आशु भटनागर I अपनी स्थापना के 48 वर्ष बाद भी स्थानीय परिवहन को तरसते नोएडा के लिए बनाए गए उपक्रम एनएमआरसी यानी नोएडा मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के वर्तमान एम डी डा लोकेश एम की उपलब्धियां का लेखा-जोखा इन दिनों मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है । बीते अधिकारियों की तरह डॉक्टर लोकेश एम के 1 वर्षीय कार्यकाल के बाद भी क्या नोएडा में शहरी परिवहन की स्थिति बदली है या फिर ढाई दिन चले लड़ाई कोर्स की कहावत उनके इस कार्यकाल पर पूरी तरह सही साबित हुई है। इस पर चर्चा करने से पहले यह समझना जरूरी है कि दरअसल नोएडा समेत तीनों प्राधिकरणों के अधिकारियों को लेकर बनाए गए नोएडा मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड की परिकल्पना क्या थी और वह क्या कर रहा है ?
2015-16 में स्थानीय परिवहन की मांग कर रहे लोगों के लिए नोएडा मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की स्थापना की गई स्थापना के समय से ही जिसका एमडी नोएडा प्राधिकरण के सीईओ को बनाया गया इसमें ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ भी सदस्य के तौर पर लिए गए इसके साथ ही तब यह घोषणा की गई कि नोएडा मेट्रो रेल कॉरपोरेशन न सिर्फ नोएडा में मेट्रो के विस्तार को प्रमुखता देगा बल्कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बीच वर्षों से शहरी परिवहन की समस्याओं को का भी समाधान करेगा इसके लिए वह शहर में मेट्रो से शहर के कोने-कोने तक जोड़ने के लिए दिल्ली मेट्रो की तरह लो फ्लोर फीडर बसें भी आरंभ करेगा।

इसका आरंभ भी किया गया नोएडा ग्रेटर नोएडा में बाकायदा पहली बार दिल्ली की तर्ज पर एनएमआरसी ने लो फ्लोर फीडर बसें चलाईं तो ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के ऑफिस से सेक्टर 51 तक एक्वा लाइन का निर्माण भी शुरू किया । पहली बार एनएमआरसी के आने के बाद यह लगा कि वाकई अब नोएडा की बेसिक समस्या पर प्राधिकरण और उसके अधिकारियों का ध्यान जाने लगा है किंतु 2020 में कोविद के समय तत्कालीन एमडी और नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी ने कोविड का हवाला देते हुए उसे सेवा को बंद कर दिया। बाद में सेवा को बंद करने के पीछे कई और कारण दिए गए किंतु कोविड समाप्त हो जाने के 4 वर्ष बाद भी यह सेवा शुरू नहीं हो सकी। इसके पीछे तत्कालीन सीईओ नोएडा के सीईओ और नोएडा मेट्रो की एचडी रितु माहेश्वरी के एरोगेंट स्वभाव को भी जिम्मेदार माना गया। बताया जाता है कि उन्होंने जन भावना की मांग की जगह अपने उद्देश्यों को ऊपर रखा जिसके कारण नोएडा मेट्रो लोगों के लिए सफेद हाथी बनने लगा।
नोएडा मेट्रो को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इसकी उपस्थित कितनी एक्टिव है यह इससे पता लगता है कि ट्विटर पर इसके हैंडल @noidametrorail पर फरवरी 2017 के बाद से कोई जानकारी शेयर नहीं की गई है।
कोविड के दौरान ही नोएडा मेट्रो ने 5 मेट्रो स्टेशन पर मेट्रो को रोक कर एक नया कीर्तिमान स्थापित करने की कोशिश की जिसका नोएडा में 7x के लोगों ने बहुत विरोध किया । वर्षों से सेक्टर 51 से बुध की तक एक्वा लाइन को आगे बढ़ाने की मांग कर रहे निवासियों की मांग को भी तत्कालीन सीईओ ने बहुत गंभीरता से नहीं लिया जी मेट्रो को 2022 तक ग्रेटर नोएडा वेस्ट से जोड़ देना था वह अधिकारियों की हद्धार्मिता के कारण 2024 तक भी डीपीआर पास करने में कामयाब नहीं हो सकी ।
ऐसे में 1 वर्ष पूर्व जब डॉक्टर लोकेश एम नोएडा के सीईओ बनकर आए और नोएडा मेट्रो के एम डी के पद पर आसीन हुए तो यह लगा कि नोएडा मेट्रो एक बार फिर से लोगों के हित के लिए कार्य करेगी । माना जा रहा था कि डॉक्टर लोकेश एम 2015-16 के नोएडा मेट्रो के विजन को एक बार फिर से लोगों के हित के लिए आगे लेंगे किंतु एक वर्ष बाद नोएडा और ग्रेटर नोएडा के निवासियों को सिवाय मायूसी के कुछ हाथ नहीं लगा है एक वर्ष के बाद डॉक्टर लोकेश एम अभी तक सेक्टर 51 से बोडाकी की तक ग्रेटर नोएडा वेस्ट होते हुए बोडाकी तक जाने वाली मेट्रो लाइन को केंद्र से अप्रूव नहीं करा सके हैं। इसी बीच इसी कार्यकाल में मेट्रो के रूट को बदलने का आरोप जरूर डॉक्टर लोकेश एम पर लगा है ।

