगठन को मजबूत करने की कोई खास तैयारी नहीं देख रही है इसमें कोई आश्चर्य नहीं है। कांग्रेस की समस्या यहां से चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों द्वारा स्थानीय मुद्दों की राजनीति करने की जगह एआइसीसी या पीसीसी सदस्य बन कर दिल्ली लखनऊ रहने से भी है । यहां मौजूद हर नेता खुद को कांग्रेस के केंद्रीय समिति में देखना चाहता है और जनता की लड़ाई के समय गायब हो जाता है।
नगर में आज भी कांग्रेस के वोटर मौजूद हैं किंतु संगठन और कार्यकर्ताओं द्वारा कुछ न किए जाने के कारण सभी लोग भाजपा की ओर देखने लगते है। कांग्रेस को आज भी गौतम बुद्ध नगर में पुन: स्थापित होता देखने वाले कई लोगों ने एनसीआर खबर को बताया कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की पुनर्स्थापना के लिए वर्तमान नेताओं को की जगह ज़मीन से जुड़े नए युवा नेताओं की खोज करना राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के लिए अनिवार्य है । प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर अजय राय को यह तय करना होगा हवा हवाई नेताओं की जगह किस तरीके से जमीनी नेताओं को आगे करके 2017 की तैयारी की जा सके
ऐसे में कांग्रेस हो या समाजवादी पार्टी दोनों ही विपक्ष के तौर पर फिलहाल गौतम बुद्ध नगर के निवासियों के लिए भारतीय जनता पार्टी के सट्टा रोड राजनीतिक जनप्रतिनिधियों की अकर्मण्यता के खिलाफ कुछ भी कर पाने में नाकाम दिखाई देते हैं और परिणाम स्वरुप जनता त्राहिमाम करती रहती हैं