उत्तर प्रदेश के 9 पुलिस कमिश्नरेट में प्रथम स्थान पर रहने वाले,बड़े माफियाओ की कमर तोड़े देने वाले और देश के पहले आईएसओ प्रमाण पत्र पाने वाले नोएडा पुलिस कमिश्नरेट में पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह के तमाम दावों के बावजूद लुट, छिनैती जैसे स्थानीय अपराध कम क्यों नहीं हो पा रहे है ।
खास तौर पर सेंट्रल 2 जोन के बिसरख थाने के अंतर्गत आने वाले ग्रेटर नोएडा वेस्ट में, जहां यह शहर अभी स्थापना के 10 वर्ष बाद बसने के चरण में है । दूर-दूर से विभिन्न क्षेत्र में काम करने वाले नौकरी पेशा, उद्योगपति और मजदूर वर्ग के लोग यहां निवास करते हैं। कम क्षेत्रफल में बनी हाईराइज सोसाइटी के कारण आबादी का घनत्व पूरे गौतम बुद्ध नगर में यहां सबसे ज्यादा है उसके बावजूद यहां पर छिनैती जैसे छोटे अपराध कमिश्नरेट के चार साल बाद भी कम नहीं हुए है ।
पूरे ग्रेटर नोएडा वेस्ट के लिए बनाए गए बिसरख थाने पर जब भी किसी नए थाना अध्यक्ष को लाया जाता है तब यही दावे किए जाते हैं कि पिछली बार के बाद अब से थाने और पुलिसकर्मियों की कार्यशैली बदल जाएगी। यहां पर अपराध पर लगाम लगेगी किंतु क्या वाकई ऐसा हो पाता है ?
दुखद तथ्य ये भी है कमिश्नरेट बनने से लेकर अब तक तीन थाना अध्यक्षों पर भ्रष्टाचार और अपराध ना संभाल पाने के कारण गाज गिर चुकी है तो चौकियों में बैठे पुलिस कर्मियों की पीड़ित को परेशान करने की कहानियां अनगिनत हैं । हाल ही में डीसीपी सेंट्रल 2 को तो अपने ही पुलिसकर्मी द्वारा कैब चालक को लूटने की घटना को कमिश्नर लक्ष्मी सिंह से तक से छुपाने के कारण इस्तीफा देना पड़ा था
ऐसे में बड़ा प्रश्न यह है कि कमिश्नर लक्ष्मी सिंह के तमाम प्रयासों के बावजूद निचले स्तर पर पुलिस में व्याप्त भ्रष्टाचार कम होने का नाम क्यों नहीं ले रहा है। ऐसा क्या है कि जो भी थाना अध्यक्ष बड़ी उम्मीद के साथ यहां लाया जाता है वह यहां आने के बाद नाकाम हो जाता है या फिर उस पर, अपराध को छिपाने, कम दिखाने और भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगते है ।
हैरत की बात ये है कि इस सब के बाबजुद इस क्षेत्र में एक बड़ी आबादी को शांति भंग के आरोप में मुचलके भरवाए जा चुके है । इन मुचलको में आदतन अपराधियों की जगह अक्सर बिल्डर से परेशान हो उसके खिलाफ प्रोटेस्ट करने वाले पीड़ित निवासी होते हैं या फिर कुत्ता प्रेमी गैंग के कारण झूठी शिकायतों से पीड़ित होते हैं। और इन पीड़ितों को पुलिस से बचाने के नाम पर कई मसीहाओं की राजनीतिक दुकान तक खुल गई है जो इनको बचाने के नाम पर क्षेत्र में अपनी नेतागिरी चमका रहे है।
लोगों का शिकायत है कि पुलिस इन्हीं दो प्रकरणों पर ध्यान देती रहती है किंतु सामान्य चोरी छिनैती और लूट जैसे अपराध पर काम करने से या तो बचती है या उसको नियंत्रित कर पाना पुलिस के लिए संभव नहीं हो पा रहा है । बहुत जयादा होता है तो पुलिस अपराध को नियंत्रित करने के नाम पर अक्सर ग्रेनो वेस्ट क्षेत्र में बनी सर्विस लेन को बंद कर देती है जिसके कारण अपराध कम भले ना हो किंतु मुख्य सड़कों पर जाम जरूर दिखाई देने लगता है ।
ऐसे में लगभग 5 लाख की आबादी को छूने वाले क्षेत्र में क्या अंग्रेजों के जमाने में बनाए गए एक थाने से कार्यवाही संभव है आखिर क्यों इस क्षेत्र में तीन नए थानों की जरूरत को पूरा नहीं किया जा रहा है 5000 से ज्यादा आबादी वाली सोसाइटियों के बाहर पुलिस चौकियां क्यों नहीं बनाई जा रही है। यहाँ लगने वाले अवैध रेडी पटरी, और साप्ताहिक बाजार लगाने वालो और उनमे काम करने वालो का पुलिस सत्यापन क्यूँ नहीं होता है और यदि होता है तो फिर अपराध कम क्यूँ नहीं हो पा रहे है ?
उससे भी बड़ी बात देश के पहले आईएसओ प्रमाणित पुलिस कमिश्नरेट का काम का हासिल करने के बाद पुलिस के लिए बनाई गई गाइडलाइंस अभी तक लागू होने में देर क्यों हो रही है । इन एस ओ पी (SOP) को आम जनता तक पहुंचाने की भी जरूरत है ताकि जनता में कमिश्नरेट के प्रति विश्वास कायम हो सके। ताकि बड़े अपराधो के साथ साथ यहाँ छोटे अपराधो पर लगाम कासी जा सके I