लोगों के अनुसार सेक्टर 51 से सीधे ग्रेटर नोएडा वेस्ट आने वाली मेट्रो को घूम कर सेक्टर 61 से मोड जा रहा है ताकि इसको एक जनप्रतिनिधि के अस्पताल के आगे से निकाला जा सके। हालत यह है कि जहां बोटैनिकल गार्डन से सेक्टर-142 तक यानी 11.56 किमी के नए प्रोजेक्ट को एनएमआरसी बोर्ड से डीपीआर की मंजूरी मिल गई है वहीं सेक्टर 51 से नॉलेज पार्क 5 तक की मेट्रो की फाइल अभी तक मंजूरी के लिए उधर से उधर भाग रही है । ग्रेटर नोएडा वेस्ट के 5 लाख लोगों की लाइफ लाइन बनने वाली मेट्रो के ऊपर बोटैनिकल गार्डन से सेक्टर 142 की मेट्रो को जोड़ने वाली मेट्रो को क्यों प्राथमिकता या वरीयता दी गई यह इस शहर के निवासियों की समझ से परे रहा है।
इसके साथ ही बीते एक वर्ष से लगातार नोएडा मेट्रो से एक बार फिर से लो फ्लोर फीडर बसें चलाने को लेकर तमाम संगठनों द्वारा मांग की गई किंतु प्राधिकरण मेट्रो नोएडा मेट्रो के एमडी डॉक्टर लोकेश एम् ने इसको लेकर कोई स्थाई योजना नहीं बनाई है ।
2009 में जब ब्लू लाइन मेट्रो सिटी सेंटर तक पहुंची तो उम्मीद जगी कि आगे बढ़कर सेक्टर-71 तक जाएगी और वहां से ग्रेनो वेस्ट पहुंचेगी। इसके बाद आया नोएडा मेट्रो का प्रॉजेक्ट, फिर चर्चा शुरू हो गई कि ग्रेनो वेस्ट की तरफ नोएडा मेट्रो की लाइन जाएगी। लेकिन ब्लू लाइन सेक्टर-71 में 52 मेट्रो स्टेशन से सेक्टर-62 की तरफ मुड़ गई। नोएडा मेट्रो की एक्वा लाइन दूसरी दिशा में ग्रेटर नोएडा चली गई। 2019 में इन दोनों लाइन पर मेट्रो का संचालन शुरू हो गया। बीच में बच गया ग्रेनो वेस्ट। फिर आया नोएडा मेट्रो रेल कॉरपारेशन का ग्रेनो वेस्ट के लिए प्रस्ताव और डीपीआर। तब से आज तक ग्रेनो वेस्ट मेट्रो प्रॉजेक्ट का काम बस जल्द शुरू होगा यही कहा जा रहा है। यहां रहने वाली आबादी का मेट्रो के लिए इंतजार एक तरह से इंतहा हो गई है। ऐसा लगता है कि जिले में अधिकारियों की वरीयता ऐसे प्रोजेक्ट पर ज्यादा रहती है जिससे वाहवाही मिल सके, किंतु जनता के मूल जरूरत को पर पूरा करने में अधिकारी कोई इंटरेस्ट नहीं लेते हैं।
दिनकर पांडे, समाजसेवी और निवासी ग्रेटर नोएडा वेस्ट
पर क्या वाकई डॉक्टर लोकेश एम पूरी तरीके से 1 वर्ष में मेट्रो के कार्य को लेकर असफल साबित हुए हैं तो इसका जवाब आप स्वयं तलाश सकते हैं नोएडा मेट्रो के सूत्रों के अनुसार लगभग 17 करोड़ रूपये का नान फेयर लाभ बीते एक वर्ष में नोएडा मेट्रो ने अर्जित किया है । इनमे परी चौक से नॉलेज पार्क-।। स्टेशनों के बीच कॉमर्शियल स्पेश के आवंटन से सालाना 1.40 करोड़ का राजस्व मिला। सेक्टर-142 स्टेशन में कॉमर्शियल स्पेस आवंटन से 1.75 करोड़, सेक्टर-137 मेट्रो स्टेशन के पास मेट्रो कोच के रेस्तरां के जरिए 0.22 करोड़, सेक्टर-142, 50 तथा जीएनआईडीए में आवंटित को-ब्रांडिंग के जरिए 2.26 करोड़ रूपये राजस्व की उपलब्धि हासिल हुई है। पॉवर चार्जिंग मोबाइल पॉवर बैंक की सुविधा के जरिए 8.5 लाख वार्षिक आय का स्रोत उत्पन्न हुआ है । डॉ. लोकेश एम के कार्यकाल में टिकट काउंटर पर डायनिमिक क्यूआर कोड की सुविधा का शुभारंभ हुआ। साथ ही चन्द्रयान-3 का फोटोयुक्त एनएमआरसी कार्ड लांच किया गया। एनएमआरसी द्वारा 150 छात्र-छात्राओं के लिए इंटर्नशिप प्रोग्राम चलाया गया
बीते एक वर्ष में एनएमआरसी ने राइडरशिप (यात्रियों की संख्या) भी बढ़ने के दावे नोएडा मेट्रो ने किए है । कोविड के बाद जुलाई-2022 से जून 2023 के मध्य दैनिक औसत राइडरशिप 40143 यात्रियों से बढक़र जुलाई 2023 से जून 2024 के मध्य दैनिक औसत यात्रियों की संख्या 94096 हो गई है ।
किंतु प्रश्न यह है कि ऐसे लुभावने आंकड़ों की जगह के आने के बाद भी अगर जनता मेट्रो को लेकर अपनी समस्याओं के लिए आक्रोशित है तो क्या 1 वर्ष में नोएडा मेट्रो रेल कारपोरेशन के एमडी डॉक्टर लोकेश एम के कार्यकाल को सफल माना जाना चाहिए या फिर इसे आत्ममुग्धता कहा जाना चाहिए यह फैसला एनसीआर खबर पाठको पर छोड़ता है।